आर्य शब्द ईरानियों (Aryans)ने खुद अपने आप को दिया, ईरान ( Iran ) शब्द आर्यनाम ( Aryanam ) से आता है, जिसका अर्थ होता है ईरानियों ( Aryans ) का देश। आर्यन्स ( Aryans ) शब्द को बाद में हिटलर ने जातीय शब्द ( racial term ) बना दिया। इसलिए आर्य शब्द का प्रयोग कम ही होता है
जो लोग ईरान से भारत की तरफ और मेसोपोटामिया ( Mesopotamiya ) की तरफ गए उन्हें आज मध्य एशियाई मैदानी लोग ( Central asian steppe people ) भी कहा जाता है।। अब इसमें कोई शक नहीं है की आर्य ईरान से ही आये थे।

यह चार तरीकों से सिद्ध ( prove ) होता है –
1. पुरातात्विक तौर पर ( Archaeologically ) 2. भाषा के तौर पर (As a language) 3. किताबी तौर पर ( Textually ) 4. हाल ही में दो अध्यन (studies) के हवाले से/अनुवांशिक रूप से (Genetically ) |
1. पुरातात्विक तौर पर ( Archaeologically ) –
(i) आर्य सभ्यता से पहले की सभ्यता हड़प्पा सभ्यता मानी जाती है। पुरातात्विक साक्ष्यों के आधार पर हड़प्पा सभ्यता 1700 BCE में नष्ट ( decline ) हो गई 2200 BCE में हड़प्पा सभ्यता के जो भी अवशेष हमें मिलें उससे यह पता चलता है की वहां अच्छी जल निकासी प्रणाली ( draining system ) थी। शहरों में व्यवस्थितिकरण ( Systemisation ) था। मिटटी के बर्तनो में सामंता समानत्ता समानता थी। वो सब 1700 BCE के बाद से मिलना काफी काम हो जाता है। इसका ये मतलब नहीं की वे सब मारे गए बल्कि उनकी सत्ता खत्म हो गई। जो समानता उनके drains में, ईंटों ( bricks ) आदि में मिलती थी वो अब नहीं मिले।
लोगों का मानना है की आर्य और हड़प्पा/ सिंधु घाटी सभ्यता के लोग एक ही जगह याने भारत से ही थे सही नहीं है, क्यूंकि हमें आर्यों के अवशेष 1400 BCE से मिलने शुरू होते हैं और ये हड़प्पा सभ्यता के अवशेष अवशेषों से बिलकुल अलग हैं। जैसे – हड़प्पा सभ्यता के लोग अपने मृत लोगों को दफनाते थे, लेकिन 1400 BCE से “Cremation” याने मृतक को जलने और उसकी राख को मटके में रखकर उस मटके को दफ़नाने को की प्रकिया के अवशेष मिलते हैं जिसे (Urn brial ) भी कहते हैं।


(ii) हड़प्पा सभ्यता के लोग कृषि करते थे लेकिन आर्य चरवाहे ( Pastoral ) थे, वे खेती नहीं करते थे बल्कि जानवरों की उपज याने दूध इत्यादि पर जीते थे या वन उपज ( forest produce ) पर। इसलिए आर्य एक जगह पर नहीं रहते थे वे अपने मवेशियों ( cattle) के साथ एक जगह से दूसरी जगह प्रस्थान (move) करते रहते थे।
(iii) माना जाता है की रथ ( Chariot ) सिनौली ( Sinauli ) से मिला है और इसे साक्ष्य के रूप माना जाता है की हड़प्पा और आर्य एक समान थे क्यूंकि वेद और महाभारत में रथ के बारे में बात हुई है। लेकिन ये सच नहीं है रथ के पहिये spoked ( तीली की तीली ) होते थे लेकिन जी रथ सिनौली में मिलें हैं वो spoked wheel नहीं हैं.
हड़प्पा सभ्यता में full wheel ( पूरे पहिये ) को बैल गाड़ी ( bull carts ) में इस्तेमाल किया जाता था न की रथ में। आप दोनों में अंतर इस नीचे दिए गए चित्र में देख सकते हैं –


