
सरहुल पर्व:
Contents-
1.परिचय 2.अर्थ व ऎतिहासिक महत्व 3.सरहुल कब मनाया जाता है 4.सरहुल कैसे मनाया जाता है 5.उत्सव में महिलाऎं सफेद एवं लाल रंग की साङी क्यों पहनती हैं |
परिचय: प्रकृति को समर्पित सरहुल पर्व आदिवासियों का प्रमुख त्यौहार है,इस त्यौहार के बाद ही नई फ़सल का उपयोग शुरु किया जाता है। अर्थ व ऎतिहासिक महत्व: सरहुल दो शब्दों से मिलकर बना है, सर एवं हूल, जिसमें सर का अर्थ है सराय या सखुवा फ़ूल, हूल का अर्थ है क्रांति। इस प्रकार सखुवा फ़ूलों की क्रातिं को सरहुल कहा गया। मुंडारी,संथाली एवं हो भाषा में सरहुल को बा या बहा पोरोब, खडिया में जानकोर, कुरुख में खद्दी या खेखेल बेंज कहा जाता है। सरहुल कब मनाया जाता है:
सरहुल पर्व बसंत ऋतु में मनाया जाता है, बसंत ऋतु को खुशियों का संदेश माना जाता है, बसंत ऋतु में प्रकृति और भी खूबसूरत हो जाती है। घर में फ़सल भरा होता है एवं जंगल फ़लों व फ़ूलों से भर जाते हैं। प्रकृति किसी को भूखा रहने नही देती ऎसा माना जाता है।
सरहुल कैसे मनाया जाता है:

सरहुल पर्व प्रकृति को समर्पित है, आदिवासी लोग इसे फ़ूलों के साथ मनाते हैं पतझङ के कारण इस मौसम में पेङ की टहनियों पर नए पत्ते एवं फ़ूल खिलते हैं। इस दौरान साल के पेङों पर खिलने वाले फ़ूलों का विशेष महत्व है। चार दिनों तक ये पर्व मनाया जाता है, जो चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की तृतीय से प्रारंभ होत है।
उत्सव में महिलाऎं सफेद एवं लाल रंग की साङी क्यों पहनती हैं:
सरहुल पर्व के दौरान सफ़ेद रंग की साङी पहनतीं हैं, जिसमें लाल रंग का पैड (पाङ) होता है,क्योंकि सफ़ेद शुध्दता एवं शालीनता का प्रतीक है, वहीं लाल रंग संर्घष का प्रतीक है। सरना का झंडा भी लाल एवं सफ़ेद है। इस पर्व के दौरान आदिवासी महिलाऎं खूब नृत्य करती हैं।
करम पर्व:
करम पर्व भादो के शुक्ल पक्ष के एकादशी को मनाया जाता है, इस पर्व को बहने अपने भाइयों के लिये मानती हैं, ये उनके पवित्र संबंध एवं अटूट प्रेम को दर्शाता है। झारखंड का ये दूसरा सबसे बङा प्राकृतिक पर्व है,पेङ,पौधे में नये फ़ूल-पत्तियां आना शुरु होता है तो सरहुल मनाते हैं, जब बारिश होती है तब किशान अपनी फ़सल लगाते हैं, फ़सल का कार्य समाप्त होने की खुशी में करम पर्व को मनाया जाता है। करम आदिवासी संस्कृति का प्रतीक माना जाता है, इस पर्व में एक खाश नृत्य किया जाता है जिसे करमा नृत्य कहते हैं। इस पर्व को खाशकर कुंवारी लडकियां ही मनाती हैं, इस पर्व में बहने भाई के लिये उपवास रखती हैं।करम पर्व प्रकृतिक आधारित पर्व है,एसे झारखण्ड, उडीसा, बिहार,छत्तीसगङ पश्चिम बंगाल, असम राज्य में मनाया जाता है। इस पर्व को बडे धूमधाम से मनाया जाता है, इसे यहां के मूलनिवासी या आदिवासी लोगों द्वारा मनाया जाता है।
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