
कुछ किताबें ऎसी होती हैं जो हमारे जीवन में बहुत बङा बदलाव लाती हैं, क्योंकि वे हमारे सवलों का जवाब देतीं हैं , इसलिये हमें एक अच्छा साहित्य या किताब पढते रहना चाहिये।एक अच्छी किताब हमारे माईंडसेट को बदल देती है,जिससे हम सकारात्मक हो जाते हैं, ऎसी ही एक किताब के बारे में मैं आपको बताने वाली हूं। ये किताब उन लोगों की मदद करेगा जो एक अमीर व्यक्ति के माईंडसेट को समझना चाहते हैं। इस किताब के लेखक श्री रार्बट टी। कियोसाकी ने अपने जीवन के अनुभवों से जो सिखा है उसे बताया है। मैं यहां इस इस किताब का सारांश लिख रही हुं, मुझे उम्मीद है आप लोगों को इससे बहुत कुछ जानने और सीखने का मौका मिलेगा।
1.अध्याय -रिच डैड पुअर डैड 2.अध्याय -अमीर लोग पैसे के लिए काम नहीं करते 3.अध्याय -पैसे की समझ क्यों सिखाई जानी चाहिए 4.अध्याय -अपने काम से काम रखो 5.अध्याय -टैक्स का इतिहास और काॅर्पोरेशन की ताकत 6.अध्याय -अमीर लोग पैसे का आविष्कार करते हैं 7.अध्याय -सीखने के लिये काम करें न कि पैसे के लिए 8.अध्याय -बाधाओं को पार करना 9.अध्याय -शुरु करना 10.अध्याय – और ज्यादा चाहिए |
परिचय –
राॅबर्ट कियोसकी के दो डैड (पिता) थे, एक उनके असली पिता जो गरीब थे, और एक उनके अच्छे दोस्त के पिता जो बहुत अमीर थे। दोनो पिता का पैसों को लेकर सोच अलग-अलग थी, रिच डैड(अमीर पिता) ने अपने परिवार के लिये 10$ मिलियन डाॅलर और चर्च के लिए चैरेटी छोङ कर गऎ थे। वहीं उनके पुअर डैड ने बिल छोङ कर गये थे। किताब लिखने के वक्त लेखक ने दोनों के पिता के विचार और पैसे कमाने के तरीकों की तुलना करते हैं और सोचते हैं किसका तरीका अपनाकर सफ़लता पाऎं, उनके असली पिता बहुत जादा पढे-लिखे थे और शिक्षक थे, फ़िर भी वे पैसों को लेकर संर्घष कर रहे थे। वहीं उनके अमीर पिता एक सफ़ल व्यपारी थे। लेखक ने अपने गरीब पिता कि तुलना चूहों की दौङ से की है जिसमें लोग पैसे कमाने की होङ में भाग रहे हैं और उसी चक्र में फ़ंसे हुए हैं, वे अपने सपनों को कभी पूरा नहीं कर पाते।स्कूलों में देश की परेशानियों के बारे में पढाते हैं, लेकिन पैसों को लेकर कोई भी पाठ नही पङाया जाता, स्कूलों में व्यवसाय से जुङे कौशल सिखाते हैं वित्त से जुङे कौशल नही सिखाते। इसलिए अमीर और अमीर बनते हैं गरीब और गरीब होते जाते हैं। मध्यम वर्ग के लोगों को पैसों के बारे में घर पे ही सिखाया जाता है, न कि स्कूल में इस लिये वे सही से सीख नही पाते. लेखक ने अपने गरीब पिता से सीखा था कि पैसे के लिये मेहनत करना और बडी डिग्री लेना जरुरी है ताकि बाद में एक अच्छे कम्पनी में नौकरी मिल सके। उनके पिता पारम्परिक सोच को मानते थे जैसा भौतिक चीजें नही खरीदना,पैसों को जमा करना, एक बङी कम्पनी में नौकरी करना अच्छा है,इसलिए जब उनके बेटे ने एक अच्छी कम्पनी की नौकरी छोङ दी तब वे बहुत निराश हुए,उनके पिता पढाई को को सफ़लता का पासपोर्ट मानते थे, खुद उनके पास प.