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Gaganyaan Mission (ISRO) In Hindi|गगनयान मिशन की पूरी जानकारी

Posted on November 22, 2022August 6, 2024 By Deepti

भारत आज साइंस और टेक्नोलॉजी में आगे बढ़ता जा रहा है, भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी हमेशा इसी कोशिश में रहती है की हमारा देश ऐसे ही दुनिया के साथ कदम से कदम मिला कर चले। गगणयान ( Gaganyaan ) पहला स्वदेशी मिशन है जो भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजेगा, और इसकी सफलता भारत को ऐसा करने वाले चौथे देश में शामिल कर देगा। जिसमें अभी अमेरिका, रूस, और चीन जैसे देश शामिल हैं।

गगणयान ( Gaganyaan ) की खाश बातें-

मूल देश भारत
आपरेटर इसरो
चालक दल की छमता 3 से 4
शुष्क द्रव्यमान 3,735 kg
आयाम व्यास 3.5 मीटर (11फ़ीट )
ऊंचाई 3.58 मीटर (11.7फ़ीट )

Contents-

1.क्या है गगणयान मिशन?
2.कब हुई थी गगणयान की शुरुआत?
3.इस मिशन का क्या प्लान है?
4.इस मिशन में खर्चा कितना होगा?
5.इसमें कौन सा अंतरिक्ष यान और प्रक्षेपण यान होगा इस्तेमाल?
6.किस तरह ट्रेनिंग दी जाएगी अंतरिक्ष यात्रियों को?
7.गगणयान का मानव रहित मिशन।
8.गगणयान के लिए अंतरिक्ष यात्री।
9.गगणयान की वापसी कैसी होगी?
10.इसरो के साथ सहयोग कर रहीं एजेंसी।
11.भारत का गगणयान( Gaganyaan )मिशन 2024 में लांच होने की संभावना है।
12.गगणयान मिशन में भारत की मदद करने वाल्व देश।
13.गगणयान में लगने वाल्व वाले तकनीके ( Technologies ).

1. क्या है गगणयान मिशन?

भारतीय अंतरिक्ष संगठन ISRO के द्वारा 2022 तक 5 से लेकर 7 दिनों की अवधि के लिए तीन सदस्यीय दल को अंतरिक्ष में भेजने का एक मिशन है जिसका नाम गगणयान रखा गया है, यह भारतीय अंतरिक्ष जगत के लिए एक बड़ी उपलब्धि होगी। इस मिशन के प्रमुख साइंटिस्ट V.R. Lalithambika हैं।

2. कब हुई थी गगणयान की शुरुआत?

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने 2018 में स्वतंत्रता दिवस में लोगों को सम्बोधित करने समय गगणयान अंतरिक्ष मिशन की घोषणा की थी।

3.इस मिशन का क्या प्लान है?

* और इस अंतरिक्ष यान को 300 से 400 किलोमीटर ऊपर पृथ्वी की निचली कक्षा ( LEO ) में जायेगा।

* लेकिन कोरोना महामारी के कारण पहले मिशन में देर हो है, जिससे समयावधि को आगे बढ़ाना पड़ा।

* इस योजना के तहत 2020 दिसंबर में पहला मानव रहित मिशन भेजा जाना था, और 2021 जून में दूसरा मिशन भेजा जाना निर्धारित हुआ था।

* मानव मिशन से पहले इसरो ने गगणयान मिशन के एक हिस्से के रूप में 2 मानव रहित मिशन अंतरिक्ष में भेजने की योजना बनाई है।

4.इस मिशन में खर्चा कितना होगा?

इस मिशन में की लागत 10000 करोड़ रूपए से कम होने की उम्मीद है। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने इस मिशन को कम से कम खर्च पे पूरा करने की योजना बनाई है।

5. इसमें कौन सा अंतरिक्ष यान और प्रक्षेपण यान होगा इस्तेमाल?

