
Contents –
परिचय 1. सबसे पहला: प्रमाण बाबर की आत्मकथा बाबरनामा/तुजुक ए बाबरी 2. दूसरा प्रमाण: मस्जिद में गढ़ी Inscription ( शिलालेख ) 3. तीसरा प्रमाण: ACL Carlleyle’s ( कार्लाइल ) Report 4. चौंथा प्रमाण: कार्लाइल की Report 5. पांचवा प्रमाण: फ़ारसी शिलालेख 6. छठंवा प्रमाण: अकबर के दरबारी कवि अबुल फज़ल की किताब आईने-अकबरी/अकबरनामा |
परिचय – संभल उत्तर प्रदेश में स्थित जामा मस्जिद को लेकर कुछ समय से विवाद चल रहा है। दावा किया जा रहा है की इस मस्जिद के नीचे मंदिर था याने मंदिर को तोड़कर मस्जिद बनवाया गया था। इस जगह पर सर्वे करने की मांग चल रही है। इस दावे को सही साबित करने के लिए कुछ प्रमाण भी पेश किये जा रहे हैं।
क्या ये सब प्रमाण सही हैं? कुछ इतिहासकारों के द्वारा इन प्रामणो पर रिसर्च किया जा रहा है। उनके अनुसार ही हम इन परमाणो को समझेंगे।
1. सबसे पहला : प्रमाण बाबर की आत्मकथा बाबरनामा/तुजुक ए बाबरी –
सबसे पहला प्रमाण बताया जाता है बाबर की आत्मकथा बाबरनामा को, यह एक dairy या रोजनामचा थी जिसमें बाबर अपने जीवन की छोटी बड़ी घटनाओं का वर्णन करते हैं। इसके बारे में कहा जा रहा है की बाबर ने हरी मंदिर तोड़ कर संभल की जामा मस्जिद बनवाई, लेकिन बाबरनामा के अंग्रेजी व फ़ारसी संस्करण ( Version ) दोनों में ऐसा कुछ नहीं लिखा है।
संभल में एक हिन्दू बेग नाम के गवर्नर/ governor ( राजयपाल ) को भेजने का जिक्र जरूर है। बाबरनामा में क्यूंकि किसी अली युसूफ नाम के Governor की मौत हो गई थी बाद में अब्दुल्ला नाम के किताबदार को भी वहां भेजा गे गया। हिन्दुबेग नाम बड़ा ही नायब है ऐसे नाम Ethnicity ( जातीयता ) को Denote ( सूचित/निरूपित ) करने के लिए लिए जाते थे धर्म ( religion ) को नहीं। याने हिन्दू का मतलब है OF Hind/हिन्द का बाशिंदा जो यहीं को Belong ( सम्बंधित ) करता हो।
बाबरनामा के इसी page के नीचे एक footnote दिया गया है की अंग्रेजी अनुवादक Yenet bevej ( एनेट बैवेज ) के द्वारा, यह footnote फ़ारसी version में नहीं है क्यूंकि अनुवादक का नोट है असली text ( मूलपाठ ) का हिस्सा नहीं है।

इस footnote में लिखा है की हिन्दुबेग ने संभल में एक हिन्दू मंदिर को Convert ( परिवर्तित ) कर के एक मस्जिद बनवाई 933 हिजरी याने 1526,1527 AD में इसे बाबर के Order ( आदेश ) पर बनवाया गया था, और यहाँ एक शिलालेख ( Inscription ) भी है जो इसकी गवाही देती है।
नोट – ये बाबर नामा का Text ( मूलपाठ ) नहीं है। एनेट बैवेज की Translation ( अनुवाद ) में उन्ही का लिखा footnote है। बाबर इसमें किसी भी मंदिर या मस्जिद का जिक्र नहीं करते संभाल संभल में।
जब बाबर ने हिन्दू बेग को संभल भेजा तब साल 935 हिजरी चल रहा था date साफ़ लिखी है 1528-1529 AD, लेकिन बैवेज का कहना है मंदिर का Conversion 1526 AD में ही याने 2 साल पहले ही हो गया था।
2. दूसरा प्रमाण: मस्जिद में गढ़ी Inscription ( शिलालेख ) –
