
Contents –
1. परिचय 2. बाबर की आत्मकथा ‘तुजुके बाबरी’ या ‘बाबरनामा’ 3.बादशाह अकबर के दरबारी लेखक अबुल फज़ल की किताब ‘अकबरनामा’ 4. तुलसीदास की ‘रामचरितमानस’ 5. इब्न बतूता की किताब ‘रेहला’ 6. इतिहासकार सुशील कुमार की किताब ‘The Disputed Mosque’ 7. Archeologist (आर्किओलॉजिस्ट) बी बी लाल के अयोध्या उत्खनन (Excavation) 8. अलेक्जेंडर कनिंगघम (alexander ) के उत्खनन ( excavation) 9.कुछ इतिहासकारों का मत है ( कुणाल चक्रवर्ती, रोमिला थापर, सुविरा जायसवाल ) 10. जातक कथाओं में वर्णन 11. 2003 के अयोध्या Excavation- ( उत्खनन ) में क्या मिला? 12. अयोध्या मस्जिद – मंदिर विवाद को अंग्रेजी सरकार ने बढ़ावा दिया 13. भारत की आजादी के बाद अयोध्या विवाद 14. आखिर में ( Supreme court judgment ) 15. इतिहास के पन्नो से हमें चार बातें पता चलती हैं? |
1. परिचय –
बाबर और बाबरी मस्जिद को लेकर काफी सालों से ये विवाद चलता आ रहा है की बाबरी मस्जिद, मंदिर को तोड़ कर उसके ऊपर बनाया गया है। आज सुप्रीम कोर्ट का फैसला आ कर उस स्थान पर आज राम मंदिर का निर्माण हो चुका है। लेकिन इसकी असली कहानी क्या है? बाबरी मस्जिद के नीचे आखिर कौन से साक्ष्य मिले? क्या सच में मस्जिद के नीचे कोई मंदिर ही था? इन सब के बारे में हम आज यहाँ चर्चा करेंगे, क्या कहते हैं इतिहासकार?

2. बाबर की आत्मकथा ‘तुजुके बाबरी’ या ‘बाबरनामा ‘ –
ऐसा कोई भी ऐतिहासिक प्रमाण मौजूद नहीं है जो ये कहते हों की बाबर ने अयोध्या में कोई भी मस्जिद बनवाया हो। मुग़ल बादशाह बाबर अपनी जिंदगी का रोजाना नामचा ( diary ) रखा करते थे। जिसमें उन्होंने अपनी भाषा चाकताये तुर्की में अपनी रोजमर्रा की जिंदगी के बारे में लिखा करते थे।
यह “तुजुक-ऐ-बाबरी” ( Tujuk-i-Babari ) के नाम से जानी जाती है। यह बाबर की Autobiography ( आत्मकथा ) है। बाद में उसके इस किताब के बाबर के पोते जो मुग़ल के सबसे जाने-माने बादशाह अकबर ( Akbar ) ने चाकताये तुर्की से फ़ारसी में Translate ( अनुवाद ) कराया, जिसे आज हम “बाबरनामा” के नाम से जानते हैं ।

इस किताब में बाबर ने कहीं भी अयोध्या में मस्जिद बनवाने का जिक्र नहीं करते हैं, और तो और वे अपनी डायरी में भी अयोध्या जाने का जिक्र तक नहीं करते।
20 वीं शताब्दी में Annette Beveridge ( एनेट बेवरेज ) ने बाबरनामा के दोनों भाषा की किताब ( तुर्की और फ़ारसी ) पढ़ी थी और बाबर की डायरी/किताब का अनुवाद किया था। जिसे 1921 AD में छापा गया था। इस Translation में साफ़ लिखा है की 22 मार्च 934 हिजरी ( इस्लामिक कैलेंडर ) में याने 1528 AD को बाबर अवध की Principality ( रियासत ) से दूर ‘रिर्दा’ और ‘घाघरा’ नदी के संगम में रुके थे, जो की अयोध्या से 72 मील दूर है।