किसी भी अंतरिक्ष यान में एक “Service Module” और एक “Crew module” होता है, जिसे सामूहिक रूप से “Orbital Module” के रूप में भी जाना जाता है। Gaganyaan मिशन के लिए इस्तेमाल किया जाने वाला launch vehicle Geosynchronous Satellite Launch Vehicle ( GSLV MK III ) होगा। यह “GSLV MK III एक कामयाब launch vehicle है। जिसमे मिशन के लिए आवश्यक पेलोड की क्षमता है।

6.किस तरह ट्रेनिंग दी जाएगी अंतरिक्ष यात्रियों को?

* ISRO के मिशन के लिए जिन भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को चुना गया है उनको तैयार करने के लिए ROSCOSMOS ( रूसी अंतरिक्ष एजेंसी ) की सहायक कंपनी “Glavkosmos” के साथ एक अनुबंधन पर हस्ताक्षर किये हैं।

* इस मिशन में जाने वाले सभी अंतरिक्ष यात्री भारतीय वायु सेना के पायलेट हैं इनको 25 पायलटों में शार्ट लिस्ट किया है।

* इनमें से चार अंतरिक्ष यारत्रियों को चुना गया है जिन्हे चिकित्सा और शारीरिक प्रशिक्षण के साथ रूसी भाषा भी सीखना है, क्योंकि रूसी भाषा अंतरिक्ष संचार की महत्वपूर्ण भाषाओँ में से एक मानी जाती है।

* एक वर्ष के लिए यह प्रशिक्षण रूस में होगा इसके बाद भारतीय अंतरिक्ष यात्री भारत में अपना मॉड्यूल- विशिष्ट प्रशिक्षण प्राप्त करेंगे।

* अंतरिक्ष यात्रियों को Spaceflight के दौरान G-hypoxia और pressure drops जैसी स्थितियों के लिए तैयार करने के लिए अपकेंद्रित और एक hyperbraric कक्ष ( दबाव वाले कमरे ) में सिमुलेशन simulations में भी प्रशिक्षित किया जाएगा।

* gravity ( गुरुत्वकर्षण ) के कारण ब्लड प्रेसर में उतर चढ़ाव हो सकता है, विशेष रूप से पृथ्वी पर पुनः प्रवेश या लैंडिंग के दौरान, कभी- कभी बेहोशी जैसी स्थिति भीउत्तपन्न हो सकती है, अंतरिक्ष में भारहीनता का अनुभव करते हुए अंतरिक्ष यात्रियों को motion sickness का भी सामना करना पड़ सकता है।* अंतरिक्ष में में शारीरिक परिवर्तन होते हैं इसलिए उनको गुरुत्वाकर्षण परिवर्तन के लिए अभ्यास करना होगा, इसलिए सभी अंतरिक्ष यात्रियों की ट्रैनिग बहुत ही कठिन होगी।

7. गगणयान का मानव रहित मिशन–

मानव अंतरिक्ष उड़ान से पहले मानव रहित उड़ानों की योजना बनाई है है। मानव रहित मिशन से पहले ISRO को कई महत्वपूर्ण परीक्षण पूरे करने होंगे-

* परीक्षण वाहन का सफल उड़ान परीक्षण।

* और लांच पैड पर आपात स्तिथि के मामले में चालक दल के भागने को प्रदर्शित करने के लिए परीक्षण किया जायेगा।

* इन सब के आलावा ISRO द्वारा पहले मानव रहित अंतरिक्ष मिशन पर किये जाने वाले छह परीक्षणों को shortlist किया गया।

* इनमे कुछ जैविक परीक्षण हैं, जिनमे “drosophila melanogaster” ( सामान्य फल मक्खी ) में गुर्दे की पथरी के गठन में परिवर्तन पर एक अध्ययन किया जायेगा।

* साथ ही इसमें “SIRT1” जीन का अध्ययन, सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण स्तिथियों के तहत माइक्रोबियल संदूषण और सहक्रिस्टलीकरण भी शामिल है।

* पैराशूट प्रणाली के लिए airdrop परीक्षण जो एक अंतरिक्ष में परिक्रमा करने वाले अंतरिक्ष capsule को सफलतापूर्वक पुनर्प्राप्त करने की क्षमता को प्रदर्शित करेगा।

