
सिंधु घाटी/ हड़प्पा सभ्यता के बारे में मान्यता –
1. क्या सिंधु घाटी/ हड़प्पा सभ्यता की लिपि ( Script ) को पढ़ने ( decode ) के बाद कोई रहस्य खुल जायेगा? 2. क्या सिंधु घाटी/ हड़प्पा सभ्यता एक शांत ( quiet) नगर था? 3. क्या सिंधु घाटी/ हड़प्पा सभ्यता के लोग घोड़े रखते थे, घोड़े मिले हैं? 4. क्या सिंधु घाटी/ हड़प्पा सभ्यता में रथ ( Chariot ) मिले हैं? 5. क्या सिंधु घाटी/ हड़प्पा सभ्यता में सामाजिक अंतर ( Social differences ) था, जातिगत अंतर ( Cast System ) था? 6. क्या सिंधु घाटी/ हड़प्पा सभ्यता के लोग देवी की पूजा किया करते थे/देवी माँ की मूर्ती मिली है? 7. क्या सिंधु घाटी/ हड़प्पा सभ्यता में शिव और शिवलिंग मिले हैं, और हवन कुंड मिले हैं? 8. क्या सिंधु घाटी/ हड़प्पा सभ्यता का अंत एक बड़ी सी बाढ़ आने से हुई? |
1. क्या सिंधु घाटी/ हड़प्पा सभ्यता की लिपि ( Script ) को पढ़ने ( decode ) के बाद कोई रहस्य खुल जायेगा?
यह मन जाता है की हड़प्पा/ सिंधु घाटी सभ्यता की लिपि किसी भाषा से सम्बंधित है या किसी भाषा को Correspond करती है। लोग मानते हैं की अगर हम सिंधु/ हड़प्पा सभ्यता की लिपि ( script ) को पढ़ लेंगे ( decode ) तो हम सिंधु/ हड़प्पा के बारे में काफी कुछ जान जायेंगे, उसके रहस्य उजागर हो जायेंगे ( mystery will be unlocked ).
यह भी मन जाता माना जाता है यह लिपि ब्राह्मी या देवनागरी का ही प्रारंभिक रूप (earliest form) थी, और ये भी मानाजाता है इस लिपि में सिंधु घाटी सभ्यता के लोगों ने किताबें भी लिखीं हैं। ये साडी बातें गलत बातें गईं हैं, लिपि से संबंधित कोई किताब नहीं लिखी गईं हैं।

# आप इस चित्र (picture) में देख सकते हैं ये सील ( seal ) बहुत छोटीं हैं लिपि की लाइन औसतन चार से पांच संकेत ( sign) लिए हुए हैं, कुल 417 संकेत ( sign) हैं और सबसे लम्बे विवरण (description ) में 17 संकेत बस हैं। यह चित्रात्मक (pictopgraphic) हैं मतलब चित्र हैं जो संकेत की तरह दर्शाये गए हैं, यह लिपि दाएं से बाये बाएं (right to left ) लिखी गई है। पुरातत्ववेत्ता (archaeologist ) यह कैसे पता करते हैं? लाईन के अंतर (gap) को देख कर, जिस तरफ से आप लिखना शुरू करेंगे वहां अंतर (gap) ज्यादा देंगे और जहाँ पर आप लिखने का अंत करेंगे वहां अंतर (gap) कम होता जायेगा।
दाएं से बाएं लिपि में सिंधु घाटी लिपि फ़ारसी या अरबी लिपि से ज्यादा मिलती है न की अंग्रेजी की रोमन या हिंदी की देवनागरी लिपि से क्यूंकि रोमन व देवनागरी लिपि बाएं से दाएं ( left or right ) कीओर लिखी जाती है। सिंधु घाटी सभ्यता की लिपि का संस्कृत या देवनागरी से कोई सम्बन्ध नहीं है।
