भारतीय समाज में हमेशा से महिलाओं की इज्जत करने का दवा किया जाता रहा लेकिन इतिहास में महिलाओं के साथ हिंसा और अपराध के कई उदाहरण मौजूद हैं, ऐसे कई साक्ष्य हैं जिनसे यह पता चलता है की भारतीय इतिहास में औरतों के साथ किस तरह के जघन्य अपराध होते थे।
हम यहाँ चार किस्सों से जानेंगे महिलाओं पर किन – किन तरीकों से अत्याचार किया जाता था, जैसे जला देना, नाक काट देना, उठा ले जाना, जोर जबरजस्ती करना आदि।

हर एक Type के हिंसा के पीछे एक interesting type ( दिलचस्प ) के Mysogeny ( स्त्री जाती जाति से द्वेष ) के बारे में पता चलता है।
Contents –
1. Incidence ( घटना ) – तमिलनाडु के कारवार में स्थित पशुपतेश्वर मंदिर की Inscription ( शिलालेख ) 2. Incidence ( घटना ) – ‘मणि मंगलम’ तमिलनाडु के राजगोपाल पेरुमल मंदिर की दीवार पर लिखी एक मय कृति 3. Incidence ( घटना ) – ऋषि मनु की ‘मनुस्मृति’ 4. Incidence ( घटना ) – कल्हण की ‘राजतरंगिणी’ |
1. Incidence ( घटना ) –
सबसे पहला incident दिल दहला देने वाला है। इसका वर्णन एक Inscription ( शिलालेख ) में हुआ है, जहाँ लिखा है की वीर राजेंद्र चोल प्रथम के अहद ( शासनकाल ) के चौथे साल याने 11 वीं शताब्दी CE में चालुक्य राजा सोमेश्वर प्रथम ने अपनी सेना भेजी अपने महादण्ड नायक समुद्र राज के under और वीर राजेंद्र चोल के खिलाफ इस सेना ने वेंगाई नाड में Imbed ( बैठना / लगाना ) किया और इस जंग में वीर राजेंद्र ने समुद्र राज को हरा दिया फिर मार दिया।

उनको मारना ही पर्याप्त नहीं था, वीर राजेंद्र ने समुद्र राज का सर धड़ से अलग किया और समुद्र राज की एकलौती बेटी नगलाई को जो इरगुवेन की राजकुमारी थी उसका नाक काट दिया। शिलालेख बताती है की राजकुमारी नगलाई खूबसूरती में मोर याने Peacock के समान थी। जबकि वो युद्ध का हिस्सा भी नहीं थी।

यह शिलालेख तमिलनाडु के कारवार में स्थित पशुपतेश्वर मंदिर के दक्षिण दीवार ( south waal ) पर है। यह basically land grant ( भूमि अनुदान ) है। इसी मंदिर के लिए जिसे एक पूरा गाव दान में दिया गया वीर राजेंद्र द्वारा।
Inscription एक ‘मय कृति’ है याने एक प्रशस्ति ( Commendation ). इस शर्मनाक act को वीर राजेंद्र चोल की greatnes ( महानता ) का example ( उदाहरण ) बताया है। लेकिन, राजा ने उस princess का नाक ही क्यों काटा?
यूपन के Historian ( इतिहासकार ) दाऊद अली ने अपने paper में बताया है की Defacement- याने शकल खराब करना एक वर्चस्व कायम ( Conquest ) करने की निशानी मानी जाती थी। नाक काटने का मतलब Subcontinent ( उपमहाद्वीप ) में बदनामी की निशानी मानी जाती थी, इसलिए यहां नगलाई का बेहद खूबसूरत होना भी Mention ( उल्लेख ) किया गया है।
वीर राजेंद्र वो शूरवीर है हैं जिन्होंने इतनी perfect ( उत्तम ) चीज को खराब कर दिया। मतलब एक निहत्थी लड़की जो युद्ध का हिस्सा भी नहीं थी उसके नाक काटने को एक महान कार्य बताया गया है।
क्योँ दी गई यह बदनामी? यह बदनामी हारे हुए राजा समुद्र राज के कम्युनिटी Community ( समुदाय ) की इज्जत/ सम्मान (honor) को बदनाम करने की निशानी थी, क्यूंकि महिलाओं को किसी भी Community की आन -बान -सान मानने का दिखावा किया जाता है, तो उन महिलाओं को Disgrace ( अपमानित ) करना उस समुदाय को अपमानित करना माना जाता है।
पितृसत्ता में इस तरह की सोच पहले भी थी और आज भी है। इस तरह की घटना सरेआम होती थी और कई बार होती थी।
2. Incidence ( घटना ) –
एक शिलालेख राजाधिराज चोल प्रथम ( राजराज चोल के पोते ) और राजेंद्र चोल के बारे में एक शिलालेख बताती है। राजाधिराज चोल प्रथम ने अपने अहद ( शासनकाल ) के 29 वे साल याने 1046 CE में सेलन याने श्रीलंका के पंड्या राजा वीर सला मगन पर आक्रमण ( attack) किया लेकिन सला मगन युद्ध में हारने के बाद भाग गए थे।

