
औरंगज़ेब मुग़ल साम्राज्य के एक मशहूर शासक थे, उनका शासन 1658-1707 ईस्वी तक था। वे शाहजहां और मुमताज महल के पुत्र थे। औरंगजेब इस्लाम धर्म के नियम को गंभीरता से पालन करते थे, उन्होंने अपने राज्य में मनोरंजन और शराब आदि पर प्रतिबन्ध लगाया था। ( औरंगजेब खुद एक अच्छे वीणा वादक थे ). उन्होंने कई कर लगाए, जिसमे धार्मिक कर भी थे जो गैर मुसलमानो के साथ- साथ मुसलमानो पर भी लगाए गए।
हर शासक/राजा की तरह उनकी कुछ नीतियां अच्छी थी कुछ बुरी, फिर भी उनको एक तानाशाह और एक निर्दयी शासक की तरह देखा जाता है। हमेशा से उनके इतिहास को अधूरा बताया जाता रहा है, और यह इतिहास के साथ न्याय नहीं है।
सबसे ज्यादा चर्चा उनके मंदिर तोड़ने को लेकर की जाती है। औरंगजेब के मंदिर तोड़ने के इतिहास को बड़ाचढ़ा कर बताया जाता है, लेकिन उनके मंदिर और मठ बनवाने, संतों और मंदिरों को दान देने वाले इतिहास के बारे में शायद ही किसी को पता है। मैंने भी इतिहास में वैसा ही पड़ा था जैसा आप औरंगजेब के बारे में पड़ते हैं। जब मैंने उनकी अच्छी नीतियों, और दान- धर्म के बारे में पड़ा और सुना तो मेरी नजरों में उनकी छवि बदल गई। आपको भी जानना चाहिए। इतिहास जैसा है उसे वैसा ही स्वीकार करना समझदारी की निशानी है।
# तुर्कियों/ मुगलों ने कितने मंदिर तोड़े?
रिचर्ड ईटन ( Richard Eaton ) एक नामी इतिहासकार ( Historian ) के मुताबिक 1192 से 1729 ईस्वी के बीच जिस दौरान ज्यादातर तुर्कियों का राज भारत में था, उस समय उपलब्ध साक्ष्यों के आधार पर 80 मंदिर तोड़े गए। लेकिन लोग इसे सैंकड़ों में बताते हैं जो सच नहीं हैं।
सभी 80 मंदिर औरंगजेब ने नहीं तोड़े कुछ दिल्ली सल्तनत के सुल्तानों ने और कुछ मुग़ल शासकों ने, यहाँ तक की कुछ हिन्दू राजाओं ने तोड़े जिसमे –
* हल्लूर( Hallur ) कर्नाटक में मेगुडी ( meguti ) मंदिर जो की पहले एक जैन मंदिर था, जिसमे जिन/जिनेन्द्र की मूर्ती को तोड़कर एक शिव मंदिर बना दिया गया।
* 11 वीं शताब्दी में कश्मीर के राजा हर्ष ने मंदिरों की मूर्तियों को तोड़ने के लिए एक अफसर को नियुक्त किया था, और बाकायदा उसे एक उपाधि भी दी थी ‘दैवीय मूर्तियों को तोड़ने वाला’। यह जानकारी कल्हण की ‘राजतरंगिणी’ में उनके समय के एक व्यक्ति उदयराज को मिली।
रिचर्ड ईटन के अनुसार औरंगजेब ने और उनके अहद में कुल मिलकर 10 मंदिर तोड़े गए। अगर 10 मंदिर तोड़े तो कुछ मंदिर उसने बनवाये भी।
2021 में NCERT को RTI दाल डाला गया की उनकी किताब में जहाँ लिखा था की औरंगजेब ने अगर मंदिर तोड़े तो मंदिर बनवाये भी। तब NCERT को भी यह बात नहीं पता थी।
