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भारत में राजपूत काल|सोलंकी वंश, गढ़वाल वंश, चौहान वंश, तोमर वंश, परमार वंश, काकोर्ट वंश, उत्पल वंश, लोहार वंश, सेन वंश, चंदेल वंश, कल्चुरी वंश, गंग वंश

Posted on April 4, 2023April 4, 2023 By Deepti

राजपूत काल – (800-1200 ईस्वी )

* हर्ष के पश्चात् देश में किसी केंद्रीय सत्ता का अस्तित्व न रहा। देश की राजनीतिक एकता छिन्न – भिन्न हो गई और अनेक छोटे – छोटे राज्यों का उदय हुआ। इनमे से अनेक राजपूत राज्य कहलाये। राजपूत शब्द संस्कृत के राजपुत्र का बिगड़ा हुआ रूप है।

*कल्हण की ‘राजतरंगिणी’ व ‘कुमारपालचरित’ में 36 राजपूत कुलों का वर्णन मिलता है।

नोट – तिथिक्रम की दृस्टि से गुर्जर – प्रतिहार राजपूतों में सबसे पहले आये।

* राजपूतों के सम्बन्ध में प्रमुख मत दिए हैं – 1) DR भंडारकर व ईश्वर प्रसाद ने भारतीय समाज में विदेशी मूल के लोगों के सम्मिलित होने को ही राजपूतों के उत्पत्ति का कारन कारण मन है।

* VA स्मिश के अनुसार शक तथा कुषाण जैसे विदेशी जातियां यहाँ के समाज में पूर्णतः घुलमिल गई, इन देश व विदेशी जातियों के मिश्रण से ही राजपूतों की उत्पत्ति ही।

* राजपूतों के उदय के अग्निकुंड का सिद्धांत ‘चन्दरबरबाई’ ने दिया।

राजपूत वंश –

1.सोलंकी वंश
2.गहड़वाल वंश
3.चौहान वंश
4.तोमर वंश
5.परमार वंश
6.काकोर्ट वंश
7.उत्पल वंश
8.लोहार वंश
9.सेन वंश
10.चंदेल वंश
11..कल्चुरी वंश
12.गंग वंश

1.सोलंकी वंश –

*संस्थापक – मूलराज प्रथम ( 947 ईस्वी ), क्षेत्र – गुजरात

1)प्रथम शासक : भीम प्रथम

* इसी के समय 1025 ईस्वी में मोहम्मद गजनवी ने सोमनाथ मंदिर में आक्रमण किया था।

* परमार शासक भोज को पराजित किया।

* इसके शासन काल में माउंटआबू के प्रसिद्ध जैन मंदिर दिलवाड़ा जैन मंदिर का निर्माण इसके सामंत विमल के द्वारा किया गया।

2)प्रसिद्ध शासक : जससिंह ( 1094-1153 ईस्वी )

* सिंह राज की उपाधि धारण की थी, जैन धर्म आचार्य हेमचंद को संरक्षण प्रदान किया था।

3)प्रसिद्ध शासक : कुमारपाल

*इसने सोमनाथ मंदिर का पुनःनिर्माण करवाया।

4)प्रसिद्ध शासक: मूलराज द्वितीय

*मूलराज द्वितीय ने 1178 ईस्वी में मोहम्मद गौरी को पराजित किया।

* मूलराज द्वितीय के भाई भीम द्वितीय को 1187 ईस्वी में कुतुबुद्दीन एबक ने पराजित किया।

* नोट – मूलराज द्वितीय ने पृथ्वीराज चौहान को पराजित किया था, मोढेरा मोधेरा में बड़ौदा के निकट सूर्य मंदिर का निर्माण इस वंश के काल में वस्तुपाल और तेजपाल ने किया।

2.गहड़वाल वंश –

* संस्थापक – चंद्रदेव, राजधानी – कन्नौज

*अंतिम प्रसिद्ध शासक : जयचंद ( 1170-1193 ईस्वी ), दरबारी – श्रीहर्ष, रचना- नैषधचरित, पुत्री – संयोगिता, युद्ध – चन्दावर ( 1194 ईस्वी ) जयचंद विरुद्ध मोहम्मद गौरी, परिणाम – जयचंद मारा गया।

3.चौहान वंश –

* संस्थापक – वासुदेव, राजधानी – अजमेर ( अजय राज ने स्थापित किया ) प्ररम्भिक राजधानी – अहिच्छत्र

1)प्रथम प्रसिद्ध शासक : विग्रहराज

* इसने अजमेर का संस्कृत कालेज बनवाया था, जिसके खंडहर में कुतुबुद्दीन एबक ने ‘ढाई दिन का झोपड़ा’ बनवाया था।

* इसके दरबारी कवी सोमदेव ने ‘ललितविग्रहराज’ की रचना की।

2)द्वितीय शासक : पृथ्वीराज चौहान

*इन्हे राय पिथौरा भी कहा जाता है, इनके पिता – सोमेश्वर।

* दिल्ली को जीतकर राजधानी बनाया।

* दरबारी कवि – चंदरबरदाई ( रचना – ‘पृथ्वीराज रासो’ )

* इन्होने कन्नौज की राजकुमारी ‘संयोगिता’ का अपहरण करके विवाह किया था।

* इन्होने तराईन का दो युद्ध लड़ा-

1)तराईन का प्रथम युद्ध ( 1191 ईस्वी )

*पृथ्वीराज चौहान विरुद्ध मोहम्मद गौरी, इस युद्ध में पृथ्वीराज चौहान विजयी हुए।

2)तराईन का द्वितीय युद्ध ( 1192 ईस्वी )