राजाधिराज चोल प्रथम ने जीतने के बाद सला मग्न मगन की बड़ी बहन और बेटी को उठा लिया और सला मगन की माता का नाक काट दिया। इस अपमान का बदला लेने के लिए सला मगन फिर से वापस युद्ध के मैदान में आये पर इस बार हारने पर उन्हें फ़ौत होना पड़ा।
यह भी एक मय कृति है जो की मणि मंगलम तमिलनाडु के राजगोपाल पेरुमल मंदिर की दीवार पर है और मंदिर को Land grant ( भूमि अनुदान ) देती है।
इस तरह के कार्यों ( नाक कटना, उठा ले जाना ) को अमानवीय ( In-humanity ) नहीं माना जाता था, बल्कि अपमान ( Insult/disgrace) माना जाता था। मतलब यह कहा जाता था की बड़े शर्म की बात है की आपकी लड़कियों के साथ ऐसा हुआ। शर्म आपकी है की, आपकी माँ की है, आपकी बेटी की है, आपकी बहन की है। लेकिन ऐसे शर्मनाक काम करने वाले की नहीं।
ऐसे शर्मनाक काम करने वाले राजाओं को उनके शिलालेखों में शूरवीर बताया गया है। ‘The great criminal’ नहीं ‘The great king”. जब वीर सला मगन वापस आये तो वे अपने घर की महिलाओं के अपमान का बदला लेने नहीं बल्कि अपने अपमान का बदला लेने आये। अगर उन्हें अपनी माँ, बहन, बेटी की फ़िक्र होती तो वे उन्हें अपने साथ ही ले जाते लेकिन वे हरने के बाद वहां से भाग गए थे।
जो जंग में हिंसा लेते हैं वे एक-दुसरे पर हमला करते हैं, क्रूरता दिखाते हैं, लेकिन जो जंग में भाग नहीं लेते वे आम जनता और महिलाएं उन्हें ऐसे Torture ( यातना ) करना Perverseness ( अनैचित्य/हठ ) है। जिन महिलाओं को उठा कर लाया जाता था उन्हें चोल राजा के ‘वडम’ का हिस्सा बना लिया जाता था। वडम जहाँ ‘पन्तति’ ( दासी/ Female slave of the royal house hold ) ) रहतीं हो।
दसियों दासियों से महल के काम और Sexual ( शारीरिक शोषण ) कार्य भी करवाया जाता था। पुरुषों के साथ इस तरह की घटनाएं नहीं होतीं थीं क्यों? इसका जवाब Incident number three देता है।
3. Incidence ( घटना ) –
महिलाओं को उठा ले जाना, उनको दासी बनाना, उनका शारीरिक शोषण करना इन सभी को मान्यता मिली है ऋषि मनु की ‘मनुस्मृति’ के छंद ( verses ) से।