# औरंगजेब ने कितने मंदिर बनवाये और दान दिए?

औरंगजेब के सानिध्य में दो मंदिर बने और एक मंदिर के लिए उन्होंने नकार खाना भी बनाया। इसके अलावा उन्होंने एक मठ को भी बनवाने में मदद की और एक मंदिर को दुबारा बनवाने ( Reconstruction ) में भी मदद की। औरंगजेब के कई ऐसे फरमान उपलब्ध हैं जिन्हे उन्होंने जारी किये, किसी मंदिर की रखरखाव के लिए या फिर किसी साधू संत को दान देने के लिए। आईये इसे विस्तार से जानते हैं-
1. सबसे पहले मंदिर जो औरंगजेब के सानिध्य में बना वो था गोपीनाथ मंदिर, गोप माओ ( gopamau ) जो उत्तरप्रदेश के हरदोई जिले में है, 1891 ईस्वी के पुरातात्विक सर्वेक्षण से एक संस्कृत शिलालेख ( Inscription ) से ये पता चलता है की नौनिद्ध राय ने 1699 ईस्वी में औरंगजेब के सानिध्य में गोपीनाथ का मंदिर बनवाया और उसी में एक टैंक भी बनाया। सर्वे के मुताबिक यह एक शिव मंदिर है जहाँ शिवलिंग काले पत्थर में बना है जिन्हे भगवान् गोपीनाथ भी कहा जाता है।
2. उत्तरप्रदेश में चित्रकूट का बालाजी मंदिर भी औरंगजेब के सानिध्य में बना है। इस मंदिर में आज भी औरंगजेब का 1691 ईस्वी का फरमान मौजूद है जो उस समय मंदिर के महंत बालकदास निरवानी को दिया गया था। इसको मध्यकालीन भारतीय इतिहास के तीन नामी इतिहासकार ( historians ) इरफ़ान हबीब, शिरीन मूसवी ( shrireen moosvi ), और अथर अली ( Athar Ali ) ने जाँच परख कर औरंगजेब का ही जारी किया हुआ बताया है। यह फरमान जीवनभर ( life time ) के लिए था मतलब महंत के बाद उनके परिवार तक मन जायेगा, इस फरमान में मुग़ल मोहर भी है।
इतिहासकार सुशील श्रीवास्तव अपनी किताब ‘डिस्प्यूटेड मास्क’ ( disputed mask ) में बताते हैं वे चित्रकूट के बालाजी मंदिर गए 1980 के दशक में तब वहां के महंत ने बताया की ये मंदिर औरंगजेब ने ही बनवाया था और बाकायदा इसकेलिए एक अफसर गैरत खान को भी नियुक्त किया था ताकि मंदिर का निर्माण सही तरीके से हो सके।
यह जानकारी चित्रकूट के प्रोफेसर थापर भी देते हैं, इस मंदिर की बनावट में भी काफी मुग़ल चारचार है। इसे बांग्ला रूफ ( छत ) भी कहा जाता है, और यह मुग़ल शैली ( style ) जहांगीर के समय से प्रसिद्ध है। आगरे का लाल किला का खास महल भी बांग्ला रूफ शैली ( Bangla roof style) में ही बना है।
3. इन दो मंदिरों के अलावा भी औरंगजेब ने मथुरा के दाऊजी महाराज मंदिर का नक्कारखाना भी बनवाया, यह जानकारी इसी मंदिर में गड़ी एक शिलालेख ( Inscription ) से मिली है। संवत 1729 यानी 1672 ईस्वी में औरंगजेब ने यहाँ का नक्कारखाना बनवाया और पांच गांव की जागीर भी मांफी के तौर पर दी, मतलब इस गांव के कर ( Tax ) मंदिर को ही जायेंगे। नक्कारखाना याने ढोल- नगाड़ा बजाने की जगह।
बाद में इस फरमान को मुग़ल बादशाह शाह आलम II ने इसे बढ़ा दिया, पांच गांव की जगह साढ़े सात गांव के कर मंदिर को दान में दिए और महावन परगना जहाँ यह मंदिर है उसके हर एक गांव से दो रूपए भी मंदिर को देने का फरमान जारी किया।
4. औरंगजेब ने 1685 ईस्वी में बनारस के कुमारस्वामी मठ से जुड़ा केदारनाथ मंदिर को भी दुबारा बनवाया जिससे तीर्थ यात्री यहाँ सामान्य रूप से आ सकें।
5. 1980 ईस्वी में ऐसे कई फरमान बी एन पांडे जो उड़ीसा के गवर्नर भी थे उन्होंने खुद इकठ्ठा ( collect ) किये और इतिहासकारों से सत्यापित ( verify ) भी करवाए जिसमे औरंगजेब ने मठ और मंदिर के लिए दान दिए।
