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गुप्तोत्तर कालीन भारत|पुष्यभूति वंश ( हर्षवर्धन ), पल्लव वंश, चालुक्य वंश, राष्ट्रकूट वंश, गुर्जर- प्रतिहार वंश, पाल वंश

Posted on April 2, 2023April 2, 2023 By Deepti

Contents-

1.पुष्यभूति वंश ( हर्षवर्धन )
2. पल्लव वंश
3.चालुक्य वंश
4.राष्ट्रकूट वंश
5.गुर्जर- प्रतिहार वंश
6.पाल वंश

1.पुष्यभूति वंश ( हर्षवर्धन )–

* स्त्रोत – बाणभट्ट की ‘हर्षचरित’, ह्वेंगसांग की ‘सी-यु-की’, रविकीर्ति की ‘एहोल प्रशस्ति’ , ‘आर्यमंजुश्रीकल्प’, इत्सिंग का यात्रा ‘वृतांत’ आदि।

* गुप्त वंश की समाप्ति के साथ ही देश में राजनीतिक एकता का पतन हो गया एवं अनेक छोटे – छोटे वंशों का उदय हुआ।

* थानेश्वर को राजधानी बनाकर पुष्यभूति ने वर्धन वंश या पुष्य वंश की नीव रखी।

* वास्तविक संस्थापक – प्रभाकर वर्धन ( इन्हे प्रतापशीला के नाम से भी जाना जाता है ).

* राजधानी – थानेश्वर ( हरियाणा के अम्बाला जिले में )

* सर्वप्रसिद्ध शासक – हर्षवर्धन

* हर्षवर्धन ने ‘परमभट्टारक’ , ‘महाराजाधिराज’, हूँन- दक्षिण केसरी व सम्राट की उपाधि धारण की।

* प्रभाकर वर्धन के बेटे – राज्यवर्धन एवं हर्षवर्धन

* हर्षवर्धन – प्रथम थानेश्वर ( शासनकाल – 606-647 ईस्वी )

इनके दरबारी कवि बाणभट्ट थे ( रचना – हर्षचरित ), उनके समय में विदेशी यात्री ह्वेनसांग भारत आये 630-640 ( रचना – सी – यू – कि ), हर्षवर्धन स्वयं एक कवि थे ( रचना – रत्नावली, नागानंद, प्रियदर्शिका नाटक उनके हैं ), हर्षवर्धन बौद्ध धर्म कि महायान शाखा के समर्थक होने के साथ विष्णु एवं शिव कि भी स्तुति करते थे, हर्षवर्धन अंतिम हिन्दू शासक थे, इन्होने दो धर्म सभा आयोजित किये (643 ईस्वी ) – 1) कनौज ( अध्यक्ष – ह्वेनसांग ) 2) प्रयाग – इस आयोजित सभा को मोक्ष परिषद् कहा गया, हर्ष संवत कि शुरुवात ( 606 ईस्वी ) की शुरुवात हुई, हर्ष की उपाधियाँ – ‘राजपत्र शिलादित्य’, ‘मगधराज’, ‘सकलोत्तरापथनाथ’, ‘परमभट्टारक नरेश’ आदि, हर्ष के समय नालंदा व वल्लभी विधा के प्रसिद्ध केंद्र थे, हर्षवर्धन की मृत्यु के पश्चात कन्नौज पर आधिपत्य स्थापित करने के लिए त्रिपक्षीय संघर्ष हुआ ( पाल वंश , गुर्जर वंश, प्रतिहार वंश, राष्ट्रकूट वंश ), त्रिपक्षीय संघर्ष में राष्ट्रकूट की विजय हुई परन्तु शासन गुर्जर प्रतिहारों ने किया।

2. पल्लव वंश–

राजधानी – कांचीपुरम (तमिलनाडु )

* पल्लव अभिलेखों में उन्हें ‘भरद्वाजगोत्रीय’ तथा ‘अश्वत्थामा ‘का वंशज कहा गया है।

* पल्लव राज्य स्थापित करने से पहले सातवाहनों के सामंत थे।

* प्रथम पल्लव शासक – विष्णुगोप

* प्रथम प्रसिद्ध शासक – विष्णुगुप्त ( सिंह विष्णु ) 575-600 ईस्वी )

* द्वितीय प्रसिद्ध शासक – महेन्द्रवर्मन प्रथम ( 600-630 ईस्वी )

* तृतीय प्रसिद्ध शासक – नरसिंहवर्मन प्रथम ( वातापीकांड की उपाधि ) 630-668 ईस्वी

* चतुर्थ प्रसिद्ध शासक – नरसिंहवर्मन द्वितीय ( 692-720 ईस्वी )

* पल्लव वंश का अंतिम शासक – अपराजिता ( 879-897 ईस्वी )