एच,डी की डिग्री थी लेकिन वे फ़िर भी पैसों के लिए संर्घष ही कर रहे थे, उनका खुद का भी मानना था कि वे लिये बहुत ज्यादा मेहनत करनी पङती है, वहीं दूसरी तरफ़ उनके अमीरकभी अमीर नही बन पाएंगे। वे हमेशा कहते थे मैं पैसे में दिलचस्पी नहीं रखता। बिल पे करने के पिता खुद के लिए पैसा बनाने में विश्वास करते थे. लेखक ने ऎ सब 9 साल की उम्र में लिखा था जब उनको ये एहसास हुआ की उनके अमीर पिता की पैसों को लेकर जानकारी उनके गरीब पिता से जादा है, लेखक ने अपने अमीर पिता से ऎ सीखा था की कभी किसी चीज के लिए ना नही बोलना चाहिए, मतलब कभी भी ये नही बोलना चाहिए कि मैं मंहगी चीजें नही खरीद सकता,बल्की ये सोचना चाहिए की मैं इसे कैसे खरीद सकता हुं,ऎसा सोचने से उम्मीद बङती है,हमारे सपनो को बङावा मिलता है. लेखक ने इस बात को एक उदाहण से से समझाते हैं की जब वो और उनके दोस्त माईक उनके अमीर पिता के पास नौकरी के लिये गए थे तो वे उन्हे कम पैसे देते थे ताकि उनके मन में नाइन्साफ़ी वाली भावना आऎ ओर उनको ऎ एहसास हो की खुद के लिये काम करना कितना जरुरी है, न की दूसरों के लिये काम करना, वे कहते हैं कि इस बात पर ध्यान मत दो की तुम कितनी चीजें ले पाते हो बल्कि इस बात पर ध्यान दो की तुम उस पैसे का तुम क्या करते हो,जब कोई ये कहता है कि मैं नही खरीद सकता तो उसका दिमाग बंद हो जाता है,वे पैसा निवेस में माहिर थे,उनका मानना था की सब बुराईयों की जङ पेसों की कमी है,वही उनके गरीब पिता का मानना था की पैसों ही सब बुराई की जङ है, अमीर पिता का मनना था कि जोखिम लेने से डरे नही बल्की जोखिम को कैसे दूर करें ये सीखें।
1.अध्याय -रिच डैड पुअर डैड –
रर्बट कियोसाकि और माइक की कहानी 1956 में हवाई से शुरु हुई जब वे दोनो 9 साल के थे,दोनो दोस्तों ने खाली टूथ पेस्ट के ट्यूब को गलाकर उससे सिक्के बनाने क बिजनेस शुरु किया,तब उनके अमीर ने कहा की ये काम गैर कनूनी है,तब उन्होने दोनो दोस्तों को अपने पास काम दिया, वे उन्हे कम पैसे देते थे ताकि वे खुद के लिये काम करना सीखें न कि दूसरों के लिए,अमीर पिता ने एक मीटिंग में उन दोनो से कहा या तो वे उन्हे पूरी पेसे देंगे या जरुरी सीख, दोनो दोस्तों ने सीख को चुना,अमीर पिता ने उन्हे ये सीख दी की चूहे के दौङ से वे बाहर निकलें , या तो थोङे पैसे के लिये काम करें जिससे दूसरे कि जेब में पेसे जायेंगे या दूसरों से मेहनत करा कर खुद पेसे कमायें, ये सबसे महत्वपूर्ण सीख थी। बिजनेस वो है जहां मेरा होना जरुरी नही उसको चलाने वाले दूसरे होते हैं,अगर मुझे वहां काम करना पङे तो वो मेरे लिये बिजनेस नही नौकरी है।
2.अध्याय -अमीर लोग पैसे के लिए काम नहीं करते यहां उन लोगों की बात करते हैं जिन्हे जोखिम उठानाकभी सिखाया ही नही गया इस लिये वे जोखिम उठाने से डरते हैं, गरीब और मध्यम वर्ग के लोग पैसे और डर की वजह से काम करते है उनका ये लालच उनको और गरीब बनाता है, मौका आता-जाता है लेकिन सिर्फ़ अमीर लोग उसका फ़ायदा उठा पाते हैं,पैसा 24 घण्टे काम करती है,और भविष्य तक काम करती है अगर आप पैसे के लिये काम कर रहे है तो आप ताकत अपको काम देने वाले के हांथ में दे रहे हो, लेकिन अगर पैसा आपके लिये काम कर रही है तो ताकत और नियंत्रण आपके हांथ में होगा।
3.अध्याय -पैसे की समझ क्यों सिखाई जानी चाहिए