Inscription को अंग्रेजी और फ़ारसी अनुवाद में देखें तो ऐसा लिखा है की हिन्दू बेग ने यह मस्जिद बनवाई बाबर के कहने पर, और इसके बन जाने की तारिख तारीख थी 6 दिसम्बर 1526, लेकिन इस बात का जिक्र नहीं है की किसी मंदिर को तोड़ा हो और मस्जिद बनाया गया हो।
3. तीसरा प्रमाण: ACL Carlleyle’s ( कार्लाइल ) Report –
कार्लाइल कहते हैं की संभल मस्जिद पर पहले हिन्दू मंदिर था। मंदिर में मौजूद बाबर की Inscription को हिन्दू पक्ष गलत बताते हैं, ये कह कर की इस शिलालेख के पीछे वास्तविक शिलालेख है और ये बाबर की शिलालेख मुस्लिम पक्ष ने खुद बनाये हैं।
कार्लाइल इस basis ( आधार ) पे, Concluse ( निष्कर्ष ) करते हैं। मस्जिद मुस्लिम लोगों ने by forse ( जबरजस्ती करके ) ली है।
1857AD की क्रांति के आसपास एनेट बैवेज ने भी कार्लाइल की इस report के आधार पर अपना report दिया। लेकिन कार्लाइल यह साफ़ कह देते हैं की ये बात हिन्दू पक्ष कह रहा है।
कार्लाइल बाबर की inscription को गलत बताते हैं क्यूंकि बाबर का नाम लिखा है ‘शाह जमजा मोहम्मद बाबर’ पर बाबर का असली नाम जहीरुद्दीन मोहम्मद बाबर है।
कार्लाइल को फ़ारसी ठीक से नहीं आती थी। जमजा यहाँ बाबर का नाम नहीं बाबर की उपाधि/ख़िताब ( Title ) है। अशरफ हुसैन फ़ारसी के Scholer ( विद्वान ) ये साफ़ कर देते हैं जमजा / जम – जाह ( Jam-jaah ) याने dignity ( प्रतिष्ठा, गरिमा ).
याने जो बादशाह हमशेद जैसा glorious ( यशस्वी, महान ) हो। ‘जमशेद’ persian ( फ़ारसी ) Mythological ( पौराणिक ) किंग king ( राजा ) माने जाते हैं।
पिस्ता दिन दियां दी यान Dinesty ( खानदान ) के फिरदौसी की 11वीं शताब्दी की किताब “शाहनामा” में उन्हें ही महान राजा बताया जाता है और राजाओं के लिए आदर्श थी भी।
तो यहाँ बाबर को जमशेद जैसा बताया जा रहा है तो इस Inscription में उनका नाम गलत नहीं लिखा ये फ़ारसी text से साफ़ हो जाता है। एलेक्ज़ेंडर कनिंघम जो ASI ( Archaeological Survey of India ) के पहले डायरेक्टर जनरल ये कहते है की ये शिलालेख बिलकुल Authentic ( प्रमाणिक, विश्वसनीय ) है जो 16 वीं शताब्दी की है।
4. चौंथा प्रमाण: कार्लाइल की Report –
कार्लाइल कहते हैं की उनके Observation ( अवलोकन/पर्यवेक्षण ) के हिंसाब से मस्जिद, मंदिर से बना है, क्यूंकि हिन्दू पक्ष मानते हैं की उनका गुम्मद पृथ्वीराज ने बनाया था। कार्लाइल को कोई भी शिलालेख या मूर्ती नहीं मिली थी ये बस कार्लाइल का विश्वास था की पत्थर हिन्दू है, क्या चीज पत्थर को हिन्दू बनती बनाती ही।
933 हिजरी याने 1526-27AD में बाबर ने संभल के Governor को सौंप दिया था।
5. पांचवा प्रमाण: फ़ारसी शिलालेख –

1035 हिजरी याने 1625-1626AD में फ़ारसी शिलालेख मिली है। जो मस्जिद के Repairs ( मरम्मत ) को Record करती है। ये शिलालेख कहती है की इस कदीम मस्जिद ( पुरानी मस्जिद ) की मरम्मत करवाई सैय्यद क़ुतुब ने जो भी बहुत दानवीर थे ।
