‘कुङुख’ एक भाषा है,इसे ‘कुरुख’ भी कहते हैं, जिसे भारत, बांग्लादेश,नेपाल में बोली जाती है। भारतीय राज्यों में झारखण्ड,छत्तीसगङ,पश्चिमबंगाल,बिहार एवं मध्यप्रदेश,असम में उरांव जनजातियों व्दारा बोली जाती है। द्रविङ परिवार का हिंस्सा है,यह कन्नङ भाषा से मिलती जुलती है।UNESCO के Endangered List में कुरुख भाषा को सम्मिलित किया गया है।यह पश्चिम बंगाल की व्दितिय राजभाषा में शामिल है।इस भाषा में कुछ अन्य भाषा के शब्द भी हैं।

Contents-
1.कुङुख भाषा का इतिहास 2.कुङुख लिपि 3.कुङुख भाषा साहित्य के प्रमुख पुस्तक 4.कुङुख पात्रिका |
1. कुङुख भाषा का इतिहास:
कुङुख या कुरुख एक द्रविङ भाषा परिवार की भाषा है। लिग्विंस्टिक सर्वे आफ इंडिया 2011 के रिर्पोट कि संख्या 19,88,350 है,पर कुरुख भाषी उरांव लोग अपनी जनसंख्या के बारे में बतलाते हैं कि पूरे विश्व में कुरुख भाषी उरांव लोग 50 लाख के लगभग हैं। झारखंड में इस भाषा की पढाई विश्वविध्यालयों में हो रही है।
वर्ष 1989 में छपी मेरी छोटी सी पुस्तक ‘सरना समाज और उसका अस्तित्व’ झारखण्ड के आन्दोलनकारियों तक पहुंची,इस पुस्तक में प्रस्तुत तथ्यों पर गौर करते हुए आन्दोलनकारी छात्र नेता एवं आल झारखण्ड स्टुडेंटस यूनियन (आजसू) के तत्कालीन अध्यक्ष श्री विनोद कुमार भगत ने कहा आप डाॅक्टर बनकर समाज और देश की सेवा कीजिएगा,साथ ही अपने परिवार का भी सेवा कीजिएगा,पर आदिवासी समाज की सेवा कौन करेगा।
2. कुङुख लिपि

भारतीय आदिवासी आन्दोलन एवं झारखंड के छात्र आन्दोलन के बदौलत तोलोंग सिकी लिपि को लोगों ने जाना,इस लिपि के प्ररुपण में मध्य भारत के मुख्य आदिवासी भाषाओं कि ध्वनियों को आधार माना गया है.लिपि चिन्हो के संकलन हेतु हल चलते समय बनी हुई आकृतिय़ां,परंपरागत पोशाक तोलोंग को कमर में पहनने से बनी आकृतिय़ां,पुजा के नियम में खींची गई आकृतियां,दण्डा कट्टना पुजा चिन्ह एवं दीवारों में बनाई जाने वाली आकृतियां,एवं खेल-खेल में खींची जाने वाली रेखाएं लिपि चिन्ह का मुख्य आधार है। यह तोलोंग शब्द कुरुख,मुण्डा,खडिया,हो,संथाली आदि सभी भाषाओं में समान है। सिकि का अर्थ है लिपि,इस प्रकार तोलोंग सिकि का अर्थ है तोलोंग लिपि।
भाषा वैज्ञानिकों का मानना है कि किसी भी भाषा के दो विकसित रुप हैं –
1.verbal speech कान की भाषा
2.visual speech आंख की भाषा
कान की भाषा प्रकृति पदत्त है तथा परिर्वतनशील है,आंख की भाषा सभ्यता की देन है तथा यह किसी भी भाषा को स्थिरता प्रदान करता है। वैज्ञानिकों का मानना है स्थिर स्वरुप के बिना बोली का स्थायित्व नही है,स्थिरता प्रदान करने वाला रुप ही आंख है। इसलिये आंख की भाषा अर्थात् लिपि चिन्ह का विकास किया जाना आवश्यक है। कुरुख भाषा के पास अबतक कान की भाषा है जिसके कारण यह परिर्वतनशील प्रकृति के अनुसार गतिशील है। इसे स्थिरता प्रदान करने का उपाय नही किया गया तो यह अपनी प्राकृतिक मौत की ओर अनायास ही बङती चली जायेगी। अत: जबतक भाषा को स्थिरता प्रदान करने वाला रुप याने लिपि नही दिया जायेगा तबतक इसे पाने में कठिनाई होगी। उपलब्ध कुरुख साहित्यों के अवलोकन से पता चलता है की पूर्व में ईसाइ मिशिनरियों ने कुरुख भाषा के लिये सर्वप्रथम रोमन लिपि का व्यवहार किया उसके बाद देवनागरी लिपि का व्यवहार किया जाने लगा। वर्तमान में महाविध्यालयों में कुरुख भाषा का पठन-पाठन देवनागरी लिपि के माध्यम से होती है। इस परिस्थिति में एक नई लिपि कि तोलोंग सिकि को अपनाने की जरुरत महसूस होती है। तोलोंग लिपि का आधार कुरुख भाषा,संस्कृति,रीति-रिवाज एवं मान्यता है,इसमें कुरुख भाषा की सभी मूल ध्वनि चिन्ह(लिपि चिन्ह) है। यह कुरुख भाषा की मूलता को बरकरार रखने में सक्षम है।
लिपि-स्वर-व्यंजन-अंक:

