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Rashtriy aadivasi nrity mahotsav 2022 CHHATTISGARH|राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव 2022 छत्तीसगढ़

Posted on November 14, 2022August 8, 2024 By Deepti

                                                                                                                               

 

 

 

 

                                

 

 

 

 

 

 

                       

 

                  

 

                   

 

                          

 

                    

 

                    

 

                    

 

                     

 

  

 

  आदिवासी संस्कृति कि खूबसूरती –

छत्तीसगढ़ रायपुर, के मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने आदिवासी संस्कृति को बढ़ावा देने के लिये और यहां की आदिवासी संस्कृति और कला को विश्व स्तर पर पहचान दिलाने के लिए राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का आयोजन अपने नेतृत्व में किया है, 1 नवंबर से 3 नवंबर तक। इस महोत्सव में छत्तीसगढ़ के साथ भारत के अन्य राज्यों और विदेशों से आदिवासी समुदाय के लोग अपनी संस्कृति एवं कला की छटा बिखेरने जुटे हैं। यह राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का तीसरा आयोजन है। यह आयोजन 1-3 नवंबर तक रायपुर के साइंस काॅलेज मैदान में किया जा रहा है।

  नृत्य से जुड़ी जानकारियां – (प्रमुख नृत्य एवं जनजाति समुदाय)

   

 

  1. दंडामी माड़िय़ा नृत्य, छत्तीसगढ़
  2. माओ पाटा नृत्य, छत्तीसगढ़
3. हुलकी नृत्य,छत्तीसगढ़।
4. छाऊ नृत्य, झारखंड।   
5. पाइका नृत्य, झारखंड।
6. दमकच नृत्य, झारखंड। 
7. बाघरूम्बा नृत्य, असम। 
8. मरयूराट्टम नृत्य, केरल।

  1. दंडामी माड़िय़ा नृत्य, छत्तीसगढ़

यह बस्तर के जनजाति समुदाय का पारंपरिक नृत्य है, इसे गौर माड़िय़ा नृत्य के नाम से जाना जाता है। इसमें युवक अपने सिर पर गौर नामक पशु के सींग से बना मुकुट,कोकोटा पहनते हैं, जो कौड़ियों और कलगी से सजा रहता है। उनके साथ नृत्य करने वाली युवतियां अपने सिर पर पीपल का मुकुट(टिगे) पहनती हैं और हांथ में लोहे की सरिया से बनी एक छड़ी, गूजरी बड़गी रखती हैं, जिसके ऊपर घुंघरु लगे रहते हैं,जिसे जमीन पर पटकती हैं जिससे सुंदर ध्वनि सुनाई देती है। 

  2. माओ पाटा नृत्य, छत्तीसगढ़

यह बस्तर के मुरिया जनजाति का पारंपरिक नृत्य है, इस नृत्य को गौर मार नृत्य भी कहते हैं,माओ पाटा का आयोजन घोटुल के प्रांगण में किया जाता है,जिसमे युवक एवं युवतियां सम्मिलित होते हैं।  नर्तक विशाल आकार के ढोल बजाते हुए घोटुल में प्रवेश करते हैं, इस नृत्य मे गौर पशु है तथा पाटा का अभिप्राय कहानी है, जिसमे गौर के पारंपरिक शिकार को प्रर्दशित किया जाता है।

पोत से बनी सुंदर माला, कौड़ी भृंगराज पक्षी के पंख की कलगी जिसे जेलिंग कहा जाता है, युवक अपने सिर पर सजाए रहते हैं,युवतियां पोत एवं धातुई आभूषण कंघियां और कौड़ी से श्रृंगार किए हुए रहती हैं। एक व्यक्ति पशु का स्वांग लिए रहता है, जिसका नृत्य के दौरान शिकार किया जाता है।

3. हुलकी नृत्य,छत्तीसगढ़

यह मुरिया जनजाति का पारंपरिक नृत्य है, यह जनजाति बस्तर,कोंडागांव एवं नारायणपुर जिले में निवास करती है, इस नृत्य में स्री-पुरुष दोनों सम्मिलित होते हैं। हुलकी नृत्य के बारे में ये मान्यता है कि यह नृत्य आदि देवता लिंगोपेन को समर्पित है। इस नृत्य में सवाल-जवाब की शैली में गीत गाऎ जाते हैं। इस नृत्य का मुख्य वाध यंत्र डहकी पर्राय है,जिसका वादन पुरुष नर्तक करते हैं और महिलाएं चिटकुलिंग का वादन करती हैं। पारंपरिक रुप से हुलकी नृत्य का आरंभ हरियाली पर्व के बाद युवागृह से प्रारंभ होता है।