* सबसे पहला chapter ( अध्याय ) 3 में है, जहाँ विवाह के प्रकार बताये गए हैं। यहाँ 8 प्रकार के विवाह बताये गए हैं, जिसमें पहले 4 प्रकार को सर्वोत्तम रूप ( Best form ) माना है –
(i) ब्रम्हा (ii) देव (iii) अर्श (iv) प्रजापति विवाह। ये चारों विवाह कानूनी रूप से ( legal ) माना है ब्राह्मणो के लिए।
* आखरी के चार प्रकार काफी Interesting ( दिलचस्प ) है –
(v) गन्धर्व विवाह – इस में लड़का-लड़की खुद पसंद करते हैं, इसे Love marriage ( प्रेम विवाह ) कह सकते हैं।
(vi) आसुर विवाह – जब दहेज़ ना लेकर लड़की के माता-पिता को कन्या शुल्क दिया जाए।
(vii) राक्षस विवाह – लड़की को उसके घर से हिंसात्मक तरीके से उठा कर ले जाना, चाहे लड़की रो रही हो या चिल्ला रही हो।
(viii) पिशाच/ पैशाच विवाह – जब महिला सो रही हो या मानसिक रूप से होश में ना हो तब उसके साथ Secretly ( गुप्त रूप से ) शारीरिक संबंद्ध ( physical relation ) बनाना।
इन आखरी के चार Types of marriage में दो विवाह क्षत्रिओं के लिए मान्य है ( chapter 3 छंद 26 में ). फिर महिलाओं के लिए सम्मान ( respect ) का दिखावा क्यों किया जाता है जब उनके साथ ऐसा व्यवहार किया जा रहा है। राजा इसलिए महिलाओं के साथ युद्ध के समय हिंसा करते थे क्यूंकि उनकी कानूनी किताब ( Legal book ) में ही ऐसा कार्य करने को मान्यता दिया गया है। महिलाओं के साथ जबरजस्ती Lawful ( वैद्ध ) बताया है।
* Chapter 7 verse 96 में लिखा है मैदाने जंग में जो जीतता है वो हारे हुए से उसका रथ ( chariot ), हांथी , घोड़े, पैसा, शस्त्र ( weapons) , पशु , अनाज, औरतें ( women ) लूट कर ले जा सकता है। यह मनुस्मृति में बताया गया है। अगर ये सब किसी सैनिक ने लूटा हो तो इनका एक भाग राजा को जरूर देना चाहिए ऐसा लिखा है। महिलाओं को वस्तु मानने की परंपरा ( tradition ) पहले से चली आ रही है। जंग में बाकी वस्तुओं के साथ उन्हें भी जीता जाता था।
इतना ही काम नहीं था, अगर महिला को जंग के समय अपमान से बचना है तो उसे खुद से मर जाने की सलाह खुद उसके परिवार वाले देते थे, क्यूंकि महिला का अपमान पूरे समुदाय का अपमान माना जाता था। महिला जान और इज्जत से उन्हें कोई मतलब नहीं था, उनको सिर्फ अपने कुल, समुदाय की इज्जत की पड़ी थी। जबकि उनको चाहिए था की औरतों की लूटपाट पर कानूनी रूप से रोक लगा दी जाए।
“मतलब मर्द हैं तो लूट – पाट मचाएंगे ही, अगर महिला को इससे बचना है तो वो खुद अपनी जान दे दे।”
4. Incidence ( घटना ) –
कल्हण की किताब राजतरंगिणी के chapter 7 verses 1548 से 1580 में मिलता है, 1101 CE में जब कश्मीर के राजा हर्ष के राज्य पर हमला हुआ, मुख्य रूप से श्रीनगर पर हमला/आक्रमण हुआ, राजा उच्छल द्वारा, तब काफी स्त्रियों की जाने गईं।
राजा उच्छल, राजा हर्ष के ही रिश्तेदार थे और डामरों ( Funeral Lords ) के साथ मिलकर हर्ष के राज्य पर हमला किया। सैनिकों/ हमलावरों से बचने के लिए राजा हर्ष की रानी राजमहल के चार खम्भे वाले अहाते में चलीं गईं ताकि खुद को अग्नि को समर्पित कर सकें, याने खुद को आग लगा सकें।

“राजतरंगिणी” के छंद ( verses ) 1571 में लिखा है की दुश्मन के दर डर से ( राजा उच्छल की सेना से ) रानियों ने चार खम्भे वाले अहाते को आग लगाना शुरू कर दिया। verse 1578 में लिखा है की डामर हर जगह हरम की महिलाओं को उठा उठाते दिखे , जिनकी तुलना कल्हण परियों से करते हैं।
इससे बचने के लिए राजा हर्ष की रानी वसंत लेखा के साथ और 17 महिलाओं जिनमें कुछ हर्ष की बहुएं थीं उन सभी ने खुद को आग लगा ली यह verse 1579 में लिखा है। जो इन महिलाओं ने किया उसे भारत में जौहर के नाम से जानते हैं। लेकिन भारत में ये गलत धरना है की जौहर तब शुरू हुआ जब तुर्की राजा ने भारत में कदम रखा याने 13 वीं शताब्दी में, ये माना जाता है की जौहर तभी होता है जब मुस्लिम आक्रमणकारी हो।