बाबरनामा में ऐसे कुछ भी नहीं मिलता जिससे ये कहा जा सके की बाबर कभी अयोध्या गए हों। बाबर कभी अयोध्या गए ही नहीं इसका प्रमाण बाबरनामा से मिलता है।
3.बादशाह अकबर के दरबारी लेखक अबुल फज़ल की किताब ‘अकबरनामा’ –
बाबर के बाद उसके पोते अकबर के Court Writer ( दरबारी लेखक ) अबुल फज़ल अपनी “अकबरनामा” में अयोध्या और राजा राम का जिक्र तो जरूर करते हैं, लेकिन अकबर के दादाजी बाबर ने अयोध्या में कोई मस्जिद बनाई हो ऐसा नहीं कहते।
ना ही किसी मंदिर तोड़ने की बात करते हैं और ना ही किसी राम जन्म भूमि मंदिर की।

4. तुलसीदास की ‘रामचरितमानस’ –
अकबर के समय में ही ‘तुलसीदास’ ने भी अपनी कृति “रामचरितमानस” में बाबर के किसी मस्जिद बनाने के बारे में नहीं बताते हैं और ना ही किसी राम मंदिर के तोड़ने के बारे में बताते हैं।

5. इब्न बतूता की किताब ‘रेहला’ –
14 वीं शताब्दी में आये ‘इब्न बतूता’ ( Ibn battuta ) भी अपनी किताब “रेहला” में भी ये कहीं नहीं लिखते की कोई राम जन्म मंदिर अयोध्या में है। मस्जिद में गढ़ी शिलालेख ( Incription ) फ़ारसी में ये कहती है की शाह बाबर की आज्ञा ( Command ) पर ‘मीर बाकि’ ने ये मस्जिद बनाई और यह शिलालेख किसी मंदिर के तोड़ने या गिराने की बात नहीं करते।
6. इतिहासकार सुशील कुमार की किताब ‘The Disputed Mosque’ A historical inquiry –
इतिहास कार सुशील कुमार अपनी किताब ‘The Disputed Mosque’ A historical inquiry में बताते हैं की ये शिलालेख ( जो मस्जिद में गढ़ी है ) जिस Style से लिखी है वो 19 वीं शताब्दी के writing/calligraphy Style से मेल खातीं है हैं ना की 16 वीं शताब्दी के।
तो ये मस्जिद किसने बनवाई? बाबरी मस्जिद की बनात खास कर के Entrance ( प्रवेश द्वार ) पर एक बड़ी सी Arch ( मेहराब ). जौनपुर के शर्की राजाओं के मस्जिदों के बनावट से मेल खाती हैं।
मंदिर के अंदर Support- के लिए Beams और Doms ( गुम्मद ) से ये मस्जिद जौनपुर में ही बने अटाला मस्जिद ( Atala ) जैसी दिखती है। इसे भी 14 वीं 15 वीं शताब्दी के शर्की राजाओं ने बनवाया था। तो यह कहा जा सकता है की मुग़ल इतिहास में न ही किसी मस्जिद का अयोध्या में बनाये जाने और न ही किसी मंदिर के तोड़े जाने के साक्ष्य मिले हैं।
7. Archeologist (आर्किओलॉजिस्ट) बी बी लाल के अयोध्या उत्खनन (Excavation) –
Archeologist ( पुरातत्वशास्त्री ) बी बी लाल ने 1979-80 AD में अयोध्या में Excavation ( उत्खनन ) किये तो अयोध्या का सबसे पुराना इतिहास 8th century BC से ज्यादा पुराना नहीं मिला। यह excavation वाल्मीकि के रामायण के ऐतिहासिक सबूतों को इकठ्ठा करने के लिए थीं।