  4. छाऊ नृत्य, झारखंड

छाऊ नृत्य भारत के तीन पूर्वी राज्यों में लोक और जनजातीय कलाकारों द्वारा किया जाने वाला एक लोकप्रिय नृत्य है, जिसमें मार्शल आर्ट और कर्तब होते हैं, इस नृत्य का नाम राज्यों के हिंसाब से अलग-अलग है। पश्चिम बंगाल में पुरुलिया छाऊ, झारखंड में सराइकेला छाऊ,ओडिसा में मयूरभंज छाऊ कहते हैं।

इसमें पहले दो प्रकार के छाऊ नृत्य में मुखौटों का उपयोग किया जाता है, जबकि तीसरे प्रकार के मयूरभंज छाऊ में मुखौटे का प्रयोग नही किया जाता है। इस नृत्य में रामायण, महाभारत एवं पुराण की कथाओ को कलाकारों के द्वारा मंच पर प्रस्तुत किया जाता है। इसमें वाधयंत्र के साथ गीत प्रस्तुत किया जाता है।

 5. पाइका नृत्य, झारखंड

मुंडा जनजाति झारखंड की एक प्रमुख जनजाति है,मुंडा के अतिरिक्त यह नृत्य उरांव, खड़िया जनजाति के लोगों का पारंपरिक नृत्य है, यह युध्द कला से संबंधित नृत्य है इस नृत्य में केवल पुरुष ही हिंस्सा लेते हैं। नर्तक योध्दाओ के पोशाक धारण करते हैं, उनके हांथों में ढाल,तलवार आदि अस्त्र होते हैं। नृत्य के अवसर पर प्रयोग होने वाले वाध ढाक,नगाड़ा,शहनाई,मदनभैरी आदि हैं। विवाह समारोह एवं अतिथि सत्कार में यह नृत्य किया जाता है।

  6. दमकच नृत्य, झारखंड

यह नृत्य विवाह के अवसर पर किया जाता है, इसमें महिलाऎं एवं पुरुष दोनों ही सम्मिलित होते हैं। इसमें कन्या  और वर को भी पारंपरिक रुप से शामिल किया जाता है। इसमें ढोल, नगाड़ा, ढाक, मांदर, बांसुर.शहनाई,एवं झांझ आदि वाध यंत्रों का उपयोग किया जाता है।

  7. बाघरूम्बा नृत्य, असम

यह असम की बोडो जनजाति का एक प्रसिद्ध नृत्य है,बोडो असम का सबसे बड़ा जनजातिय समुदाय है। इस नृत्य का प्रमुख वाध यंत्र ढोल है जिसे स्थानीय भाषा में खाम कहा जाता है, जिसे सिफ़ुंग अर्थात् बांसुरी एवं बांस में बने गोंगवना एवं थरका आदि वाधयंत्रों के साथ बजाया जाता है,इस नृत्य में महिलायें त्योहारों के परिधान धारण करती हैं। इस नृत्य में इनका प्रकृति प्रेम दिखता है।

  8. मरयूराट्टम नृत्य, केरल

यह केरल की माविलन जनजाति का एक नृत्य है, जिसे केरल व तमिलनाडु के सीमा के क्षेत्र में स्थित मरायूर नामक स्थान में निवास करने वाली माविलन जनजाति के लोगों के द्वारा किया जाता है। यह नृत्य मुख्यतः विवाह समारोह एवं उत्सवों के अवसरों पर किया जाता है।

नृत्य महोत्सव में सामिल हुए 10 देश-

1. मोजाम्बिक
2. टोगो
3. मंगोलिया
4. रुस
5. मालद्वीप
6. इंडोनेशिया
7. सर्बिया
8. न्यूजीलैंड
9. इजिप्ट
10. रवांडा

Note- ये सभी जानकारियाँ(Information) इंटरनेट(Internet)और किताब से ली गईं हैं, अगर कोइ जानकारी गलत लगे तो आप हमें कमेंट(Comment) कर सकते हैं,हम इसे अपडेट करते रहेंगे।   

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