


परिचय 1.इससे जुडी लोगो की मान्यता 2.सापों की दुर्लभ प्रजातियां यहाँ पाई गई 3.नागपंचमी और शिवरात्रि के अवसर पर लोग यहाँ काफी संख्या में आते हैं |
छतीसगढ़ का जशपुर जिला, तहसील फरसाबहार एक ऐसा स्थान है जिसे नागलोक कहा जाता है, क्यूंकि यहाँ बहुत अधिक संख्या में सांप पाए जाते हैं। यहाँ के लोगों का कहना है की अभी तक 70 प्रकार की प्रजातियों की पहचान हुई है, जिनमे कई जहरीले सांप हैं। यहाँ दूसरे स्थानों की अपेक्षा सांप कांटने से मौत होने की संख्या अधिक है।
1.इससे जुडी लोगो की मान्यता-
यहाँ के लोगों की ये मान्यता है की यहाँ के कोतेबेरा नामक स्थान पर एक गुफा है जहाँ देवता रहते थे, बाद में वे सांप बनकर इसी गुफा से नागलोक चले गए। लोग मानते हैं की कोतेबेरा धाम से सीधे नागलोक का रास्ता है, इस गुफा को ही नागलोक का प्रवेश द्वार कहते हैं।
2.सापों की दुर्लभ प्रजातियां यहाँ पाई गई –
फरसाबहार के आसपास के इलाकों में कई जहरीले सांप पाए जाते हैं जैसे करैत, किंग कोबरा। कुछ विचित्र प्रजाति के सांप भी पाए जाते हैं जैसे – ग्रीन पीट वाइपर और सरीसृप प्रजाति के जीव- ग्रीन कैमेलियाँ कैमेलियाँ कैमेलियन, सतपुड़ा लेपर्ड भी यहाँ पाए जाते हैं।
3.नागपंचमी और शिवरात्रि के अवसर पर लोग यहाँ काफी संख्या में आते हैं –
नागपंचमी और शिवरात्रि के समय लोग यहाँ खास आयोजन करते हैं, इस मौके पर सपेरों के द्वारा अलग -अलग प्रजाति के सांप दिखाए जाते हैं। यहाँ सांप के डसने से लोगों की मौत का आंकड़ा ज्यादा है,यहाँ चिकित्सकीय सुविधाएँ भी दी गई हैं लेकिन लोग झाड़फूंक पर ज्यादा विश्वास करते हैं।
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