पैसों की समझ होना बहुत जरुरी है अगर आपको अमीर बनना है,सम्पति(Asset) क्या होती है, दायित्व(Liabilities) क्या होता है ये पता होना चाहिये, व्यय क्या होता है ये पता होना जरुरी है। इसी कारण रार्बट के पिता बहुत जादा पढे-लिखे होते हुए भी पैसे बचा नही पाए, उल्टा कर्ज में डूब गये। अमीर लोग संपत्ति इकट्ठा करते हैं और गरीब, मध्यमवर्गिय लोग दायित्व इकट्ठा करते हैं लोगों को ये समझ नही आता की जब वो एक नया घर ले रहे हैं यह उनकी संपत्ति है या दायित्व। घर खरीदना एक दायित्व है क्योंकि इसमे हमारे पैसे खर्च होते हैं नाकि यहां से हमें पैसे मिलते हैं राबर्ट के पिता जितना कमाते थे उतना खर्च कर देते थे, सम्पत्ति उनके पास बहुत कम थी, दायित्व उनके पास बहुत जादा थी। आज लोगों को थोङा अंतर समझ आने लगा है कि पैसे को संपत्ति खरीदने में लगाना चाहिए नाकि दायित्व, इसलिये कुछ लोगों ने म्युचियल फ़ंड और स्टाॅक मार्केट में पैसा लगाना शुरु कर दिया है। निवेश बङी है इसलिए स्टाॅक मार्केट में इतनी तेजी देखने को मिल रही है।
4.अध्याय -अपने काम से काम रखो अमीर लोग अपनी संपत्ति पर ध्यान देते हैं जबकि दूसरे लोग अपने इनकम के स्टेटमेंट पे, उन्होने McDonalds का उदाहरण देते हुए कहा की ये कंपनी बहुत अच्छे बर्गर नही बनाता लेकिन इसकी बिक्री बहुत जादा है। संपत्ति बनाने के लिये खुद के लिए काम करना चाहिये न की कंपनी के मालिक के लिये,लोग पहले मालिक के लिए काम करते हैं, फ़िर सरकार के लिए टैक्स भर के, फ़िर बैंक के लिए काम करते हैं उसमे पैसे जमा कर के। लोगों को पैसे की तंगी इसी लिए होती है क्योंकि वे पूरी जिंदगी दूसरों के लिए काम करते हैं। कुछ लोगों के पास अपने लिए कुछ नही बच पाता। अपनी संपत्ति बनाने पे ध्यान दें, ऎसे जगह निवेश करें जहां आप पैसे(संपत्ति) बना सके।
5.अध्याय -टैक्स का इतिहास और काॅर्पोरेशन की ताकत लेखक के अमीर पिता ने स्मार्ट तरीके से काॅर्पोरेशन कि मदद से पैसा बनाया, गरीब लोग काॅर्पोरेशन के हांथो खुद को स्तमाल करवाते हैं, जबकि अमीर लोग काॅर्पोरेशन की मदद से मशीन स्तमाल करते हैं,क्यूकि अमीर लोगों के समझ होती है कि काॅर्पोरेशन की ताकत का स्तमाल कैसे करें। मध्यवर्ग लोग पैसे कमाते हैं फ़िर टैक्स भरते हैं और जो कुछ बचता है उसपर गुजारा करते हैं, वहीं काॅर्पोरेशन पैसा कमाता है जितना चाहे खर्च करता है फ़िर जो बचता है उससे टैक्स भरता है। इसलिए लेखक लोगों के वित्त की समझ को बङाने पर जोर देता है। हम सभी में ताकत है आगे बढने की लेकिन खुद पर भरोसा ना होने के कारण हम आगे नही बङ पाते।
6.अध्याय -अमीर लोग पैसे का आविष्कार करते हैं असल जिन्दगी में स्मार्ट इन्सान आगे नही बङता बल्की बोल्ड इन्सान आगे बङ जाता है,लेखक का कहना है की हर इन्सान प्रतिभा के साथ पैदा होता है, लेकिन डर और खुद पर संदेह भी होता है,जरुरी नही की स्मार्ट और पढा-लिखा इन्सान ही सफ़ल हो,बल्कि जो बोल्ड और साहसी हो वोआगे बङता है। पैसे हो के बावजूद लोग मौके को पहचान ही नही पाते और कुछ होने का इंतजार करते रहते हैं। वे किस्मत पर भरोसा होता है। पैसे का इंतजार नही बल्की उसे बनाने की कोशिश करनी चाहिए,दुनिया आपको कई बार मौका देती है,लेकिन हम उसे देखने में फ़ेल हो जाते हैं, क्यूकि बङा मौका खुली आखों से नही बल्कि खुले दिमाग से देखी जाती है। लेखक ज्यादा बध्दिमान लोगों को अपने साथ काम पर रखने के लिए कहते हैं ताकि उनके ज्ञान का फ़यदा उठा कर अपना ज्ञान बङा सकते हैं।
