
स्टीव जाॅब्स जो की एप्पल के फ़ाउडर हैं वे एक तेज दिमाग और असीमित प्रतिभा वाले व्यक्ति थे। उनका जीवन हम सब के लिए प्रेरणादायक है, उन्होने काफ़ी संर्घष के बाद सफ़लता प्राप्त की, स्टीव जाॅब्स की पत्नी लोरेन पावेल(Laurene Powell) की कोशिशों के कारण वाल्टरआइजेकसन(Walter Isaacson) ने जाॅब्स की जीवनी लिखी, लेखक वाल्टरआइजेकसन ने पहले प्रस्ताव ठुकरा दिया था उनका कहना था की अभी वो वक्त नहीआया है जब जाॅब्स पर किताब लिखी जा सके, लेकिन जब लेखक को ये पता चला की जाॅब्स कैंसर के आखरी पङाव पर हैं तब उन्होने स्टीव जाॅब्स की जीवनी लिखना स्वीकार किया।
Contents –
1.शुरुआती जीवन 2.शिक्षा और करियर 3.एप्पल के फ़ाउंडर के रुप में 4.जब अपनी ही कंपनी ने स्टीव को बाहर निकाला फ़िर नेक्स्ट कंप्यूटर बनाया 5.सीईओ के रुप में एप्पल में वापसी 6.स्टीव जाॅब्स का निजि जीवन 7. स्टीव जाॅब्स को मिले अवाॅर्ड्स 8. स्टीव जाॅब्स की मृत्यु 9. उनसे जुङे रोचक और दिलचस्प तथ्य 10.उनके विचार |
1.शुरुआती जीवन
स्टीव जाॅब्स का जन्म 24 फ़रवरी 1955 में कैलीर्फ़ोनिया के सेंत फ़्रांसिस्को में एक सीरियन माता-पिता के घर हुआ था,लेकिन वे उस समय शादीशुदा नही थे इसलिये उन्होने स्टीव को गोद देने का फैसला किया। तब पाॅल औऱ क्लारा जाॅब्स ने स्टीव को गोद ले लिया,पाॅल एक तटरक्षक(Coast Guard)थे, क्लारा एक अकाउंटेंट थीं। जाॅब्स औऱ उनके पिता अपने पारिवारिक गराज में काम करते थे, उनके पिता ने उनको सिखाया की इलेक्ट्रानिक पर्जों को कैसे तोङा और जोङा जाता है, ये स्टीव का शौक बन गया जिससे उनका इलेक्ट्रानिक्स में आत्मविश्वास बङा दिया। स्टीव की एक बहन भी थी वे अपने परिवार के साथ माउंटेन विव कैलीर्फ़ोनिया मे रहे वह जगह इलेक्ट्रानिक्स के लिये बङा सेंटर बनता जा रहा था। उस समय लोग उस जगह को सिलिकाॅन वेली के नाम से बुलाने लगे क्यूंकि इलेक्ट्रानिक्स में सिलिकाॅन नामक पदार्थ का उपयोग किया जाता था। स्टीव हमेशा से बुध्दिमान औऱ नई सोच रखने वाले व्यक्ति थे,वे पढाई में अच्छे लेकिन उनका स्कूल में मन नही लगता था।
2.शिक्षा और करियर
1972 में हाइ स्कूल से ग्रेजुएट होने के बाद उनके माता-पिता ने उनका एडमिशन रीड काॅलेज में कराया लेकिन बीच में ही स्टीव को काॅलेज छोङना पङा,फ़िर अगले कुछ महीनो तक कोइ न कोइ क्रिएटिव क्लास लेने लगे,उन्होने कैलिग्राफ़ी सीखी। इसी दौरान उनकी दोस्ती वोजिनियाक से हुइ उनकी भी दिलचस्पी इलेक्ट्रानिक्स औऱ कंप्यूटर मे थी वो दोनो भविष्य में पार्टनर बनने वाले थे। स्टीव ने विडियो गेम डिजाइन की नौकरी शुरु की लेकिन बाद में नौकरी छोङ कर आध्यात्मिक ज्ञान के लिये भारत आ गये। अमेरिका वापस आने के बाद उन्होने फ़िर से नौकरी शुरु की,इस समय उनका मन पूरी तरह एकाग्रचित हो चुका था।