अयोध्या पहले साकेत नाम से जाना जाता था और इसका नाम 5 वीं शताब्दी में स्कंदगुप्त ( Skandgupt ) ने अयोध्या रखा लेकिन 7 वीं शताब्दी में आये Budhhist ( बुद्धिष्ठ ) यात्री ‘ह्वेन संग सांग ( Hiuen Tsang )’ अयोध्या को एक प्रसिद्ध budhhist center ( केंद्र ) बताताते बताते हैं, जहाँ स्तूप और बौद्ध विहार होने की बात बताते हैं।
8. अलेक्जेंडर कनिंगघम (alexander ) के उत्खनन ( excavation) –
अयोध्या की सबसे पहले Excavation से भी यह बात पता चलती है। ये उत्खनन alexander Cunningham ( अलेक्ज़ेंडर कनिंघम ) , जो पहले Director General थे ASI ( archeology Survey of India ) उनके द्वारा कराया गया था।
Between 1862-1863 Ad में कनिंघम को 2 स्तूप और 1बौद्ध विहार मिले, जिनमें से एक स्तूप Cunningham के हिंसाब से मौर्य सम्राट अशोक के सानिध्य ( Consistency ) में बना था।
9.कुछ इतिहासकारों का मत है ( कुणाल चक्रवर्ती, रोमिला थापर, सुविरा जायसवाल ) –
Historian ( इतिहासकार ) कुणाल चक्रवर्ती, रोमिला थापर, सुवीरा जायसवाल etc. के मुताबिक 5th to 8th century AD में मिले Inscription ( शिलालेख ) में अयोध्या का जिक्र तो मिलता है लेकिन राम जी की भक्ति के लिए नहीं।
अयोध्या जैन धर्म के 1st और 4th तीर्थकर का जन्म स्थान भी माना जाता था। इससे भी पहले DASARATH JATAK ( दशरथ जातक ) जो की जातक कथाओं में से एक है बतलाती है की राजा दशरथ उनके बेटे राम की राजधानी वाराणसी ( बनारस ) थी।
10. जातक कथाओं में वर्णन –
जातक कथाएं बौद्ध कथाओं का संग्रह है जो की 300 BCE से लेकर 400-AD के बीच लिखी गई थी। 1890 में मिली किताब “तारीख – ए – फराह बक्श ” जो फैजाबाद जिला ( district ) याने अयोध्या के 1720 से लेकर 1819 तक की तारीख है वो भी अयोध्या में किसी मंदिर का जिक्र नहीं करती, जो बाबरी मस्जिद के नीचे हो।
alexander Cunningham ने 1862-1863 की अयोध्या Excavation में, वो भी मंदिर का जिक्र नहीं करते हैं जिसे तोड़कर मस्जिद बनाई गई, उन्हें वहां कई आधुनिक/modern मंदिर मिले याने ऐसे मंदिर जो Recently ( हालही में ) बने हों।

इसके बाद हुई 1969-70 की Excavation ( उखनन ) बनारस विश्वविद्धालय की एक team के द्वारा की गई थी। इसमें भी ऐसा कुछ भी नहीं मिला।
BB Lal ने अपनी 1969-70 की अयोध्या excavation की पूरी report तो कभी publish की ही नहीं। लेकिन उनकी Summaries ( सार/ सारांश ) हमें “Indian archaeology review” के दो issues ( प्रकाशन/publication ) से मिलते हैं।
BB Lal ने राम जन्म भूमि नाम के mount ( पर्वत ) पे ही खुदाई की थी लेकिन उनके हिंसाब से भी यहाँ मस्जिद के लिए कोई मंदिर तोडा गया हो ऐसा नहीं कहा गया है। फिर यह मसला आया कैसे?
11. 2003 के अयोध्या Excavation- ( उत्खनन ) में क्या मिला?