3. कुङुख भाषा साहित्य के प्रमुख पुस्तक:
1. 1921 में विलियम जोन्स के व्दारा एशियाटिक सोसाइटी आफ़ बंगाल नामक संस्था ने कुरुख भाषा में दो आलेख छापे थे –
- Brief Grammar & Vocabulary of Oraon Language
- epitome of the Grammar of Oraon Language
2. kurukh Grammar – फ़ार्डिनेंड हान
3. कुरुख फ़ोक्लोर – फ़ार्डिनेंड हान
4. इंग्लिश कुरुख डिक्शनरी – ए ग्रिर्नार्ड
5. A Grammar of Oraon Language & Study In Oraon Adversaries – ए ग्रिर्नाड
6. इंग्लिश हिंन्दी कुरुख डिक्शनरी – मिखाईल तिग्गा
7. कत्था आरा कत्था बिल्लियन ईदरु – मिखाईल तिग्गा
8. An Introduction to the Oraon Language – O Flax
9. कुरुख सरहा (व्याकरण) – आहाद तिर्कि
10. कुरुख दांडी – इस पुस्तक का प्रकाशन 1950 मेंं हुआ था,मगर इसे 2005 में साहित्य अकादमी व्दारा भाषा सम्मान पुरस्कार 2005 में दिया गया,इसके लेखक बिहरी लकडा हैं।
11. हिन्दी कुरुख शब्दकोश – स्वर्णलता प्रसाद
12. कुरुख हिन्दी शब्दकोश – स्वर्णलता प्रसाद
13. थोथे उरांव
14. मौसमी राग – जाॅन लकङा
15. खल्ली अयंग – ईंद्रजीत उरांव
16. कुरुख परकला – पी सी बेक
17. कुरुख शब्दकोश – बृज बिहरी कुमार
18. मुंता पुंम्प भूंपा – देबले कुजुर



4. कुरुख पत्रिका:
1. बिजबिनको – इग्नेस बेक ने इसका संपादन 1940 में शुरु किया,यह एक मासिक पत्रिका है.
2. बोलता – इस मासिक पत्रिका का संपादन आहाद तिर्क्कि ने 1949 में शुरु किया।
3. घुमकुरिया – आहाद तिर्क्कि ने 1950 में इस पत्रिका का संपादन शुरु किया। यह रांची से प्रकाशित होती है।
4. सरना फ़ूल – यह एक विशेषांक है जो रांची से प्रकाशित होती है।
5. सिंगी दई – यह त्रिमासिक पत्रिका है जो दिल्ली से प्रकाशित होती है.।
6. कर्मा-धर्मा – यह पत्रिका भी रांची से प्रकाशित होती है।

FAQ –
Q. कुड़ुख भाषा किन – किन देशों में बोली जाती है?
Ans.- कुड़ुख भाषा भारत, बांग्लादेश,नेपाल में बोली जाती है।
Q.- भारत के किन – किन राज्यों में कुड़ुख भाषा बोली जाती है?
Ans. भारतीय राज्यों में कुड़ुख भाषा झारखण्ड,छत्तीसगङ,पश्चिमबंगाल,बिहार एवं मध्यप्रदेश,असम में उरांव जनजातियों व्दारा बोली जाती है।
Q. कुङुख या कुरुख भारत के किस भाषा परिवार की भाषा है?
Ans. कुङुख या कुरुख एक द्रविङ भाषा परिवार की भाषा है।
Q. कुड़ुख भाषी लोगों की जनसंख्या कितनी है?
Ans. लिग्विंस्टिक सर्वे आफ इंडिया 2011 के रिर्पोट कि संख्या 19,88,350 है,पर कुरुख भाषी उरांव लोग अपनी जनसंख्या के बारे में बतलाते हैं कि पूरे विश्व में कुरुख भाषी उरांव लोग 50 लाख के लगभग हैं।
Q. भाषा वैज्ञानिकों के अनुसार किसी भी भाषा कितने विकसित रुप होते हैं?
Ans भाषा वैज्ञानिकों का मानना है कि किसी भी भाषा के दो विकसित रुप हैं – verbal speech कान की भाषा, visual speech आंख की भाषा।
Q.- तोलोंग लिपि का आधार क्या है?
Ans. तोलोंग लिपि का आधार कुरुख भाषा,संस्कृति,रीति-रिवाज एवं मान्यता है,इसमें कुरुख भाषा की सभी मूल ध्वनि चिन्ह (लिपि चिन्ह) है।
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