3.एप्पल के फ़ाउंडर के रुप में
1976 में जाॅब्स ने अपने दोस्त विजिनियाक के साथ मिलकर अपने पिता के गैरेज में कम्प्यूटर बनाने का काम शुरु किया, इस कंपनी का नाम ”एप्पल” रखा। कम्प्यूटर बनाने का विचार जाब्स को तब आया जब उनके दोस्त विजिनियाक ने एक पर्सनल कम्प्यूटर का निर्माण किया। इसके बाद से दोनों ने नए-नए आविष्कार किये औऱ सफ़लता प्राप्त करते गये। 1980 में स्टीव जाब्स की एप्पल कंपनी ने विश्व में अपनी एक अलग पहचान बना ली थी।

4.जब अपनी ही कंपनी ने स्टीव को बाहर निकाला फ़िर नेक्स्ट कंप्यूटर बनाया
1980 में पर्सनल कंप्यूटर का बोलबाला था,इसलिए एप्पल कंपनी को अपने प्रोडक्टस को आगे रखने के लिए लगातार फ़ोर्स किया जाता था,क्यूंकि मार्केट में औऱ भी प्रतियोगि कंपनी आ गई थीं, एप्पल ने एप्पल 3 लांच किया लेकिन उसे मार्केट टेक्निकल औऱ मार्केट परेशानियों का सामना करना पङा,इसे बाजार से वापस ले लिया गया फ़िर वापस से इसमें काम शुरु किया गया। 1983 “लीसा”(LISA) को मार्केट में लांच किया गया ये उन लोगों के लिये था जिन्हे कंप्यूटर कि ज्यादा समझ नही थी,ये ज्यादा नही बिक सका क्यूंकि कि इसकि कीमत पर्सनल कंप्यूटर सज्यादा थी। एप्पल की सबसे बङी प्रतियोगी कंपनी थी “IBM”, 1984 में एप्पल ने “मसिंटोश” बाजार में लांच किया इसके डिस्प्ले में छोटे-छोटे पिक्चर्स थे जिसे आइकोन कहते थे,इस कंप्यूटर को स्तमाल करने के लिये व्यक्ति को आइकान पर पाइंट कर के एक बटन दबाना होता था जिसे माउस कहते थे इस प्रोसेस ने मसिंटोश को स्तमाल करना काफ़ी आसान बना दिया, फ़िर भी ये बाजार में ज्यादा चल नही पाया,इसमें दूसरे पर्सनल कंप्यूटर की तरह फ़ीचर्स नही थे जैसे-अधीक गुणवत्ता वाला प्रिंटर,इसके कारण ये ज्यादा कमाई नही कर पाया। इस नाकामयाबी से एप्पल कंपनी का घाटा शुरु होने लगा,1985 में जाब्स ने कंपनी से स्तीफ़ा दे दिया, लेकिन अभी भी वो बोर्ड आफ़ डायरेक्टर्स में थे। जाॅब्स ने अपने कुछ पुराने कर्मचारियों को काम पर रखा और एक नये कंपनी की शुरुवात की जिसका नाम “नेक्स्ट”, इसे सेंट फ़्रांस्सिस्को के एक बङे ईवेंट में लांच किया गया,जिसका मुख्य निशाना था ‘शिक्षा का क्षेत्र’, 1996 में एप्पल ने इसे खरीद लिया तब स्टीव जाब्स ने एप्पल दुबारा जाइंन किया, उसके अगले साल एप्पल ने अपनी प्रतियोगि कंपनी माइक्रोसाफ़्ट के साथ भागिदारी(Partnership) कर ली. अगले 6 सालों एप्पल ने बहुत से प्राडक्ट लांच किये- आइमैक(IMAC), आइबुक(IBOOK)।