7.अध्याय -सीखने के लिये काम करें न कि पैसे के लिए
लेखक कहते हैं कि उनके गरीब पिता जो की बहुत पढे-लिखे थे उनके लिए नौकरी और उससे मिलेपैसे ही महत्वपूर्ण था,और मेरे अमीर पिता के लिए सीखना ही सबसे महत्वपूर्ण था। लेखक हर एक व्यक्ति को अपने वित्त से जुङे कौशल को बङाने के लिए प्रेरित करते हैं। वे एक एसी लङकी का उदाहरण देते हैं जिसके पास इंग्लिश लिटरेचर मास्टर डिग्रि थी, लेकिन उसे सेल्स एवं मार्केटिंग सीखने को कहा गया,उसने कभी ये नही सोचा था की उसे डिग्रि लेने के बाद सेल्स एवं मार्केटिंग सीखनी पडगी। वो इस पेशे को अच्छा नही समझती थी। लेखक लोगों से ये कहना चाहते हैं की अपने क्षेत्र से हट कर भी कौशल सीखना चाहिए। जो आपको पैसे बनाने में मदद करे। कुछ लोगों के पास वैज्ञानिक ज्ञान का भंडार है लेकिन वे संचार कौशल (Communication Skill) में फ़ेल हो जाते हैं ये ऎसे लोग हैं जो धन से सिर्फ़ एक कदम दूर हैं.
8.अध्याय -बाधाओं को पार करना अमीर और गरीब लोगों में बस इतना ही फ़र्क होता है की किस तरह वे अपने डर को संभालते हैं, लेखक का मानना है की ऎसे 5 कारण है जिसके कारण धन को लेकर अच्छा ज्ञान रखने वाले भी अपनी संपत्ति को संभाल नही पाते हैं- 1.डर, 2.आलस, 3.बुरी आदत, 4.घमंड, 5.उदशी। डर लगना स्वाभाविक है महत्वपूर्ण बात ये है की कोइ इसे कैसे संभालता है। लोगों को अपने पैसे खोने का डर पैसे कमाने से ज्यादा होता है।
9.अध्याय -शुरु करना इस अध्याय में अपने खुद के धन को बनाने के उपाय हैं- 1.लोगों को ऎसे दोस्त बनाने चाहिए जो धन के बारे में प्रोत्साहित करते हैं। लेखक का मानना है की जीवन में एक हीरो होना जरुरी है जो आपको प्रोत्साहित करे। 2. लोग खुद को देना (Pay)नही करना चाहते,लेखक कहते हैं की खुद को पहले देना चाहिए। 3. जो आपके पास है उसके प्रति उदार रहो,दुनिया मे ऎसी ताकत है जो हमसे ज्यादा स्मर्ट है दूसरे की ताकत से हम वहां पहुंच सकते हैं,आप उदार(Generous)रहोगे तो दूसरे भी आपके प्रति उदार रहेंगे.
10.अध्याय – और ज्यादा चाहिए
लेखक ये उम्मीद करता है की इस किताब की सीख का स्तमाल कर के हम सब बहुत अमीर बने और हमारी जिन्दगी खुशी के साथ बहुत शानदार हो।
आपको नये योजनाए बनाने चाहिये,ऎसे लोगों के योजनाओ से सीखना चाहिए जो आप को प्रोत्साहित करे, सेमिनार में जायें, टेप खरीदें,सीखने के लिए कोर्स करें ये आपके सीखने की ताकत(Learning Power) को बङाता है. कर्मचारी होना सीमित सोच है खुद के लिये काम करें। अमीर बनने के लिए खुद की प्रणाली(System) बनानी चाहिए.लेखक कहते है हम सब को एक बङा गिफ़्ट मिला है ‘दिमाग’ और ‘समय’ ये अपने उपर है की आप दोनो के साथ क्या करते हैं। धन आपके हांथ में आता है तो ये आपके उपर है की आप इसे खर्च करें या निवेश करें।
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