# इरावतम महादेवन (Iravatham Mahadevan ) जो एक पुरातत्ववेत्ता (archaeologist ) हैं जिन्होंने काफी काम किया है ये कहते हैं की 1000 से 2000 का सालों का अंतर है सिंधु सभ्यता की लिपि के लुप्त हो जाने में और ब्राह्मी लिपि के आने में, और देवनागरी तो उससे भी बाद की है।
शिला लेखन ( writing on rock ) पद्धति मौर्य सम्राट अशोक से प्रारम्भ हुई, 3 री शताब्दी ( around BCE ) के करीब। सिंधु घाटी सभ्यता की लिपि 1700 BC में लुप्त हो ही गई थी। इसलिए सिंधु सभ्यता की लिपि का कोई लेना – देना ब्राह्मी या देवनागरी लिपि से नहीं है। सिंधु सभ्यता की लिपि को पढ़ना ( decode ) इसलिए भी मुश्किल हो जाती है क्यूंकि यह हो सकता है की यह कोई लिपि हो ही ना, इसलिए ये सिर्फ सील ( seal ) पर ही नजर आतीं हैं, और अगर यह लिपि है भी तो अक्षर ( alphabet ) को सूचित ( denote ) नहीं करता यह एक प्रतीक चिन्ह के रूप में ( logo syllabic ) है।
इसलिए इसे decode करना मुश्किल है और हो भी गई तो भी इससे ज्यादा कुछ जानकारी नहीं मिलेगी, क्यूंकि script- सिर्फ लेखांकन (accountig),(pahchaan) पहचान (identification ), कटियन (cation) के लिए इस्तेमाल होता था।
2. क्या सिंधु घाटी/ हड़प्पा सभ्यता एक शांत ( quiet) नगर था?
युद्ध ( war ) और हिंसा ( violence ) सील ( seal ) पर दिखते है-
# एक सील जो कालीबंगा से मिली है इसमें दो योद्धा (worriors) हैं दोनों के हाँथ में भला (spears) है जिससे वे लड़ रहे हैं, उनके बीच में एक देवी ( deity ) खड़ीं हैं जो दोनों के दूसरे हाँथ पकडे हुए है और वे दोनों योद्धा को लड़ने के लिए बढ़ावा दे रहीं हैं।
# रिचर्ड मेडो मानव विज्ञानी, हार्वर्ड (रिचर्ड, meadow Anthropologist, Harvard) कहते हैं की हम युद्ध ( war) और हिंसा ( violence ) की सिर्फ साम्राज्य ( monarchy ) से ही जोड़कर देखते हैं, जहाँ एक सेना होती है जो राजा के लिए लड़ने के लिए तैयार रहती थी।
सिंधु गति घाटी सभ्यता में भी जमीन ( land) और पानी ( water) के लिए युद्ध होते थे, क्यूंकि स्थाई सेना नहीं थी शायद इसलिए युद्ध सामग्री/ हथियार ( weapons) काम मिलीं हैं।

आगे बताते हैं की काम में आने वाले (serviceable ) हथियार (weapons ) मिले हैं जो कॉपर (coper ) से बनीं हैं जैसे चाक़ू (knife) , भाला (spears ), तीर (arroheads )आदि ( etc.)
# इसके अलावा इरावतम महादेवन ( Iravatham Mahadevan) बताते हैं की सुतकोतदा सुतकोतड़ा में मिटटी के गोले ( clay balls) मिलें हैं जो की फोर्ट्स ( forts ) की रक्षा ( defend ) करने के लिए उपयोग में लाई जाती थीं, काफी हड़प्पा sites पर ये मिटटी के गोले मिलीं हैं।
# पुरातत्ववेत्ता शिरीन रत्नागर (Archeaologist shirin Ratnagar ) बतातें हैं 2500 बस BCE से 2300 BCE के बीच काफी तादात में राख(ash) और मलबा (debris )भी मिलें हैं।
3. क्या सिंधु घाटी/ हड़प्पा सभ्यता के लोग घोड़े रखते थे, घोड़े मिले हैं?