5.सीईओ के रुप में एप्पल में वापसी
1997में स्टीव जाॅब्स ने दुबारा से एप्पल के सीईओ(CEO) के पद को जाइन किया, जैसे 1970 एप्पल की सफ़लता का श्रेय़ जाॅब्स को दिया जाता है वैसे ही 1990 में दुबारा एप्पल को खङा करने का श्रेय़ स्टीव जाॅब्स को जाता है। जैसे ही एप्पल अपना प्राडक्ट लांच करता दूसरी कंपनी उससे मिलता जुलता प्राडक्ट बनाने लगती थी, 2008 एप्पल अमेरिका की दूसरी सबसे बङी म्यूजिक रीटेलर कंपनी बन गई, अपनी आइट्यून औरआइपाड्स के कारण ये दूसरे नंबर पर आई। अमेरिका में सबसे ज्यादा पसंद की जाने वाली लिस्ट में एप्पल पहले नंबर पे आ गई।
6.स्टीव जाॅब्स का निजि जीवन
स्टीव जाॅब्स की एक बेटी थी जिसका नाम लीसा रखा ये 1978 में स्टीव की लव पार्टनर से थी, इसके बाद उन्होने साल 1991 में लौरेन पावेल से शादी की। दोनों के तीन बच्चे हुए रीड,एरिन और ईव।
7. स्टीव जाॅब्स को मिले अवाॅर्ड्स
स्टीव जाॅब्स को अपने जीवन में बहुत सारे अवार्डस मिल चुके हैं, कुछ पुरस्कार इस प्रकार हैं-
*”मशीन आफ़ द ईयर”-1982 में एप्पल कंपनी के लिये
*”कैलर्फ़ोनिया हाल आफ़ फ़ेम”
*”नेशनल मैडल आफ़ टेक्नोलाॅजी”- अमेरिका के राष्ट्रपति के व्दारा दिया गया।
8. स्टीव जाॅब्स की मृत्यु
कई सालों से स्टीव पेनक्रियाटिक कैंसर से जूझ रहे थे, लम्बे इलाज के बाद एप्पल कंपनी के फ़ाउंडर स्टीव जाॅब्स का 2 अक्टूबर 2011 में कैलिर्फ़ोनिया के पालो आल्टो में निधन हो गया।
9. उनसे जुङे रोचक और दिलचस्प तथ्य
*जब स्टीव ने पहली बार कंप्यूटर को देखा था उस वक्त वे सिर्फ़ 12 साल के थे।
*जब वे एक बार एप्पल के गार्डन में बैठे थे उन्होने सोच लिया था कि अपनी कंपनी का नाम एप्पल रखेंगे।
*इनके जीवन पर एक फ़िल्म बन चुकी है।
*वे भारतिय संस्कृति से बहुत प्रभावित थे, वे एक बार भारत आये थे।
*वे आइंस्टाइन को अपन आदर्श मानते थे।
*उनके पास मार्क जुकरर्बग और बिल गेट्स की तरह कालेज की डिग्री नही थी।
*एक दिलचस्प बात ये है की वे बिन नंबर प्लेट की गाङी चलाते थे।
*स्टीव बौध्द धर्म का पालन करते थे।
10.उनके विचार
*”तुम्हारा समय सीमित है,इसलिए इसे किसी और की जिंदगी जी कर बिलकुल व्यर्थ मत करो।”
* “शायद मौत ही इस जिंदगी का सबसे बङा आविष्कार है।”
*”जो इतने पागल होते हैं,उन्हे लगता है कि वे दुनिया बदल सकते हैं, वे अक्सर बदल देते हैं।”
*”डिजाइन सिर्फ़ यह नही है कि चीज कैसी दिखती या फ़िर महसूस होती है,बल्कि डिजाइन यह है कि वह चीज काम कैसे करती है।”
* “कभी-कभी जिंदगी आपके सर पर ईंट से वार करेगी लेकिन अपना भरोसा कभी मत खोइए।”

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