सबसे पहले रथ Ura sea ( यूराल सागर ) के करीब में 2000 BCE में ( ural sea रूस/ Russia के करीब है ), फिर यहाँ से रथ मिश्र ( Egypt ) की तरफ गए।
1500-1400 BCE में और यही काल आर्यों का भारत आगमन का भी माना जाता है। आर्य यूराल सागर से ही आये थे उनके आने के दो रास्ते थे, एक हिन्दुकुश के पहाड़ों से होते हुए, जो हमें गांधार संस्कृति से पता चलता है, घोड़े के कंकाल 1600 BCE में मिले।
दूसरा रास्ता पामेर पहाड़ों से था जहाँ समान चरागाही/चरवाहे संस्कृति ( similar pastoral culture ) मिलता है, क्योंकि आर्य चरवाहे ( patoral ) थे इसलिए उनके अवशेष मिल पाना मुश्किल है अधिकतर कम अवशेष ही मिलते हैं। वेदों में कहा गया है की एक जगह से दूसरी जगह जाने से पहले उस जगह को जलाना जरुरी था जिससे अवशेष का मिलना और भी दुर्लभ हो जाता था।
चौथीं बात ये है की आर्यों को अक्सर घोड़ों के साथ जोड़कर देखा जाता है इसलिए ये भी माना जाता है की घोड़ों के अवशेष भी हड़प्पा सभ्यता में मिलें हैं या बात भी गलत साबित होती है। गांधार संस्कृत में घोड़े के अवशेष पहले मिलते हैं 1600 BCE में जो की हड़प्पा सभ्यता के काफी बाद में हैं, और क्योंकि गांधार के रास्ते से ही आर्य आये थे ये घोड़े उन्ही के समय के हैं।
आर्य खुद को भी अलग बताते हैं भारत के स्थानी स्थानीय ( local ) लोगों से जैमिनी ब्राह्मण ( Jaminiya brahmana ) में वैदिक लोगों को सामान्य गाँव ( local village ) में नहीं रहना चाहिए और अगर वे जाएँ भी तो क्षत्रियों को साथ लेकर जाएँ।
2. भाषा के तौर पर (As a language) –
ऋग्वेद को 1400 BCE में मौखिक रूप में माना गया है ( ऋग्वेद को काफी बाद में 6 BCE के करीब लिखा गया ), तो ऋग्वेद की भाषा की जननी आदिम-हिन्द-यूरोपियन भाषा ( proto-indo-european ) है, जिससे आदिम-हिन्द -ईरानी ( proto-indo-Iranian ) भाषा आई है जो की रूसी-मध्य-एशिया-मैदान ( Russian-central-asian-Steppe ) वाली जगह में रहने वाले लोगो बोलते थे।
मध्य एसीए एशिया के घास के मैदान ( Central asian grassland ) जहाँ लम्बी घास उगती है उन्हें मध्य एशिया के मैदान ( Central asian steppes ) भी कहा जाता है। तो ये हिन्द ईरानी ( Indo-Iranian ) भाषी लोग ईरान और अफगानिस्तान ( Afghanistan ) की तरफ आये। आज भी कुछ संस्कृति के शब्द यूरालिक ( uralic ) भाषा जो रूस और मध्य एशिया के मैदान में बोली जाती थी उनसे मेल कहती है जैसे की 100/सौ, जिसे संस्कृत में शत/shata कहते हैं उसे फिनिश ( finnish ) जो एक यूरालिक भाषा है जिसे आज फिनलैंड में भी बोली जाती है। वहां भी 100/सौ को शत/shata कहते हैं।