राजतरंगिणी की इस घटना में दो पक्ष हिन्दू राजा थे, और एक ही परिवार से थे। कल्हण यहाँ किसी तुर्की या मुस्लिम राजा का जिक्र नहीं करते हैं। जौहर प्रथा की शुरुवात हिन्दू डामर से बचने के लिए हुआ था क्यूंकि वो महिलाओं को उठा कर ले जा रहे थे। जौहर की प्रथा के लिए औरतों ये सिखाया जाता है की वो अपने घराने की इज्जत हैं तो इससे पहले की कोई पराये घराने का मर्द उस इज्जत पर हाँथ डाले तुम अपनी इज्जत बचाने के लिए देह त्याग दो ( आत्महत्या कर लो ).
औरतों की जान का मूल्य कुछ नहीं बस घराने की इज्जत का है?
शर्म की बात है की इस प्रथा को आज एक बहादुरी का कार्य समझा जाता है। इतने जघन्य अपराध को महान बताना शर्मनाक है ( याने मजबूरी में महिलाओं को आग में कूदने को महान बताना ). यह प्रथा तुर्कियों के आने से पहले से चली आ रही थी। इसपर सफाई दी जाती रही है की हिन्दू v/s हिन्दू राजा के युद्ध में महिलाओं को इसलिए उठा लिया जाता तह ताकि उनको बचा सकें।
सभी हिन्दू राजा युद्ध में औरतों का सम्मान करते थे , लेकिन ये साक्ष्यों/ प्रमाणों से ये बात गलत साबित होती है। ये घटनाएं काफी दुखद है, किसी धर्म को ऊँचा या नीचे दिखाने वाली बात नहीं है।
FAQ.–
Q. – भारतीय इतिहास में महिलाओं पर किन – किन तरीकों से अत्याचार किया जाता था?
Ans.- भारतीय इतिहास में महिलाओं को जला देना, नाक काट देना, उठा ले जाना, जोर जबरजस्ती करना आदि।
Q.- ‘मनुस्मृति’ में ऋषि मनु द्वारा विवाह के कितने प्रकार बताये गए हैं?
Ans.- ‘मनुस्मृति’ में ऋषि मनु द्वारा 8 प्रकार के विवाह बताये गए हैं।
Q.- कल्हण की ‘राजतरंगिणी’ किस राजा के शासनकाल का वर्णन है?
Ans.- कल्हण की ‘राजतरंगिणी’ में कश्मीर के राजा हर्ष के शासनकाल का वर्णन है।
Q.- ऋषि मनु की ‘मनुस्मृति’ में विवाह के कितने प्रकार बताये हैं?
Ans.- ऋषि मनु की ‘मनुस्मृति’ में 8 प्रकार के विवाह बताये हैं।
Q.- कल्हण की किताब राजतरंगिणी के अनुसार राजा हर्ष की रानी वसंत लेखा ने महल की बाकि महिलओं के साथ अहाते में आग लगा कर उसमे क्यों खुद को जला दिया?
Ans.- दुश्मन सेना से बचने के लिए राजा हर्ष की रानी वसंत लेखा के साथ और 17 महिलाओं जिनमें कुछ हर्ष की बहुएं थीं उन सभी ने खुद को आग लगा ली।
Q.- भारतीय इतिहास में युद्ध के समय महल की महिलाएं आग लगा कर उसमे खुद जलकर क्यों मर जातीं थीं?
Ans.- राजा के हरने पर उनकी रानियों को दुश्मन सेना के लोग उठा कर ले जाते थे और उनको चोट पहुँचते थे उनसे बचने के लिए महिलाओं को परिवार वाले खुद को आग में जलाकर मरने की सलाह देते थे।
Q.- भारतीय इतिहास में जौहर प्रथा क्या है?
Ans.- रानियां महल की बाकी महिलाओं के साथ सामूहिक रूप से खुद को अग्नि में समर्पित कर देते थी क्यूंकि राजा के हरने के बाद उनकी रानियों को दुश्मन सेना के लोग उठा कर ले जाते थे और उनको चोट पहुँचते थे उनसे बचने के लिए वे आग में जलकर मर जातीं थीं इसे ही जौहर प्रथा कहते हैं।
Note- ये सभी जानकारियां (Information) हमने इतिहासकारों के बताये स्त्रोतों (Source ) से लीं हैं । अगर कोइ जानकारी गलत लगे तो आप हमें कमेंट(Comment) कर सकते हैं,हम इसे अपडेट करते रहेंगे। आपको हमारी आर्टिकल अच्छी लगती हैं तो आगे भी पड़ते रहें और इसे शेयर(share) करें।