सबसे पहला Recorded conflict ( झगड़ा ) 1853 AD -1855 AD के बीच में जहाँ हनुमान गाड़ी गड़ी इ के बैरागी जो की एक वैष्णव Sect ( पंत/धर्म ) हैं, उनके हिंसाब से राम का जन्म बाबरी मस्जिद के site ( स्थल/ स्थान ) पे हुआ था। लेकिन इसे पीछे कोई historical basis नहीं है।
उस समय इस मस्जिद को जामा मस्जिद ही कहा जाता था। याने 1855 ईस्वी के बाद ही इस मस्जिद को बाबरी मस्जिद कहा जाने लगा।
12. अयोध्या मस्जिद – मंदिर विवाद को अंग्रेजी सरकार ने बढ़ावा दिया –
इस मामले को ख़त्म करने की जगह अंग्रेज सरकार ने इसे बढ़ावा दिया और इसको एक जरिया बनाया अवध के नवाब को निक्कम्मा करार देने के लिए, ताकि वे अवध को 1856 ईस्वी में अपने अहद/राज्य में शामिल कर सकें। अंग्रेजी सरकार के इसी प्रोत्साहन से 1857 ईस्वी में बैरागियों ने मस्जिद के पूर्वी भाग पर कब्जा कर लिया और वहां एक राम चबूतरे का निर्माण किया।
इसी साल 1857 ईस्वी में मौलवी मोहम्मद असगर जो बाबरी मस्जिद के मोहसिन ( Mohsin वो होते हैं जो मस्जिद में अजान देते हैं ) थे, उन्होंने Petition ( याचिका ) डाला मस्जिद पर कब्ज़ा करने के खिलाफ। इसके बाद फिर अंग्रेजी सरकार ने 1859 AD में एक दीवार बनाई और मस्जिद के दो भाग किये –
एक हिन्दुओं की पूजा के लिए और एक मस्जिद के लिए, हिन्दुओं को पूर्वी द्वार और मुसलमानों को उत्तरी द्वार से दाखिल होने को कहा।
इसके बाद 1860 AD,1877, 1883 और 1884 AD में मस्जिद पर पूरा कब्ज़ा करने के लिए petition डाले गए अंग्रेजी सरकार को, लेकिन वो सारे Reject हुए।
1885 के Petition/याचिका में महंत रघुवीर दास ने राम चबूतरे में मंदिर निर्माण की permission ( आज्ञा ) मांगी, लेकिन इस petition में भी इस बात का कोई जिक्र नहीं था की बाबरी मस्जिद के नीचे ही कोई राम मंदिर है। इस petition को भी 1886 में ख़ारिज कर दिया गया।
तो 1886 AD- तक भी बाबरी मस्जिद के नीचे राम मंदिर होने का कोई भी प्रमाण नहीं मिला। 1870-1923 Ad के बीच लिखे गए अंग्रेजी Gazettes ( राज-पत्र ) में ही इसका जिक्र है और इसका भी कोई ऐतिहासिक प्रमाण नहीं है। क्यूंकि अंग्रेजों से पहले न ही बाबर की अयोध्या में कोई मंदिर को तोड़ने का या मस्जिद के नीचे मंदिर होने का इतिहास था।
13. भारत की आजादी के बाद अयोध्या विवाद –
1949 AD में अखिल भारतीय रामायण महासभा ने 9 दिन तुलसीदास के रामचरितमानस का पाठ रखवाया जिसके अंत में पौराणिक भगवान् राम और सीता की मूर्तियां रख दीं।
इसके 6 दिन बाद बाबरी मस्जिद को disputed property ( विवादित सम्पत्ति ) करार दे दिया गया और मुस्लिम लोगों की entry ( प्रवेश ) पूरे तरीके से ban ( प्रतिबंधित ) कर दी गई। मस्जिद पर ताला लगा दिया गया। हिन्दू Side gate से मूर्तियों के दर्शन कर सकते थे।
ये सारे प्रमाण अंग्रेजों के पहले और अंग्रेजों के समय का है। इससे प्रमाणित होता है की बाबरी मस्जिद किसी मंदिर के अवशेष पर बना है ये बात 1870 AD के बाद ही आई। आजाद भारत में इस कड़ी का सबसे महत्वपूर्ण इतिहास है 2003 की Excavation जो बाबरी मस्जिद के गिराए जाने के बाद उसके Site पर हुई।