चक्र/Chakra को यू रालिक भाषा में केकरा ( kekra ) और भाग को पका पाका/ बाक़ा ( paka/baka ) कहते हैं, इससे पता चलता है की ईरान और अफगानिस्तान में proto-indo-iranian बोलने वाले लोग central-asian-steppe और ( Uralic Regions ) से ही आये। ईरान से एक शाखा ( branch ) भारत की तरफ निकला और दूसरी शाखा पश्चिम की तरफ मेसोपोटामिया के क्षेत्र की तरफ।
यहाँ मित्तानी साम्राज्य ( Mittani Kingdom ) की तारीख 1600 BCE की मानी जाती है, उनकी भाषा हुर्रियन ( Hurrian ) थी, ये भी proto-Indo-language- के शब्द लिए हुए है जैसे राजाओं के नाम purusha/Subandha और शब्द जैसे एक/ek , अश्व/Ashva याने घोडा भी मित्तानी राज्य की hurrian भाषा में पाए जाते हैं
ऋग्वेद के भगवान् इंद्रा, वरुण मित्तानी लोगों द्वारा भी पूजे जाते थे। उनके नाम बड़े मशहूर मित्तानी हिट्टीटाइट एग्रीमेंट (Hittite aggrement ) में मिलें हैं जिससे की काफी साफ़ हो जाता है की मित्तानी की तरफ और भारत की तरफ proto-Indo-Iranian बोलने वाले लोग ही ईरान से आये।
मित्तानी राज्य की तारिख से ही हम ऋग्वेद का अनुमान लहाते हैं जो की 1500 और 1300 BCE के बीच में मानी जाती है। इससे ये भी पता चलता है ऋग्वेद की रचना अधिकांश भारत के क्षेत्र के बाहर ही किया गया। ये हमें सोम ( soma ) के जिक्र से पता चलता है जो की एक तरह का पौधा था जो किर्गिस्तान के मुजावंत पर्वत ( Mujwan mountain ) का कहा जाता है ऋग्वेद में, यहीं से आर्यों को सोम के इस्तेमाल का पता चला इसी क्षेत्र में ईंट/Ishta, ऊँट/Ushtra ये सारे शब्द से आये।
फिर वे हिन्दुकुश पहुंचे तब उनकी भाषा में शुचि/shuchi शब्द आया जो female mountain spirit को माना जाता है। ऋग्वेद में हड़प्पा सभ्यता के शब्द जो उनके व्यापार ( Trade ) से मिले हैं जैसे मेलुहा (meluha) ऋग्वेद भाषा में नहीं मिले हैं।
3. किताबी तौर पर ( Textually ) –
ऋग्वेद की सिर्फ भाषा ही नहीं बल्कि उनमे बताये रीति – रिवाज भी हड़प्पा से मेल नहीं कहते। उस समय की आर्किओलॉजी सही तरीके से ना होने के कारण सिंधु सभ्यता से मिले एक सील में जो व्यक्ति की अकृत है उसे भगवान् शिव के पहले फ़ार्म ( आध शिव (proto-shiv ) से जोड़ा जाता है।
सिंधु सभ्यता में महिलाओं की आकृतियां मिलीं हैं उन्हें भी देवी की प्रतिमा माना गया, और ये अनुमान लगाया गया है की सिंधु सभ्यता में देवी की पूजा की जाती थी, ये भी गलत मान्यता थी।
नोट- इस सील (seal) और प्राप्त महिला अकृत पर हमने इस ब्लॉग पर पहले के पोस्ट में आपको बताया है आप उसे भी पढ़ सकते हैं।
अगर ऋग्वेदिक सभ्यता, हड़प्पा/ सिंधु घाटी सभ्यता से मेल नहीं खातीं है तो किससे मेल खातीं हैं, इसका जवाब है तो इसका जवाब है Indo European rituals से Germanic religion ( जर्मनी ) और greek religion ( यूनानी ) यहाँ तक की Zoroastrianism ( जरथुस्त्र ) जो पारसी धर्म है सब वैदिक धर्म से मेल कहते है।

जैसे की पिंड पितृ ( Pind pitra ritual ) की रीति, जो दिवंगत पितरों/ पूर्वजों ( ancestors ) के लिए की जाती है ग्रीक/ यूनानी धर्म में Tritopatores कहा जाता है। usha ( उषा ) जो Deospitra ( सारग ) की बेटी मानी जाती है, germanic धर्म में उसे Austera कहा गया है।
अश्विन कुमार ( Ashin kumar ) जो Deospitra ( उषा ) के दो पुत्र माने जाते हैं वो ग्रीक और रोमन पौरांणिक कथा ( mythology ) में कैस्टर और पोलक्स के नाम से मशहूर हैं। Zeus ( जेउस ) ग्रीक/यूनानी देवता हैं और इंद्रा ऋग्वेद भगवान् दोनों की रूपरेखा मिलती जुलती है।
सामाजिक व्यवस्था जैसे आर्यों की वर्ण शैली ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और भारत में आने के बाद शूद्र वर्ण भी इसमें हुआ जब आर्य यहाँ आये तो आर्यों ने यहाँ के लोगों को दास या गुलाम बनाया और अपने से नीचे माना। ग्रीक/ यूनानी समाज में भी ये तीन वर्ण व्यवस्था मौजूद है थीं।