3. चालुक्य वंश –

* आरंभिक शासक – जयसिंह व उनके पुत्र रणराय हुए ।

* चालुक्य राजवंश का प्रथम ऐतिहासिक शासक – जयसिंह

* वास्तविक संस्थापक – पुलकेशिन प्रथम इसने ही वातापी/ बादामी को चालुक्य सत्ता की राजधानी बनाया।

4.राष्ट्रकूट वंश–

* संस्थापक – दन्तिदुर्ग 757 ईस्वी

* राजधानी – माल्यखेट ( प्रारंभिक राजधानी – नासिक )

* प्रथम प्रसिद्ध शासक – कृष्ण प्रथम

विशेष – इन्होने एलोरा की गुफाओं का निर्माण पूर्ण करवाया व उनके अंदर कैलाश मंदिर का निर्माण कराया।

* द्वितीय प्रसिद्ध शासक – ध्रुव ( धारावर्ष ) , इन्होने त्रिपक्षीय संघर्ष में भाग लिया।

* तृतीय प्रसिद्ध शासक – गोविन्द तृतीय, त्रिपक्षीय संधि को अंतिम रूप से जीता तथा कनौज पर कब्ज़ा किया।

* अमोघवर्ष – इनके दरबार में ‘आदिपुराण’ के रचनाकार ‘जिनसेन’ निवास करते थे ।

* कृष्ण तृतीय – चोल शासक परांतक को हराया ।

* महत्वपूर्ण तथ्य – अलमसूदी ने मान्यखेट के राज वल्लराज को विहन के चार राजाओं में गिना, राष्ट्रकूटों ने अपने साम्राज्य में मुस्लिम व्यापारियों को बसने और इस्लाम प्रचार की छूट दी थी, एलोरा व एलिफेंटा गुफा – मंदिरों का निर्माण इन्ही के समय हुआ।

5.गुर्जर- प्रतिहार वंश–

* संस्थापक – हरीशचंद्र

* राजधानी – अहिनवाल ( राजस्थान )

* प्रसिद्ध शासक – नागभट्ट प्रथम

* प्रसिद्ध शासक – वत्सराज,

इन्हे प्रतिहार साम्राज्य का वास्तविक संस्थापक माना जाता है, इन्ही के समय से कन्नौज पर अधिकार हेतु त्रिपक्षीय संघर्ष प्रारम्भ हुआ।

* प्रसिद्ध शासक – मिहिरभोज,

इन्होने कन्नौज को जरधानी बनाया, ये प्रतिहार वंश का सबसे प्रतापी शासक था, मिहिरभोज ‘राजा भोज प्रथम’ के नाम से प्रसिद्ध हुए।

* प्रसिद्ध शासक – महेन्द्रपाल

* प्रसिद्ध शासक – महिपाल ,

इनके शासनकाल में बग़दाद निवासी अलमसूदी गुजरात आये थे।

* अंतिम शासक यशपाल – ( 1036 ईस्वी ), राष्ट्रकूओं ने कन्नौज पर अधिकार कर लिया।

नोट – * गुर्जर प्रतिहारों ने विदेशी आक्रमण से भारत में द्वारपाल की भूमिका निभाई, यह वैष्णव धर्म को मानते थे, इनके समय में कन्नौज का गौरव शिखर पर था, दिल्ली नगर की स्थापना तोमर नरेश अंगपाल ने 11 वीं सदी के मध्य में की।

6.पाल वंश–

* संस्थापक – गोपाल 750 ईस्वी

राजधानी – पश्चिम बंगाल

* प्रथम शासक – गोपाल, इन्होने नालंदा विश्वविधालय को दान दिया था तथा विक्रमशिला विश्वविधालय की नीव डाली, गोपाल जनता द्वारा चुना गया था।

* प्रसिद्ध शासक – धर्मपाल ( 770-810 ईस्वी ) , पाल वंश का एकमात्र शासक जिसने त्रिपक्षीय संघर्ष में भाग लिया, इन्होने विक्रमशिला विश्वविधालय का निर्माण कार्य पूर्ण कराया व सोमपुर विहार की स्थापना की।
* अन्य प्रसिद्ध शासक – देवपाल, बौद्ध धर्म का द्वितीय संस्थापक कहा जाता है।
* अंतिम शासक – गोविन्दपाल ( 1119 ईस्वी )

* इसी काल में बौद्ध धर्म के वज्रयान सम्प्रदाय का उदय हुआ।

Note- ये सभी जानकारियाँ(Information) इंटरनेट(Internet) एवं किताब ( Book) से ली गईं हैं, अगर कोइ जानकारी गलत लगे तो आप हमें कमेंट(Comment) कर सकते हैं,हम इसे अपडेट करते रहेंगे। आपको हमारी आर्टिकल अच्छी लगती हैं तो आगे भी पड़ते रहें और इसे शेयर(share) करें।

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