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भारत का इतिहास|इतिहास जानने के स्त्रोत

Posted on November 25, 2022November 30, 2022 By Deepti

प्राचीन भारत का इतिहास:

इतिहास जानने के स्त्रोत–

1.साहित्यिक स्त्रोत ऋग्वेद,साम वेद, यजुर्वेद,अथर्वेद, ब्राह्मण ग्रंथ, आरण्य, उपनिष्द, वेदांत, महाकाव्य, पुराण, दर्शन, उपवेद, सूत्र, जैन एवं बौद्ध साहित्य,लौकिक, साहित्य, स्मृति ग्रन्थ, विदेशियों का यात्रा विवरण
2.पुरातात्विक स्त्रोत अभिलेख, सिक्के, मूर्तिकला, चित्रकला, भवन एवं स्मारक, पूर्व पाषाण कालीन स्थल, मध्य पाषाण कालीन स्थल, नव पाषाण कालीन स्थल, ताम्र पाषाण कालीन संस्कृतियां
3.विदेशी विवरण यात्रा वृतांत

1.साहित्यिक स्त्रोत–

a. धार्मिक ग्रंथ- इसे हिन्दू धर्मग्रंथ साहित्य भी कहा जाता है। यह तीन हैं- वैदिक साहित्य, जैन साहित्य, बौद्ध साहित्य।

b.वैदिक साहित्य- वैदिक धर्मग्रंथ को ब्राह्मण धर्मग्रंथ भी कहा जाता है- महर्षि कृष्ण द्वैपायन एवं वेदव्यास।

c. वेद- वेद को विश्व में प्रथम लिखित ग्रंथ मन जाता है, वेद का अर्थ है “ज्ञान”, इसे देवकृत मन जाता है। वेद चार प्रकार के हैं- ऋग्वेद,सामवेद, यजुर्वेद, अथर्वेद।

ऋग्वेद ( 1500-1000 ईसा पूर्व )-

* विश्व की सबसे प्राचीनतम वेद व रचना है।

*इसमें 10 मंडल एवं 1028 शक्तियां एवं 10,580 श्लोक मन्त्र हैं।

* इंद्रा के लिए 250 एवं अग्नि के लिए 200 श्लोकों की रचना की गई है।

* विश्वामित्र, वशिष्ठ और लोपामुद्रा सूक्तियों के प्रमुख रचयिता थे।* ऋगवेद की मान्य दो शाखाएँ हैं- शाकल व वाष्कल।* इसमें हमें आर्यों के जीवन की राजनीतिक व सांस्कृतिक जीवन के बारे में ज्ञान प्राप्त होता है। * ऋग्वेद और जेंदावस्ता ( ईरानी ग्रंथ ) में समानता पाई जाती है।* ऋग्वेद को पड़ने वाले को होता कहते हैं।* प्रथम ऋचा अग्नि देवता के प्रति है। * इसके सातवें मंडल ( रचियता- विश्वामित्र )में गायत्री मंत्र ( सावित्री )का उल्लेख है। * इसमें दसवें मंडल के पुरुषसूक्त में सर्वप्रथम “शूद्र” शब्द का उल्लेख हुआ है। * इसमें “दाशराज्ञ” शब्द का उल्लेख मिलता है, जो भरत कबीले के राजा सुदास व पुरु कबीले के मध्य हुआ था। * सोमदेव का उल्लेख नौवें मंडल में है।* ऋग्वेद में वर्णित धर्म का आधार प्रकृति पूजा है।* इसके अधिकांश भाग की रचना सप्तसैंधव प्रदेश में हुई। * ऋग्वेद में पांच शखाएँ हैं- शाकल, वाष्कल, आश्वलायन, शार्वायन व माण्डूकायन।

सामवेद-* मुख्य रूप से यह वेद संगीत से संबंधित है। * इसमें कुल 1875 श्लोक हैं, जिसमें 75 के अतिरिक्त शेष ऋग्वेद से लिया गे गया है।* इसमें वाचन करने वाले को उद्धगाता कहते हैं। * “साम” शब्द का अर्थ है- “गान”* सामवेद में संकलन मन्त्र को देवताओं की स्तुति के समय गया जाता है।