जॉनेथन कनेर ( Jonathan kinnair ) बताते हैं की जी घोड़े और गधे के अवशेष मिलें हैं वे भारत के बाहर से आये थे और पालतू घोड़े (domesticated horses ) पश्चिम ( west ) से ही आये हैं लगभग 1500 BCE में, चरवाहे (pastoralis ) आर्यों के साथ। सिंधु घाटी सभ्यता में घोड़े थे ही नहीं यहाँ पशु (cattle ), भेड़ ( sheep ), बकरी (goat) और जंगली भैंस ( water buffalo ) थे।

पालतू घोड़े, गधे, ऊंट ( domestic horse, donkey, camel ) आदि के साक्ष्य मध्य एशिया और उत्तर अफगानिस्तान में मिलें हैं। इसपर भी हड़प्पा के किसी भी स्थल (site) पर घोड़े, गधे के साक्ष्य नहीं मिले अफगानिस्तान के हड़प्पा स्थल (site) पर भी नहीं।
4. क्या सिंधु घाटी/ हड़प्पा सभ्यता में रथ ( Chariot ) मिले हैं?
आस्को परपोला ( Asko Parpola ) एक भारतविद ( Indologist ) बताते हैं की सिनौली में रथ ( chariot ) बिलकुल नहीं मिले हैं, बैलगाड़ी (bull cart ) मिलें हैं, वे गाड़ी (cart) जिन्हे बैल (bull) खींच (pull) कर रहे हैं। पहिये (Spoked wheels) ना होने से ये पक्का हो जाता है की इन गाडिओं ( carts ) को बैल ही खींच रहे थे, क्यूंकि full wheels भरी होते हैं घोड़ों के खींचने के लिए।

परपोला (parpola) के अनुसार सिनौली में की जिस कब्र (grave) में बैल बैलगाड़ी मिले हैं उसकी सर (head/lid) में बैल के सींग (bull horns ) ही बने हैं। आप नीचे दिए चिर चित्र में देख सकते हैं-

हड़प्पा कला में पहिये (spoked wheels ) नहीं मिलते, देहमाबाद, महाराष्ट्र के हड़प्पा स्थल से 2000 BCE से1800 BCE में बैलगाड़ी कॉपर की मिलीं हैं जो परपोला के हिंसाब से सिनौली की बैलगाड़ी से मेल खातीं हैं।
5. क्या सिंधु घाटी/ हड़प्पा सभ्यता में सामाजिक अंतर/ भेद ( Social differences ) था, जातिगत प्रथा ( Cast System ) था?
यह मन जाता है की सिंधु घाटी सभ्यता में सामाजिक अंतर नहीं था,अस्थि ऊतक विश्लेषण ( bone tissue analysis ) से यह पता चलता है, अस्थि ऊतक विश्लेषण ( bone tissue analysis ) यह एक संयोजी उत्तक (connective tissue ) होता हैं जिसके जख्म/ चोट ( ingury) के निशान ( marks) इंसान के कंकाल (skeleton) पर मिलता है, जख्म हिंसा (violence) से ही नहीं बीमारी (disease ) से भी हो सकती हैं और किस तरह की का जख्म हैं इससे पता चलता हैं व्यक्ति को किस तरह की बीमारी रही होगी।
सिंधु घाटी सभ्यता के बारे में शग ग्रे त्रिपाठी और संखयन ने एक स्टडी पब्लिश की है जिसमे हड़प्पा सभ्यता के विशिष्ठ ( Specific ) 160 कंकाल (skeleton) का अस्थि ऊतक विश्लेषण ( bone tissue analysis ) किया गया इस स्टडी के नतीजे से सामाजिक अंतर पे काफी स्पष्टता ( clarity ) मिलती है।
सबसे पहला रिजल्ट ये है की जहाँ गरीब लोगों को दफनाया ( burious ) गया था वहां से मिले कंकाल हैं उनमे पारस्परिक ( Interpersonal ) हिंसा से सम्बंधित काफी चोट ( injury ) हैं, और जहाँ अमीर लोग दफ़न ( burious ) थे, R37 कब्रिस्तान ( cemetery ) में उनमे पारस्परिक ( Interpersonal ) हिंसा के साक्ष्य न के बराबर मिले थे या उपचार किये हुए चोट के निशान (heal tissue injury ) थे। इस परीक्षण से ये भी पता चलता है की पारस्परिक ( Interpersonal ) हिंसा हड़प्पा में उत्तर शहरी काल ( post urban period ) में काफी बढ़( increase ) गए थे, ये उत्तर शहरी काल ( post urban period ) क्या है गिरावट (decline ) के आसपास का समय ( period ).

