
सर्वप्रथम चाल्स मेसन ने सिंधु घाटी सभ्यता को नगरीय सभ्यता कहा था, और कनिघम ने इसे कुषाण कालीन सभ्यता होने का अनुमान लगाया। सर जान मार्शल ने इन स्थानों का व्यवस्थित उत्खनन आरम्भ करवाया एवं इसे मिश्र, मेसोपोटामिया की सभ्यता के समकालीन बताया साथ ही इसका नामकरण भी किया।
नामकरण- इसकी खोज सर्वप्रथम 1921 में हुई, चूंकि हड़प्पा की खोज सर्वप्रथम हुई, इसलिए इसे हड़प्पा संस्कृति कहा जाता है। आरम्भिक उत्खनन सिंधु नदी के आस- पास हुई इसलिए इसे मार्शल द्वारा सिंधु घाटी सभ्यता कह कर पुकारा गया।
विस्तार-
* अफगानिस्तान – पूर्वी भाग
* भारत – उत्तर-पश्चिम भाग ( गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, जम्मू- कश्मीर )
* पाकिस्तान – सम्पूर्ण भाग
आकार-
* त्रिभुजाकार क्षेत्र में विस्तृत रूप से फैला है।
* भारत में – मांडा – उत्तर दिशा, आलमगीरपुर- पूर्व, दैमाबाद- दक्षिण* पाकिस्तान- सुतकागेंडोर ( बलूचिस्तान- पाक सीमा )
क्षेत्रफल-
* लगभग 13 लाख वर्ग किलोमीटर ( 12,99,600 किमी )
* समकालीन मिश्र या सुमेरियन सभ्यता से अधिक विस्तृत क्षेत्र में फैली थी।
काल या समयावधि-
* कार्बन-14 के अनुसार- 2300-1750 ईसा पूर्व ( वैज्ञानिक मान्यता )
* जान मार्शल के अनुसार- 3250-2750 ईसा पूर्व
* सामान्यतः- 3000-1500 ईसा पूर्व खोज- रायबहादुर दयाराम साहनी
राजधानी-जुड़वाँ राजधानी-1 मोहनजोदड़ो 2 हड़प्पा
प्रमुख नगर-

सात स्थानों को नगर की संज्ञा दी जाती है–
1- हड़प्पा | पाकिस्तान |
2- मोहनजोदड़ो | पाकिस्तान |
3- चन्हूदड़ो | पाकिस्तान |
4- कालीबंगा | राजस्थान |
5- बनवाली | हरियाणा |
6- धोलावीरा | गुजरात |
7- लोथल | गुजरात |
अन्य नगर- 8- रंगपुर 9- सुतकोतड़ा 10- रोपड़ | गुजरात गुजरात पंजाब |

1.हड़प्पा-
* खोज – 1921 में जान मार्शल के नेतृत्व में दयाराम साहनी द्वारा
* स्तिथि – रावी नदी के तट पर, जिला- मांटगोमरी, प्रांत- पंजाब, पाकिस्तान
* विशेष – सिंधु सभ्यता का दूसरा बड़ा नगर व द्वितीय राजधानी
* खोज से प्राप्त सामग्री-
1. अन्नागार – दो कतारों में कुल 12 अन्न भंडार ( धनकोठार )
2. दो प्रकार के कब्रिस्तान – R-37 व H
3. पकी मिटटी की स्त्री – मूर्तियां बड़ी संख्या में प्राप्त, सम्भवतः यह पृथ्वी देवी की मूर्ती है
4. एक योगी की मूर्ती
5. दो पुरुष अर्ध मूर्ती, कांस्य की इक्का गाड़ी व श्रमिक आवास
6. टीले का नाम माउन्ट अब एवं F
7. जले हुए गेहूं, जो एवं भूसे के तिनके
8. एक बर्तन पर बना मछुवारे का चित्र
9. संख का बना बैल आदि
* गाय, घोडा – मृमूर्तियों का आभाव * पश्चिम – दुर्ग, पूर्व – निम्न
2- मोहनजोदड़ो-
( यूनेस्को के विश्व विरासत सूची में शामिल ) * खोज – 1922 में राखालदास बनर्जी द्वारा * स्तिथि- सिंधु नदी के तट पर, जिला – लरकान, प्रान्त – सिंध, पाकिस्तान * विशेष – हड़प्पा सभ्यता की राजधानी व सबसे बड़ा नगर, इसे सिंध बाग़ व नखलिस्तान कहते हैं। * पकी ईंट का प्रयोग 4 : 2 : 1* खोज से प्राप्त सामग्री-1.अन्नागार – सबसे विशाल भवन 2.वृहद स्नानागार – तात्कालिक विश्व का आश्चर्यजनक निर्माण ( मार्शल )3.पुरोहित आवास एवं सभा भवन 4.नृत्यांगना नारी की मूर्ती ( कांस्य )5.शतरंज 6.पशुपति शिव पद्मासन मुद्रा 7.भैंस, गैंडा, हिरन, हांथी, बाघ, घड़ियाल, मछली