* पृथ्वीराज चौहान विरुद्ध मोहम्मद गौरी, इसमें मोहम्मद गौरी विजयी रहा, जयचंद द्वारा धोखा देने के कारण पृथ्वीराज चौहान पराजित हुआ तथा उसकी हत्या कर दी गई।

* नोट – बिजौलिया शिलालेख में चौहानों की पूरी वंशावली मिलती है।

4.तोमर वंश –

* तोमर शासकों ने दिल्ली शहर बसाया।

5.परमार वंश –

* क्षेत्र – मालवा, संस्थापक – उपेंद्र कृष्णराज, प्रारंभिक राजधानी – उज्जैन, परवर्ती राजधानी – धार

1)प्रसिद्ध शासक : राजा भोज

*इसने धरनगरी बसाया तथा इसको राजधानी बनाया

* इसने भोपाल स्तिथ सबसे बड़ी झील भोजताल का निर्माण करवाया व भोजनगर बसाया* राजा भोज ने धार में सरस्वती मंदिर बनवाया, इसे मुस्लिम शासकों ने तोड़कर ‘कमालपासा’ मस्जिद बनवाया

* वर्तमान में हिन्दू – मुस्लिम के मध्य विवाद का कारण है

* चितौड़ में त्रिभुवन नारायण मंदिर का निर्माण कराया

2)प्रथम शासक : वाक्पतिमुञ्ज

* इसके दरबार में ‘नवसाहसांक चरित’ के लेखक पदम्गुप्त निवास करते थे, चालुक्य शासक तैलप द्वितीय को 6 बार युद्ध में पराजित किया।

नोट – नवसाहसांक चरित के रचिता पदम्गुप्त व दशरूपक के रचिता धनंजय इस वंश के राजा मुंज के दरबार में थे।

6.काकोर्ट वंश – ( कश्मीर का शासन )

* संस्थापक – दुर्लभवद्दारन , प्रसिद्ध शासक – ललितादित्य, मुक्तिपीड़, दरबारी कवि – भभूति ( कन्नौज से प्राप्त ), रचना मालती माधव, इसने मार्तण्ड मंदिर का निर्माण कराया।

7.उत्पल वंश –

* संस्थापक अवन्तिवर्मन

* इस वंश के राजा क्षेत्रगुप्त की पत्नी दीददा ने 50 वषों तक शासन किया।

8.लोहार वंश –

प्रसिद्ध शासक : हर्ष

* हर्ष को कश्मीर का नीरो कहा जाता है, दरबारी कवि – कल्हण, रचना – रजतरंगीनी ( 12वीं सदी )

9.सेन वंश ( बंगाल ) –

* संस्थापक – सामंत सेन, इस वंश के शासक वल्लालसेन ने दानसागर व अद्भुतसागर ग्रंथ ( खगोल ) की रचना की, शासक विजयसेन ने विजयपुर की नीव डाली जो सेन वंश की राजधानी ही थाई थी

10.चंदेल वंश –

* राजधानी – कालिंजर/ महोबा, फिर खजुराहो, प्राचीन नाम – जैजाक भुक्ति ( जयसिंह के नाम पर ) क्षेत्र – बुंदेलखंड, संस्थापक – नन्नुक ( 831 ईस्वी )

* प्रथम शासक : यशोवर्मन

इन्होने कालिंजर पर प्रभुत्व स्थापित किया और महोबा को अपनी राजधानी बनाया, चतुर्जभुज मंदिर का निर्माण भी कराया, खजुराहो में खजुरवाहक मंदिर का निर्माण भी कराया, खजुराहो मंदिर का निर्माण कार्य शुरू किया, खजुराहो के प्रसिद्ध कंदरिया महादेव मंदिर का निर्माण कराया।

* द्वितीय शासक : धंगदेव

खजुराहो मंदिर मंदिर का निर्माण कार्य पूर्ण कराया, राजधानी महोबा से खजुराहो स्थानांतरण की, इसे चंदेल की वास्तविक स्वाधीनता

11..कल्चुरी वंश –

* संस्थापक – कोकल्ल प्रथम ( 845 ईस्वी ), राजधानी – त्रिपुरी ( जबलपुर )

* इसी वंश के शासकों ने बाद में छत्तीसगढ़ में शासन किया।

* कल्चुरी नरेश गांगेयदेव के सिक्कों पर लक्ष्मीजी की विशिष्ठ आकृति चिन्हित है।

* गांगेयदेव ने विक्रमादित्य’ की उपाधि धारण की।

* शासक युवराज जिसने केयूरवर्णन की उपाधि धारण की, के दरबार में राजशेखर रहता था, जिसने ‘काव्यमीमांशा’ व ‘विद्वसालमंजिका’ की रचना की।

12.गंग वंश –

* संस्थापक – इन्द्रवर्मा प्रथम , क्षेत्र – ओडिसा

* प्रथम शासक – अनंतवर्मन चोड़गंग, इन्होने पुरी के ‘जगन्नाथ मंदिर’ का निर्माण करवाया।

* द्वितीय शासक – नरसिंहवर्मन चोड़गंग, कोणार्क के ‘सूर्य मंदिर’ का निर्माण करवाया।

Note- ये सभी जानकारियाँ(Information) इंटरनेट(Internet) एवं किताब ( Book) से ली गईं हैं, अगर कोइ जानकारी गलत लगे तो आप हमें कमेंट(Comment) कर सकते हैं,हम इसे अपडेट करते रहेंगे। आपको हमारी आर्टिकल अच्छी लगती हैं तो आगे भी पड़ते रहें और इसे शेयर(share) करें।

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