4. हाल ही में दो अध्यन (studies)के हवाले से /अनुवांशिक रूप से (Genetically ) –
आखिर में आर्यों का ईरान से आने का सबसे पुख्ता शबूत है genetic studies , DNA विश्लेषण (analysis) से दो अध्यन हुईं हैं-
(i). एक study सेल ( Cell ) नामक पत्रिका ( journal ) में छपी है जो ये बताती है हड़प्पा और ईरानी पेस्टोरियल जीन अलग – अलग है, हड़प्पा जीन वाले लोग ही दक्षिण एशिया ( South asia ) में सबसे पहले खेती ( Farming ) करना प्रारम्भ किये। इससे साफ़ हो जाता है की हड़प्पा और बाद में आये वैदिक सभ्यता के लोग बिलकुल अलग थे।
(ii). दूसरी study जो साइंस ( Science ) नामक पत्रिका ( journal ) में है उसमें यह बताया गयी है चरवाहे ( Step pastorallist ) जीन्स 2 री शताब्दी ईसा पूर्व के बीच में मिलना शुरू होते हैं जो की पहले ही बताई हुई तारिख से बिलकुल मेल करता है 1500 BCE , और चरवाहों के जीन्स भारत के केवल 30 प्रतिशत लोगों में ही मौजूद है।

FAQ-
Q- आर्य शब्द कहाँ से आया?
Ans- आर्य शब्द ईरानियों (Aryans) ने खुद अपने आप को दिया।
Q- ईरान शब्द का क्या अर्थ है?
Ans-ईरान ( Iran ) शब्द आर्यनाम ( Aryanam ) से आता है, जिसका अर्थ होता है ईरानियों ( Aryans ) का देश।
Q- आर्य लोग कहाँ से आये भारत में आये थे?
Ans- आर्य ईरान से भारत में आये।
Q- पुरातात्विक साक्ष्यों के आधार पर हड़प्पा सभ्यता कब decline हुई।
Ans- पुरातात्विक साक्ष्यों के आधार पर हड़प्पा सभ्यता 1700 BCE में नष्ट ( decline ) हो गई।
Q- आर्यों के अवशेष में कब से मिलने शुरू होते हैं
Ans- आर्यों के अवशेष 1400 BCE से मिलने शुरू होते हैं।
Q- आर्यों के भारत आने से पहले से उनके समाज में वर्ण कितने भागो में बटन था?
Q- हड़प्पा और वैदिक सभ्यता के दाह संस्कारों में क्या अंतर था?
Ans- हड़प्पा के लोग अपने मृतक व्यक्तियों को दफनाते थे, जबकि वैदिक का अग्नि में जलाते थे और उसकी राख को एक मिटटी के मटके में भरकर उस मटके के दफनाते थे।
Q- ऋग्वेद की भाषा की जननी कौन सी भाषा है?
Ans- ऋग्वेद की भाषा की जननी आदिम-हिन्द-यूरोपियन भाषा ( proto-indo-european ) है।
Ans- तीन भागों में – ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य ।
Q- आर्य जब भारत आये तो उनके वर्ण व्यवस्था में एक और वर्ण कौन सा जुड़ा।
Ans- शूद्र वर्णन ।
Q- अनुवांशिक रूप से (Genetically ) किया गया अध्यन किन दो पत्रिकाओं ( journal ) में छपी?
Ans- एक study सेल ( Cell ) नामक पत्रिका ( journal ) में छपी है और दूसरी study जो साइंस ( Science ) नामक पत्रिका ( journal ) में है।
Note- ये सभी जानकारियां (Information) हमने इतिहासकार रुचिका शर्मा के बताये स्त्रोतों (Source ) से लीं हैं । अगर कोइ जानकारी गलत लगे तो आप हमें कमेंट(Comment) कर सकते हैं,हम इसे अपडेट करते रहेंगे। आपको हमारी आर्टिकल अच्छी लगती हैं तो आगे भी पड़ते रहें और इसे शेयर(share) करें।