इस Excavation ( उत्खनन ) के दो Observers ( अवलोकन/ निगरानी ) थे दोनों की Experienced Archaeologist ( अनुभवी पुरातत्वशास्त्री ) हैं। प्रो। मनाना मेनन जिन्हीने 2010 में एक paper में लिख कर ये बताया की उनकी Observation के हिंसाब से बाबरी मस्जिद के नीचे आखिर क्या मिला था।
Archaeological Survey Of India ( भारतीय पुरातत्व विभाग/ASI ) की Excavation में कई “Pillar Bases” ( स्तम्भ आधार ) Create ( बनायें ) किये गए, याने ये पहले के नहीं थे। पहले के Pillar नहीं मिले।
जो Structure ( संरचना ) वास्तव में उत्खनन में मिले उसकी पश्चिमी दीवार ( Western Wall ) Pre-eminet ( पूर्व उत्सर्जित ) थीं, और पूर्वी दीवार ( Eastern wall ) की तरफ हल्की झुकी थी जो की एक मस्जिद में आम तौर पर देखने को मिलता है।
जहाँ मस्जिद का मुख्य हिस्सा, मेहराब भारत में पश्चिमी दीवार पर बना होता है क्यूंकि मक्का भारत के पश्चिम में है। प्रो। वर्मा और मेनन के हिंसाब से बाबरी मस्जिद के नीचे एक मस्जिद मिली, 12 वीं से 13 वीं Century AD में बानी हुई।
14. आखिर में सर्वोच्च न्यायालय का निर्णाय ( Supreme court judgment ) –
इस केस ( Case ) के आखिरी और सबसे महत्वपूर्ण ऐतिहासिक कड़ी 2019 की Supreme Court Verdict ( सर्वोच्च न्यायालय का फैसला ) से निकलती है जहाँ Supreme Court के Judgment के page no. 906 और 907 में साफ़ लिखा है की ASI ( Archaeology Survey of India ) ) Excavation की report से ये नहीं साबित होता की मस्जिद के नीचे मिले Structure को बाबरी मस्जिद बनाने के लिए ही तोडा गया, Report ये भी नही कहती की जो संरचना ( structure) मिला है उसके अवशेष से मस्जिद बानी।
आखिर में बाबरी मस्जिद के नीचे मिले संरचना की किस वजह से destruction ( विनाश ) हुई इसका कोई evidence/ प्रमाण ASI report नहीं देता और न ही इस बात का प्रमाण देता है की बाबरी मस्जिद को बनाने के लिए उसके नाचे मिले संरचना को तोडा गया हो।
याने सर्वोच्च न्यायालय का फैसला भी वही reiterate ( दुहराना ) करती है जो इतिहास को टटोलने/ Exammin करने पर देखा गया की मस्जिद को बनाने के लिए किसी मंदिर को तोडा गया हो इस बात का कोई ऐतिहासिक साक्ष्य ( historical proof ) नहीं है।
15. इतिहास के पन्नो से हमें चार बातें पता चलती हैं?
(i). बाबरी मस्जिद बाबर ने ही बनवाई हो इसका कोई साक्ष्य नहीं है।
(ii). मस्जिद को बनवाने के लिए किसी मंदिर को तोडा गया इसका कोई भी Historical proof नहीं है। इसका सबसे पहला जिक्र अंग्रेजों के शासनकाल में 1870 में होना शुरू हुआ।
(iii). बाबरी मस्जिद के नीचे मंदिर ही था इस बात पर भी पुरातत्वशास्त्री ( Archaeologist ) संदेग संदेह जताते हैं। जैसा की बताया गया 2003 के Excavation की Observation के हिंसाब से बाबरी मस्जिद के नीचे 12 वीं से 13 वीं CAD का मस्जिद है।
(iv). Supreme Court ( सर्वोच्च न्यायालय ) के Judgement ( निर्णाय ) के हिंसाब से मस्जिद के नीचे मिले Structure ( संरचना ) को क्यों ध्वस्त ( Demolished ) किया गया इसका कारण पता नहीं चला है।
Note- ये सभी जानकारियां (Information) हमने इतिहासकारों के बताये स्त्रोतों (Source ) से लीं हैं । अगर कोइ जानकारी गलत लगे तो आप हमें कमेंट(Comment) कर सकते हैं,हम इसे अपडेट करते रहेंगे। आपको हमारी आर्टिकल अच्छी लगती हैं तो आगे भी पड़ते रहें और इसे शेयर(share) करें।