हड़प्पा में 1900 BCE से 1700 BCE के बीच महिलाएं और बच्चे सबसे ज्यादा पारस्परिक ( Interpersonal ) हिंसा का शिकार हुए। हड़प्पा में एरिया ( area ) G की कब्रिस्तान ( cemetery ) जो की एक सही तरीके के कब्रिस्तान (proper cemetery) नहीं थीं क्यूंकि यहाँ 20 क्रैनियोफेशियल सर्जरी /craniofacial surgery ( सिर, खोपड़ी, चेहरे, गर्दन, जबड़े से सम्बंधित ) मिलें हैं और कुत्ते की रीड़ की हड्डी ( spinal column ) मिली है। शायद ये किसी महामारी का शिकार हुए थे इसलिए उनके अवशेष ( remains ) शहर के बहार सुवर के अवशेषों के बगल में फेंक दिया गया है।
यह पूरी स्टडी ये बताती है की उत्तर शहरी काल ( post urban period ) में नाटकीय और तेजी से सामाजिक अंतर ( Social differences ) आया, जिस दौरान पारस्परिक ( Interpersonal ) हिंसा ( violence ) काफी बढ़ गए। कुछ लोगों के लिए हिंसा का जोखिम ( risk ) ज्यादा और कुछ के लिए कम था, जो अमीर लोग/ उच्च वर्ग के थे उनको उपचार की साड़ी सुविधाएं मिल जतिन थीं। इससे सामाजिक आसमानता का पता साफ़-साफ़ चलता है।
मोहनजोदड़ो और हड़प्पा में अमीर लोगों के रहने के साक्ष्य मिले हैं क्यूंकि कीमती वस्तुएं ( luxury items ) इन्ही दो जगहों से मिलीं हैं। लिंग भेद का पता चलता है लेकिन जति भेद ( cast system ) के कोई साक्ष्य नहीं मिलें हैं।
6. क्या सिंधु घाटी/ हड़प्पा सभ्यता के लोग देवी की पूजा किया करते थे/देवी माँ की मूर्ती मिली है?
जान मार्शल औपनिवेशिक सर्वेक्षक ( colonial surveyor ) और बी बी लाल ( B.B. lal ) पुरातत्ववेत्ता ( archaeologist ) ने यह बात सबसे ज्यादा फैलाया था की सिंधु घाटी सभ्यता से देवी की मूर्ती ( mother Goddess ) मिलीं हैं सिंधु घाटी सभ्यता में देवी की पूजा होती थी। 20 वीं शताब्दी में यह मन जाता था की तुर्क से लेकर पश्चिम एशिया तक देवी की पूजा करने की प्रथा है। जब सिंधु घाटी सभ्यता से महिला आकृति की मूर्तियां ( female figuring ) मिलने शुरू हुई तब माना गया की महिला आकृतियां, पुरुष आकृतियों ( male figuring )से ज्यादा तादाद में हैं।
शरी क्लार्क ( sharri Clark ) हावर्ड की अर्चिओलॉजिस्ट बतातीं हैं की कोई ज्यादा तादात में महिला आकृति नहीं मिलीं हैं। सिंधु घाटी सभ्यता से मिलीं आकृतियों में यौन विशेषताएं ( sexual features ) जैसे – उभरे हुए रूप में स्तन और नितम्ब, देखकर औपनिवेशिक सर्वेक्षकों ( Colonial surveyor ) ने यह मान लिया की ये महिलाओं की आकृतियां होंगी। फिर ये दलील दी जाती है की महिला आकृतियां/देवी को प्रजनन क्षमता को दर्शातीं हैं। इन यौन विशेषताओं ( sexual features ) को बढ़ाचढ़ाकर बताया गया है।