3- चन्हूदड़ो-
खोज- गोपाल मजूमदार ( खोज के दैरान मृत्यु ) 1931स्तिथि – सिंधु नदी के तट पर, सिंध पाकिस्तान विशेष – सिंधु घाटी सभ्यता का औद्धोगिक नगर, किसी भी दुर्ग का अवशेष नहीं मिला, चन्हुदडो एक मात्र पुरास्थल है जहां से वक्राकार ईंटे मिलती हैंप्राप्त सामग्री-1.गुड़िया एवं मनका निर्माण के कारखाने के अवशेष 2.झूकर एवं झांगर संस्कृति के साक्ष्य प्राप्त हुए ( पूर्व हड़प्पा संस्कृति )3.प्रसाधन सामग्री के साधन
4- कालीबंगा-* खोजकर्ता – अमलानंद घोष, बी बी लाल, बी के थापर ( 1953 )* स्तिथि – राजस्थान के घघ्घर नदी के तट पर, जिला – गंगानगर * विशेष – जुटे हुए खेत के साक्ष्य, कुछ विद्वानों ने इसे सैंधव सभ्यता की तीसरी राजधानी माना है* खोज से प्राप्त सामग्री – 1.यज्ञ वेदिकाएं या हवन कुंड 2.कच्ची ईंटों के साक्ष्य और नक्कासीदार ईंट 3.सिंधु डिजाइन वाली बेलनाकार मुहरें 4.अलंकृत फर्श 5.हल रेखा 6.खिलौना गाड़ी के पहिये 7.चना एवं सरसों के खेत 8.भूकंप के प्राचीनतम साक्ष्य का प्रमाण
5- बनवाली-* खोजकर्ता – रविंद्र सिंह विष्ट (1973 )* स्तिथि – हिसार जिला , हरियाणा * नगर योजना – शतरंज के बिसात या जाल के आकर की * विशेष – मिटटी का खिलौना हल, अच्छे किस्म के जो के साक्ष्य
6- धोलावीरा-* खोजकर्ता – R.N. veest एवं जगपति जोशी ( 1990-91 )* स्तिथि – गुजरात, जिला – कच्छ * विशेष – नवीनतम स्थल एवं इसे भारत में स्थित सिंधु घाटी सभ्यता का सबसे बड़ा नगर मन गया ( क्षेत्रफल के आधार पर )* अवशेष – बाँट, लिपिगत लेख, सोने के छल्ले, चुने पत्थर से निर्मित स्थापत्य नमूने, झुकड़ शैली के बर्तन प्राप्त
7- लोथल-* खोजकर्ता – रंगनाथ राव ( 1954-55 )* स्तिथि – भोगवा नदी के तट पर, जिला – अहमदाबाद ( गुजरात )* विशेष – बंदरगाह शहर, औधोगिक नगर यहाँ मिश्र और मेसोपोटामिया से जहांज आते थे यह छह खंड में विभक्त था * खोज से प्राप्त सामग्री-1.नाव 2.गोड़ीबड़ा 3.धान की भूसी 4.कौआ एवं लोमड़ी का चित्रित मृदभांड 5.युगल शवाधान 6.मनके की दुकाने 7.हांथी दांत का पैमाना 8.फारस की खाड़ी की मोहर 9.घोड़े की संदिग्ध मूर्ती ( टेराकोटा )10.अन्न पीसने की चक्की 11.घोड़ों की मृण्मूर्तियां 12.दिशा मापन यंत्र *यहां अग्नि पूजा की परम्परा थी ( अग्निदेव के साक्ष्य )
8- रंगपुर-
* खोजकर्ता – A रंगनाथन राव ( 1953-54 )* स्तिथि – गुजरात, भादर नदी के समीप * विशेष – चावल ( धान ) के साक्ष्य , कच्ची ईंटों के दुर्ग, बाँट आदि
9- सुतकोतड़ा- *खोजकर्ता – जगपति जोशी ( 1964 )* स्तिथि – गुजरात, जिला – कच्छ * विशेष – घोड़े की हड्डी
10- रोपड़-
* खोजकर्ता – बी बी लाल (1950 )
* स्तिथि – पंजाब, जिला – रोपड़
* विशेष – स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात सर्वप्रथम खोजै गया
* खोज से प्राप्त सामग्री – कुत्ते का मालिक के साथ दफनाने का साक्ष्य, ताम्बे की कुल्हाड़ी, आभूषण, चार्ट आदि
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