यजुर्वेद-* इस वेद में हमें यज्ञ एवं कर्मकांड के बारे में जानकारी प्राप्त होती है। * यजु शब्द का अर्थ है- यज्ञ * यजुर्वेद से आर्यों की धार्मिक व सामाजिक जीवन के बारे में जानकारी मिलती है।* यजुर्वेद को पड़ने वाला पुरोहित “अध्वुर्य” है।* यह गद्य व पद्य वाला वेद है।

अथर्वेद-

* अथर्वेद के अन्य नाम- ब्रह्मवेद, महीवेद, भैजीवेद।

* इसमें सर्वाधिक उल्लेखनीय विषय “आयुर्विज्ञान” है।

* इसमें 20 काण्ड,730 सूक्ति एवं 5,987 मंत्र हैं।

* सभा व समिति को प्रजापति की दो पुत्रियां कहा जाता है।

* दो भाग पिप्पलाद व शोनक

* यह वेद अनार्यों द्वारा रचित है।

* इस वेद को पड़ने वाला पुरोहित ब्रह्मा है।

* यह सबसे नवीन वेद है।

* इसमें हमें ब्रह्मज्ञान, औषधि प्रयोग, टोना- टोटका, के बारे में जानकारी प्राप्त होती है।

2.पुरातात्विक स्त्रोत–

इसके अंतर्गत निम्न विषय है- *वास्तुकला, ( इमारत, स्मारक आदि ), *चित्रकला , अभिलेख, * सिक्के एवं अन्य वस्तुएं।

3.विदेशी विवरण–

भारत में सर्वप्रथम यूनानियों ने प्रवेश किया-

*टेसियस

*हेरोडोटस

*प्लिनी

*टॉलमी

*नियार्कस

*डाइमेकस

*डायोनियस

*मेगस्थनीज

अरबी यात्रियों का यात्र यात्रा विवरण

चीनी यात्रियों का यात्रा विवरण

यूरोपीय यात्रियों का यात्रा विवरण

इतिहास:

1.प्रागैतिहासिक काल पूर्व पाषाण काल, मध्य पाषाण काल, उत्तर पाषाण काल
2.आद्यैतिहासिक काल हड़प्पा, मोहनजोदड़ो, चहुंदाड़ो, लोथल, कालीबंगा, बनवाली, रंगपुर, सुरकोतड़ा, धोलावीरा, रोपड़, आलमगीरी, मांडा, सिंधु घाटी के लोगों का जीवन
3.ऐतिहासिक काल राजनीतिक व्यवस्था एवं प्रशासनिक ईकाई, सामाजिक व्यवस्था, सामाजिक प्राथाएँ, आर्थिक जीवन, न्याय व्यवस्था, सामजिक जीवन, धार्मिक जीवन, ऋग्वेद काल में आर्यों का वर्णन

1.प्रागैतिहासिक काल– सिंधु घाटी सभ्यता से पूर्व का काल इसके लिखित साक्ष्य नहीं हैं।

2.आद्यैतिहासिक काल– इसमें सिंधु घाटी सभ्यता को शामिल किया गया है।

3.ऐतिहासिक काल– ऋग्वेद काल से वर्तमान तक का काल, इसके लिखित साक्ष्य उपलब्ध हैं।

Note- ये सभी जानकारियाँ(Information) इंटरनेट(Internet) से ली गईं हैं, अगर कोइ जानकारी गलत लगे तो आप हमें कमेंट(Comment) कर सकते हैं,हम इसे अपडेट करते रहेंगे। आपको हमारी आर्टिकल अच्छी लगती हैं तो आगे भी पड़ते रहें और इसे शेयर(share) करें।

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1.हर्यक वंश काल: 545-412 इसा पूर्व संस्थापक: बिम्बिसार 2.शिशुनाग वंश काल: 412-345 इसा पूर्व संस्थापक: शिशुनाग 3.नन्द वंश काल: 344-322 इसा पूर्व संस्थापक: महापद्मनंद 4.मौर्य वंश काल: 323-184 इसा पूर्व संस्थापक: चन्द्रगुप्त मौर्य 1.हर्यक वंश:

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