बी एन पांडे ने अपनी किताब Islam- and indian culture में लिखा है की इलाहाबाद में जब वे नगरपालिका के चैयरमेन थे तब उनके पास सोमेश्वर नाथ महादेव मंदिर का संपत्ति विवाद ( property dispute ) आया, मंदिर के महंत की मौत हो चुकी थी, उनकी सम्पति पर दो लोग हक़ जाता रहे थे।
उनमे से एक के पास औरंगजेब का दिया फरमान था, उन्होंने डॉ तेज बहादुर सप्रू ( Dr tej bahadur sapru ) से जाँचकरवाई जो फ़ारसी और अरबी के विद्वान थे फरमान ओरिजिनल पाया (Original ) . फिर उन्होंने दूर – दूर के मठों, मंदिरों को पत्र भेजे की अगर उनके पास भी औरंगजेब के जारी किये गए फरमान हों तो उन्हें भेजें तब काफी सारे फरमान हांसिल हुए।
एक फरमान है उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर के जो औरंगजेब के अहद में मालवा के सूबेदार ने जारी किये थे, ये औरंगजेब के बादशाहत के 7 वे से लेकर 48 वे साल के बीच जारी किये, कई फरमान हैं जो महाकालेश्वर मंदिर से जुड़े ब्राह्मण परिवार को जारी किये गए।
6. शाहजहां के आड़ में भी महाकालेश्वर को दान देने का रिकॉर्ड है, जहाँ शाहजहां के सबसे छोटे बेटे और औरंगजेब के भाई मुराद बख्स ने महाकाल मंदिर के महंत को देवनारायण के कहने पर 1655 ईस्वी में मंदिर को हर दिन चार शेर घी मुहैय्या करने का हुक्म दिया ताकि मंदिर का दीप प्रज्ज्वलित रह सके, और यह फरमान औरंगजेब ने भी जारी रखा।
7. गुवाहाटी आसाम के उमानंद मंदिर के पुजारी सौदाम/सौदामन ब्राह्मण और उनके बेटे को भी औरंगजेब ने दान दिए 1667 ईस्वी में औरंगजेब ने गुवाहाटी पर कब्ज़ा करने से पहले इस मंदिर की जो दान मिलता था उसे औरंगजेब ने जारी रखा।
8. वृन्दावन के मदन मोहन मंदिर के पुजारी के कहने पर मंदिर की गाये को करमुक्त ( Tax free ) ग्रेस करने के लिए अधिकार मिला, बंदरूबी, मानसरोवर, बेगमपुर और पिपरिया गांव में।
9. इतिहासकार ( historian ) जे एस ग्रेवाल के मुताबिक सिख गुरु हरराय के बेटे रामराय को औरंगजेब ने देहरादून में करमुक्त ( Tax free ) जमीन ग्रैंड भी दिया।
10. औरंगजेब ने कई फरमान जैन मंदिर मंदिरों और संतों को भी दिया। शांतिदास जवाहरी एक जैन श्रावक को औरंगजेब ने इनाम के तौर पर शत्रुंजय के जैन मंदिर के साथ – साथ पालीताना पहाड़ के गांव और उनके करों ( tax) को भी दिए। शत्रुंजय गुजरात में है और यह फरमान यह कहता है की जो भी शत्रुंजय मंदिर की देखभाल करेगा उसको पालीताना की आय (income ) मिलेगी ताकि वह राज्य की खुशहाली के लिए दुआ कर सके।
11. शांतिदास को माउन्ट आबू और गिरनार के जैन मंदिर के साथ – साथ उनकी देखरेख के लिए गिरनार और माउन्ट आबू के कर (Tax) भी दिए जायेंगे।
जैन कवी रामचंद्र ने 1720 विक्रम संवत में अपनी किताब राम विनोद में लिखा – “मुग़ल बादशाह औरंगजेब मर्दाना और महाबली हैं और उनके अहद में मैंने यह किताब सुख और चैन से लिखी।”
निष्कर्ष – औरंगज़ेब की नीतियों ( policies ) का अंदाजा हम उनके अहद की लिखी हुई दस्तावेज ( document ) से भी लगा सकते हैं। राणा राजसिंह 1654 ईस्वी मेवाड़ के राजपूत राजा को औरंगजेब ने एक निशान में लिखा की-
“बादशाह का दायित्व होता है धार्मिक सद्भावना ( Religious Harmony) बनाये रखना, अगर कोई शासक दैविक संस्थान को तोड़ता है तो वह निंदनीय है।”

Note- ये सभी जानकारियां (Information) हमने इतिहासकार रुचिका शर्मा के बताये स्त्रोतों (Source ) से लीं हैं । अगर कोइ जानकारी गलत लगे तो आप हमें कमेंट(Comment) कर सकते हैं,हम इसे अपडेट करते रहेंगे। आपको हमारी आर्टिकल अच्छी लगती हैं तो आगे भी पड़ते रहें और इसे शेयर(share) करें।
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