8. गगणयान के लिए अंतरिक्ष यात्री–

गगणयान कार्यक्रम के पहले चालक दल के मिशन के लिए, अंतरिक्ष यात्री प्रशिक्षुओं का चयन परीक्षण पायलटों के पूल से किया जायेगा, जो की ISRO और भारतीय वायु सेना द्वारा संयुक्त रूप से परिभाषित चयन मानदंडों के आधार पर किया जायेगा, जिसमें मानवशास्त्री मापदंडों सहित उड़ान अनुभव, फिटनेस, मनोवैज्ञानिक छमता, aeromedical मूल्यांकन, आदि जैसे मापदण्ड शामिल होंगे।

गगणयान मिशन के लिए चार भारतीय वायु सेना अधिकारीयों का चयन किया गया है और उन्होंने रूस में प्रशिक्षण के अपने विदेशी कगरन को पूरा भी कर लिया है। उन्होंने वहां सामान्य अंतरिक्ष उड़ान प्रशिक्षण लिया है जिसके बाद भारतीय चरण में उन्हें उन सभी स्थितियों से परिचित करवाया जायेगा, जो उड़ान के दौरान उन सभी को महसूस हो सकती है।

इसमें चालक दल को parabolic path के साथ विशेष विमान में उड़ान भरकर भारहीनता की स्तिथि में प्रशिक्षण से गुजरना होगा, और यह खास विमान यात्रियों को लगभग 25 से 30 सेकेण्ड तक की भारहीनता का अनुभव देगा। साथ ही मिशन abort करने की परिस्थिति से बचाव दल को परिचित कराने के लिए, उन्हें समुद्र, बर्फ, पहाड़, और रेगिस्तान परिस्थितियों में भी विशेष survival प्रशिक्षण से गुजरना होगा।

9.गगणयान की वापसी कैसी होगी?

गगणयान मिशन में अंतरिक्ष यान की वापसी में लगभग 36 घंटे लगेंगे, यह गुजरात तट से दूर अरब सागर में उतरेगा। और इस मिशन को पूरा करने के लिए और सफल बनाने के लिए ISRO ने महत्वपूर्ण तकनीकों का इंतजाम किया है।

10. इसरो के साथ सहयोग कर रहीं एजेंसी

ISRO के साथ-

* भारतीय सशत्र बल

* Defence Research Development Organisation

* भारतीय मौसम विभाग * भारतीय समुद्री एजेंसियां

* Council Of Scienctific and Industrial Research लैब

* शैक्षणिक संस्थान

* उधोग भागीदार

11.भारत का गगणयान( Gaganyaan )मिशन 2024 में लांच होने की संभावना है –

केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा है भारत का पहला मानव अंतरिक्ष उड़ान मिशन गगणयान 2024 में लांच होने की उम्मीद है। उन्होंने कहा की सरकार ने 2022 में ही आजादी की 75th वर्षगाठ के मौके पर मानव अंतरिक्ष उड़ान की योजना बनाई थी लेकिन COVID-19 के कारण ये नहीं हो पाया।

12.गगणयान मिशन में भारत की मदद करने वाले देश–

इस गगणयान मिशन में रूस और फ्रांस जैसे देश भारत की मदद कर रहे हैं।

13.गगणयान में लगने वाले तकनीके ( Technologies )

* मानव रेडेंट लांच वाहन

* लाइफ सपोर्ट सिस्टम

* क्रू स्केप सिस्टम

* क्रू का चयन और उनको प्रशिक्षण के लिए नई तकनीक

* यात्रियों के रहने योग्य कक्षीय मोडूयल

Note- ये सभी जानकारियाँ(Information) इंटरनेट(Internet) से ली गईं हैं, अगर कोइ जानकारी गलत लगे तो आप हमें कमेंट(Comment) कर सकते हैं,हम इसे अपडेट करते रहेंगे। आपको हमारी आर्टिकल अच्छी लगती हैं तो आगे भी पड़ते रहें और इसे शेयर(share) करें।

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