500 ईसा पूर्व से 500 ईसवी के इस समयावधि में भारत में कुल सात राजवंशो ने भारत पर आक्रमण किया जो निम्नलिखित हैं –
Contents-
1.भारत में ईरानी ( फ़ारसी ) आक्रमण 2.बैक्ट्रियन ( यवन ) आक्रमण 3.यूनानी आक्रमण 4.पार्थियन ( पहलव ) आक्रमण 5.सीथियन ( शक ) आक्रमण 6.यू -ची ( कुषाण ) आक्रमण 7. हूण |
1.भारत में ईरानी ( फ़ारसी ) आक्रमण –
* भारत में प्रथम विदेशी आक्रमण ईरान के हखामनी वंश के राजाओं द्वारा
* भारत में आक्रमण करने वाला प्रथम ईरानी शासक कुरुष था। ( 558-530AD)
* कुरुष ने जेड्रोसिया के रेगिस्तानी रास्ते से होकर भारत में आक्रमण किया।
* द्वितीय शासक : दायरबहु (522-480AD)
* भारत को जीतने में सफलता प्राप्त की
* इस सफलता का उल्लेख उसके वेहिसतून, पर्सिपोलस व ‘नक़्शे रुस्तम’ अभिलेखों में मिलता है।
* फारसियों ने भारत में सिगलोई सिक्के ( रजत ) चलाये, जो भारत में प्रचलित परतं सिक्का था।
* यहीं से सर्वप्रथम में मुद्रा प्रचलन प्रारम्भ हुआ।
2.बैक्ट्रियन ( यवन ) आक्रमण –
सेल्यूकस –
* 305AD में सेल्यूकस व चन्द्रगुप्त मौर्य के बीच युद्ध हुआ।
* मेगस्थनीज इसका राजदूत था ।
एण्टियोकस तृतीय –
* 206AD के लगभग हिन्दुकुश पर्वत पार करके सुभगसेन नामक भारतीय राजा को हराया तथा भारत के उत्तर – पश्चिम के एक बड़े भू – भाग पर अधिकार कर लिया।
* सुभगसेन को भारतियों का राजा कहा – पॉलीबियस ने
3.यूनानी आक्रमण–
* भारत पर आक्रमण करने वाला प्रथम यूनानी शासक सिकंदर था।
सिकंदर –
* सिकंदर मेसीडोन शासक फिलीप द्वितीय का पुत्र था। फिलीप की हत्या 329AD में कर दी गई।
* इसने सर्वप्रथम विश्व विजय का लक्ष्य रखा था।
* सिकंदर के गुरु अरस्तू थे।
* सिकंदर ने 326 ईसा पूर्व में भारत के हिन्दुकुश पर्वत से होकर गांधार से ( वर्तमान खैबर दर्रा ) भारत में प्रवेश किया।
* सिकंदर का सेनापति सेल्यूकस निकेटर था।
* सिकंदर का जल सेनापति निर्याकस था।
* सिकंदर का भारत में पहला मुकाबला तक्षशिला के शासक आम्भी से हुआ, आम्भी पराजित हुआ।
* इसके पश्चात् सिकंदर का मुकाबला पौराब के शासक पोरस से हुआ, इसे वितस्ता युद्ध के नाम से जाना जाता है। पोरस पराजित हुआ। ( हेडास्पीज युद्ध )
* पोरस के बहादुरी से प्रभावित होकर, सिकंदर ने राजा पोरस से मित्रता कर ली, यह एकमात्र शासक था जिससे सिकंदर ने मित्रता की।
* सिकंदर की सेना ने व्यास नदी को पार करने से इंकार कर दिया तथा सिकंद यहाँ से वापस लौट गया।
* सिकंदर के आक्रमण से लौटते समय 323 ईसा पूर्व में इराक के बेबीलोन में इसकी मृत्यु हो गई।
* सिकंदर के आक्रमण के समय भारत का शासक घनांनद की विशाल सेना के भय ने सिकंदर को वापस लौटने पर मजबूर किया।
सिकंदर का भारत पर आक्रमण के प्रभाव –
* सिकंदर के आक्रमण से भारत के क्षत्रिय राज्यों में एकीकरण की भावना उत्पन्न हुई।
* सिकंदर के आक्रमण के फलस्वरूप भारत का यूरोप के साथ जलमार्ग व स्थल से व्यापार प्रारम्भ हुआ।
* गंधार कला शैली का विकास ( 2री शताब्दी ईसा पूर्व )
* भारत में सुडोल व लेखयुक्त मुद्रा का प्रचलन व ज्योतिषी विद्या का प्रसार हुआ।
* सिकंदर के आक्रमण का परिणाम – मौर्य साम्राज्य की उत्पत्ति।