छोटी मेहराब के बगल में एक और फ़ारसी Inscription मौजूद है 1067 हिजरी ( 1656-1657AD ) में जो की कहता है इस मस्जिद की कुछ दीवारें गिर गईं थी तो रुस्तम खां को ये हुक्म दिया गया की वो इसकी मरम्मत करवाए ये काम अब्दुल सलाम की देख – रेख में हुआ।
रुस्तम खां शाहजहां के सबसे बड़े और चहेते बेटे दाराशिको के ख़ास आदमी थे पूरा नाम रुस्तम खां दखनी था याने दक्क्न के बासिन्दे।
इससे यह पक्का हो जाता गया की ये मस्जिद बाबर ने ही बनवाई थी 17 वीं शताब्दी तक काफी पुरानी हो चुकी थी, इसलिए 2 बार मरम्मत भी करवाई गई।
इससे कार्लाइल का ये दवा भी गलत हो जाता है की मस्जिद 1857 की क्रांति के आसपास ही मुस्लिम लोगों ने ली। कुछ हिन्दू पक्ष आज ये भी कह रहे हैं की मस्जिद बानी ही 19 वीं शताब्दी में है। अगर ऐसा है तो 17 वीं शताब्दी में इसकी मरम्मत हो क्यों हो रही थी।
मरम्मत करवाने वाले लोग बहुत बड़ी पहुँच के थे मतलब मस्जिद ख़ास थी और Activly ( सक्रिय रूप से ) वहां नमाज पढ़ी जाती थी।
6. छठंवा प्रमाण: अकबर के दरबारी कवि अबुल फज़ल की किताब आईने-अकबरी/अकबरनामा –
अबुल फज़ल आईने अकबरी में लिखते हैं की संभल की City ( नगरी/शहर ) में हरिमण्डल नाम का एक मंदिर है जो की एक ब्राह्मण को Belong ( सम्बन्धित ) करता है और ये माना जाता है की इसी ब्राह्मण की Family ( परिवार/वंश ) से विष्णु का दशवाँ अवतार याने कल्कि अवतार पैदा होगा।
अबुल फज़ल कहते हैं की ये मंदिर मुग़ल बादशाह अकबर के अहद/शासनकाल में खड़ा है, और संभल मस्जिद बनाया था बाबर ने, तो अगर मंदिर अकबर के समय तक खड़ा था तो उड़े उसे बाबर ने संभल मस्जिद बनाने के लिए कैसे तोड़ा।
बाबर की मृत्यु 1530AD में हो गई थी मस्जिद तब तक बन चुका था। अकबर का शासनकाल 1560 AD से शुरू होता है तो उसे बाबर ने संभल मस्जिद बनाने के लिए ‘हरी मंडल’ को नहीं तोड़ा।

इससे ये साबित होता है की संभल का मस्जिद और हरी मंडल का कोई सम्बन्ध नहीं है और दोनों ही अकबर के शासनकाल में खड़े थे। संभल मस्जिद तारीखी मस्जिद है जिसको 1526-27Ad में बनाया गे गया और दो बार इसकी मरम्मत की गई। इसे बिलकुल fresh material ( नए सामग्री ) से बनाया गया ये बात ओहायो स्टेट यूनिवर्सिटी ( Ohio State university ) के Art Historian हावर्ड क्रेन ( Harvard Crain ) भी Clear कर देते हैं अपने 1987AD के paper में।
वे कहते हैं की मस्जिद की बनावट कहीं भी ये बयां नहीं करती है की कहीं से मंदिर को तोड़कर या बदलकर बनाया हो। मस्जिद की रूपरेखा बदायूं के जामा मस्जिद और शर्की राजाओं द्वारा बने जौनपुर के मस्जिद से मिलती है।
निष्कर्ष : बाबर ने संभल मस्जिद बनाने के लिए हरिमण्डल मंदिर को नहीं तोड़ा, दोनों अकबर के शासनकाल तक खड़े थे। ये अबुल फज़ल की किताब से साबित होता है।
Note- ये सभी जानकारियां (Information) हमने इतिहासकारों के बताये स्त्रोतों (Source ) से लीं हैं । अगर कोइ जानकारी गलत लगे तो आप हमें कमेंट(Comment) कर सकते हैं,हम इसे अपडेट करते रहेंगे। आपको हमारी आर्टिकल अच्छी लगती हैं तो आगे भी पड़ते रहें और इसे शेयर(share) करें।