शरी क्लार्क के मुताबिक महिला आकृति पर कोई यौन विशेषताएं ( sexual features ) नहीं हैं, जैसे – मोहनजोदड़ो से मिली महिला आकृति, नृत्य करती ही हुई लड़की (Dancing girl ) सबसे ज्यादा प्रसिद्ध हुई। उसपर भी अतिशयोक्तिपूर्ण विशेषता (axaggerated features) नहीं हैं, पर नग्न ( nude ) जरूर है। नग्न आकृति (nudity ) को भी प्रजनन क्षमता का प्रतीक माना जाता है, खासकर महिलाओं की आकृति को, लेकिन हड़प्पा की महिला आकृति ने स्कर्ट पहने हुए हैं।

सिंधु घाटी सभ्यता से मिली मूर्तियों में कुछ भी ऐसा नहीं है जिससे उन्हें देवी माँ मान लिया जाये। एक और पुरातत्ववेत्ता लिन मेस्केल (Lynn Meskell ) का कहना की हर महिला आकृति को बार्बी ( barbie doll ) की छवि मान लेना क्या ठीक सही है, मतलब मान लीजिये आज से 500 साल बाद बार्बी डॉल्स की आकृति मिले तो उसे देवी मान लिया जाये तो वह क्या सही होगा।
7. क्या सिंधु घाटी/ हड़प्पा सभ्यता में शिव और शिवलिंग मिले हैं, और हवन कुंड मिले हैं?
जॉन मार्शल ने ही ऐसी थ्योरी दी थी यहाँ बात सील 420 की हो रही है जिसपर बैठी आकृति (figure)को जान मार्शल ने प्रोटो शिव कहा था, क्यूंकि यह फिगर योगिक मुद्रा में बैठी है और जानवरों से घिरी है, एवं सर पर त्रिशूल जैसा मुकुट है ( head dress ) भी है। ये सारे कारणों की जाँच ठीक से नहीं हुई है ( miss identified ) हैं क्यूंकि वह मुकुट जंगली भैंस ( water buffalo ) के सींग ( horn ) है जबकि शिव पौराणिक या वैदिक भगवान् हैं जिनके पूर्ववर्ती (predecessor ) वैदिक भगवान् रूद्र हैं।
जिस सील की बात हो रही है उसे आप नीचे इस चित्र में देख सकते हैं –

डोरिस श्रीनिवासन ( Doris Srinivasan ) एक इतिहासकार ( Historian ) हैं, वे बताते हैं की वैदिक रूद्र ना तो योगी थे ना ही पशुपति, बल्कि वे पशु घना थे मतलब पशुओं को मरने वाले। शिव का योगी होना और पशुपति होना दोनों रिवाज (trend ) 2 री शताब्दी BC में लिखे पुराणों में ही विकसित हुए उससे पहले ये नहीं हैं। तो इस मुहर ( seal )पर किसकी आकृत ( figure ) है।
# शिवलिंग मिलने की बात करें तो पुरातत्ववेत्ता एच डी संकलिया ( H.D. Sankalia ) बताते हैं कि ये वास्तु ( object ) मोहनजोदड़ो की सड़कों और निकासियों/नालियों ( drains ) में मिले हैं इसलिए इनका शिवलिंग होना तो मुमकिन ही नहीं है, क्यूंकि अगर ये शिवलिंग होते तो किसी पवित्र ( sacred ) जगह पर ही मिलते जैसे घर के किसी अच्छे कमरे में। जान मार्शल खुद कहते हैं की उन्होंने इन वस्तुओं को आज के शिवलिंग को देखकर तुलना ( compare ) किया। आप नीचे दिए चित्र (picture )में देख सकते हैं किस वास्तु की बात हो रही है जिसे शिवलिंग कहा गया।

पुरातत्ववेत्ता एसआर राव (S. R. Rao ) ने 1980 ईस्वी में लोथल और कालीबंगन दो हड़प्पा/ सिंधु घाटी सभ्यता में मिले अग्निकुंड ( fire Altur ) को वैदिक देवता की पूजा करने के लिए हवन कुंड बने होने की बात कही है। ग्रेगरी पसल ने इसे नकारते हुए कहा है की ये अग्नि कुंड जरूर खाना बनाने के लिए इस्तेमाल में लाया जाता होगा।

8. क्या सिंधु घाटी/ हड़प्पा सभ्यता का अंत एक बड़ी सी बाढ़ आने से हुई?