भारत पर आक्रमण करने वाले विदेशी आक्रमणकारियों का क्रम –
* बैक्ट्रियन ( यवन ) — पार्थियन ( पहलव ) — सीथियन ( शक ) — यू – ची ( कुषाण )
मौर्य साम्राज्य के पतन के बाद उत्तर – पश्चिम भारत में मध्य एशिया व यूनान राजवंशो के शासन की स्थापना हुई, इसमें यूनानी और सीथियन जातियां प्रमुख है। यूनानी शासकों में बैक्ट्रियन एवं पार्थियन राजवंश हैं, जबकि सीथियन शक व कुषाण।
note- यवन आक्रमणों का उल्लेख प्रथम शताब्दी में ‘रचित गार्गी’ संहिता में है।
4.पार्थियन ( पहलव ) आक्रमण–
* संस्थापक – माउस/ माओस (90-70 ईसा पूर्व ) राजधानी – तक्षिला
* प्रथम प्रतापी शासक – गोंदो फर्निस ( 20-41 ईस्वी)
* इसके समय में प्रथम ईसाई धर्म प्रचारक ‘संत थॉमस’ भारत में आये। कालांतर में इनकी हत्या मद्रास के समीप स्थित क्यालपुर नामक स्थान पर कर दी गई। ( लगभग 50 ईस्वी में आये )
* भारतीय अभिलेखों में शकों व पार्थियनों को संयुक्त रूप से शक – पहलव कहा गया।
* इनका अंत कुषाण आक्रमण से हुआ, जिसका उल्लेख पतंजर अभिलेख में किय आगया है।
* ये मूलतः ईरानी थे।
5.सीथियन ( शक ) आक्रमण –
* यूनानी के बाद आए।
* तक्षशिला का प्रथम शक क्षत्रप शासक – मोग या मोएज ( 80 ईसा पूर्व )
* सर्वाधिक प्रसिद्ध शासक – नहपान ( क्षहरात वंश ) ( 119-124 ईस्वी )
* शक शासक अपने को क्षत्रप कहते थे।
* चष्टन का उत्तराधिकारी शकों का सर्वाधिक प्रतापी राजा रुद्रदामन ( 130-150ईस्वी ) हुआ, जिसने सातवाहन नरेश दक्षिणापथस्वामी शातकर्णि पुलुवामी को दो बार परास्त किया था। इसकी जानकारी रूद्रदामन के जूनागढ़/ गिरनार अभिलेख से होती है।
* रुद्रदामन ने सुदर्शन झील का जीर्णोद्धार कराया।
* लगभग 58 ईसा पूर्व में उज्जैन के शासक ने शकों को परास्त कर विक्रमादित्य की उपाधि धारण की व विक्रम संवत चलाया।
* सिक्कों पर यूनानी – खरोष्ठ लिपियों में लेख मिलते हैं।
* रूद्रसिंह तृतीय अंतिम शक शासक था, जिसने हत्या चौथी शताब्दी ईस्वी के अंत में चंद्रगुप्त विक्रमादित्य ने कर दी और शकों को बहार किया व शकारी की उपाधि धारण की।
6.यू -ची ( कुषाण ) आक्रमण–
* भारत में कुषाण वंश का संस्थापक – कुजुल कदफिसेस ( 15-65 AD)
* कुजुल कदफिसेस – रोमन सिक्कों की नक़ल करके ताम्बे के सिक्के चलवाये।
* विम कदफिसेस ने शिव, त्रिशूल और नंदी के आकृति युक्त सोने के सिक्के चलाये।
* विम कदफिसेस – शैव धर्मावलम्बी था व महेश्वर की उपाधी धारण की थी।
* इस वंश का शासक – कनिष्क था।
* इसकी दो राजधानी थीं – 1) पुरुषपुर वर्तमान पेशावर, 2) मथुरा
कनिष्क ( 78-101 ईस्वी )
* कनिष्क के दरबार में चार रत्न थे –
1) अश्वघोष – साहित्यकार
2) नागार्जुन – वैज्ञानिक
3) चरक – इसने चरक संहिता लिखी
4) वसुमित्र – चतुर्थ बौद्ध संगीति का अध्यक्ष
* कनिष्क के शासनकाल में मूर्तिकला की दोनों शैलियां प्रचलित थीं –
1) गांधार कला शैली
2) मथुरा या भारतीय कला शैली
7. हूण
Note- ये सभी जानकारियाँ(Information) इंटरनेट(Internet) एवं किताब ( Book) से ली गईं हैं, अगर कोइ जानकारी गलत लगे तो आप हमें कमेंट(Comment) कर सकते हैं,हम इसे अपडेट करते रहेंगे। आपको हमारी आर्टिकल अच्छी लगती हैं तो आगे भी पड़ते रहें और इसे शेयर(share) करें।