अगर बढ़ के साक्ष्य मिले हैं तो पुनर्निर्माण ( re-building) के साक्ष्य भी मिले हैं। बढ़ से पूरी की पूरी सभ्यता नष्ट ही जाये यह सही कारण नहीं है।
पुरातत्ववेत्ता (archaeologist ) रफीक मुग़ल कहते हैं की कोई भी साक्ष्य नहीं मिले जो ये पक्का करे की बढ़ की वजह से सिंधु घाटी सभ्यता नष्ट हो आई गई हो। कोई भी सभ्यता एक बार में ही नष्ट हो जाए ऐसा उदाहरण इतिहास में काम ही मिलता हैं।
राबर्ट रेक्स और रफीक मुग़ल जैसे आर्किओलॉजिस्ट बताते हैं की हाक नदी प्रवाह ( River system ) का चैनल कोर्स चेंज हो गया, रेक्स के हिंसाब से एक नेचुरल डैम सेवन या नेचुरल डैम से घाघर नदी और उसके चैनल आगे नहीं जा सके और इससे एक एक दूरगामी प्रभाव ( domino effect ) हुआ, जहाँ मोहनजोदड़ो और हड़प्पा के शहर जो राजनैतिक ( political ) दृष्टि से सिंधु घाटी की सबसे मजबूत (Strong ) शहर ते थे नष्ट (decline ) हो गए, जिससे फिर बाकी स्थल (sites) भी नष्ट हो गए क्यूंकि राजनैतिक संगठन (political organisation ) हड़प्पा और मोहनजोदड़ो में गिरावट (decline ) आ गई।
तो नष्ट हुईं (late) सिंधु घाटी सभ्यता स्थल (sites) में इसलिए मानकीकृत ईंटों की नालियां ( standarized waits bricks drains ) आदि नहीं देखने मिलते, क्यूंकि मानकीकरण ( Standardizaton ) करने वाली राजनैतिक ताकत ( political force ) ही नहीं रही।
कुछ लीग लोग ये भी मानते हैं की जिस नदी का चैनल चेंज हुआ या जो नदी सूख गई ( dry up ) गई वो सरस्वती नदी थी। सरस्वती ऋग्वेद के नदी सूक्त हिम में उल्लेखित ( mentioned ) है। नदी स्तुति सूक्त हिम और सैटेलाइट इमैजिंग ( Satellite imaging ) से हमें जो dry up नदी चैनल मिलता है वह गग्गर हाकरा है , उसका कई लोग सरस्वती से सम्बन्ध जोड़ते ( associate ) हैं। सरस्वती का ऋग्वेद में विवरण ( description match ) नहीं मिलता, सरस्वती पीनियल नदी थी वेद में।
प्रो रोमिला थापर बतातीं हैं सरस्वती आज की हरकवती /हरैक हो सकती है जो की पूर्वी अफगानिस्तान में एक प्रमुख नदी (mejor river ) नदी है जिसे अब हेलमंद भी कहा जाता है क्यूंकि आर्य उसी रास्ते से भारत आये थे।
Note- ये सभी जानकारियां (Information) हमने इतिहासकार रुचिका शर्मा के बताये स्त्रोतों (Source ) से लीं हैं । अगर कोइ जानकारी गलत लगे तो आप हमें कमेंट(Comment) कर सकते हैं,हम इसे अपडेट करते रहेंगे। आपको हमारी आर्टिकल अच्छी लगती हैं तो आगे भी पड़ते रहें और इसे शेयर(share) करें।
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